विवाह पंचमी का दिन शुभ और मंगलकारी : सुनील शास्त्री
मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम-सीता के शुभ विवाह के कारण ही यह दिन अत्यंत पवित्र माना जाता है।
जागरण संवाददाता, झज्जर :
धार्मिक ग्रथों के अनुसार विवाह पंचमी तिथि को भगवान राम ने जनक नंदिनी सीता से विवाह किया था। जिसका वर्णन श्रीराम चरित मानस में महाकवि गोस्वामी तुलसीदास जी ने किया है। मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम-सीता के शुभ विवाह के कारण ही यह दिन अत्यंत पवित्र माना जाता है। विवाह पंचमी बुधवार को मनाई जाएगी। यह बात बेरी गेट शिव मंदिर के पंडित देवाचार्य सुनीलदत्त शास्त्री ने कही। उन्होंने बताया कि माता सीता ने एक बार मंदिर में रखे भगवान शिव के धनुष को उठा लिया था, जिसे भगवान परशुराम के अलावा किसी ने नहीं उठाया था, तब ही राजा जनक ने निर्णय लिया था, कि वे अपनी पुत्री के योग्य उसी मनुष्य को समझेंगे, जो भगवान शिव के इस धनुष को उठाए और उस पर प्रत्यंचा चढ़ाये। इस दिन भगवान राम और माता सीता की पूजा की जाती है। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन भगवान राम और माता सीता की पूजा करने से अविवाहित लोगों को सुयोग्य जीवन साथी की प्राप्ति होती है। विवाहित लोगों के वैवाहिक जीवन की सभी परेशानियां दूर होती है व मनचाहा वरदान प्राप्त होता है। पंचमी के दिन बालकांड में भगवान राम और सीता जी के विवाह प्रसंग का पाठ करना शुभ होता है। इस दिन संपूर्ण रामचरितमानस का पाठ करने से पारिवारिक सुख की प्राप्ति होती है। इसके साथ ही परिवार में सदैव सामंजस्य और खुशी का माहौल बना रहता है। इसके अलावा इस दिन रात्रि में भगवान राम और सीता के भजन करना भी बहुत शुभ माना जाता है।