चलो गांव की ओर : 60 फीसद कृषि पर, 25 फीसद आबादी पशुपालन पर निर्भर
करीब 15 वीं शताब्दी में राजस्थान से आए तीन लोगों ने बसाया था गांव
संवाद सूत्र, साल्हावास : गांव लडायन के लगभग 100 वर्षीय बुजुर्ग कीकर सिंह बताते हैं कि गांव का इतिहास काफी पुराना है। करीब 15 वीं शताब्दी में राजस्थान के हनुमान गढ़ के पास से तीन लोगों ने गांव को बसाया था। समयानुसार गांव में परिवर्तन होते गए और गांव का विकास भी हुआ । गांव में कुछ समस्याओं को छोड़कर सभी मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध हैं। बता दें कि जिला मुख्यालय से लगभग 35 किलोमीटर से दूरी पर स्थित गांव लडायन। जिसकी आबादी लगभग पांच हजार हैं। आबादी के 60 फीसदी लोगों का व्यवसाय कृषि है और 25 फीसदी लोग पशुपालन करते हैं। जबकि, 15 फीसदी लोग सरकारी व गैरसरकारी नोकरियों पर अपनी सेवाएं दे रहे हैं। गांव में एक बुद्धो माता मंदिर है। जो काफी प्रसिद्ध मंदिर हैं। जिसमें क्षेत्र के आसपास के गांवों के श्रद्धालु यहां माथा टेकने पहुंचते है। गांव में एक प्राचीन शिव मंदिर भी है जो काफी वर्ष पुराना है जहां गांव के श्रद्धालु पूजा अर्चना करने पहुंचते हैं। ग्रामीण रिटायर्ड मास्टर रूपराम बताते हैं कि गांव लडायन में पांच मंदिर है। लगभग 1947 में गांव में एक भगत आकर रहने लगे थे। जो दादा भगत सिंह के नाम से प्रसिद्ध हुआ। किवंदती के अनुसार किसी भी मौसम में जब दादा भगत तपस्या करते थे तो वो अपने तन पर कोई कपड़ा नही पहनते थे। दूरदराज के क्षेत्र से लोग अपनी समस्याओं को लेकर उनके पास आते थे और उनकी समस्या का समाधान होता था। सरपंच प्रतिनिधि डा. सुनील जाखड़ बताते हैं कि गांव के युवाओं ने खेल में भी गांव का नाम रोशन किया है राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी भी हुए हैं कर्नल और कैप्टन रैंक के अधिकारी सेना में अपनी सेवाएं दे रहे हैं हर क्षेत्र में गांव के लोगों का अहम योगदान रहा है। ग्रामीण महाबीर, राजा, राकेश, सुनील, अशोक बताते हैं कि गांव में पानी निकासी की समुचित व्यवस्था नहीं है बरसात के दौरान गांव में जलजमाव हो जाता है खेतों में पानी भर जाने से फसल भी नष्ट हो जाती हैं। गांव में सर्व ग्रामीण बैंक, पीएचसी, माडल संस्कृति स्कूल, पशु हस्पता , डाकघर, आंगनबाड़ी केंद्र हैं। गांव में एटीएम की सुविधा नहीं होने से ग्रामीण परेशान है। जिसके लिए उन्हें 8 से 10 किलोमीटर दूर तक जाना पड़ता है। निवर्तमान सरपंच पूनम रानी के मुताबिक सामूहिक प्रयासों से गांव के विकास के लिए पूरा प्रयास रहा है। कार्यकाल में लगभग 15 गलियों का निर्माण करवाया है जो कई योजनाएं निकलने पर भी नहीं बन पाई थी। पशुओं के लिए तालाब में पानी भरने व बरसात के समय पानी ओवरफ्लो होने पर उसकी निकासी के लिए शहरों की तर्ज पर पाईप लाईन भी दबाई गई है।