हिसार में खेती में नए प्रयोग कर युवा किसान ने जल और पर्यावरण बचाने की चलाई मुहिम
राष्ट्रीय युवा दिवस किसान विक्रमजीत ने मास्टर ऑफ कम्प्यूटर डिग्री की है। विक्रमजीत ने पर्यावरण को बचाने के लिए गेहूं व धान के अवशेषों को जलाने के बजाय उनको खेत में मिलाकर अगली फसल की सीधी बिजाई की। इससे ट्रैक्टर चलाने की जरूरत नहीं पड़ी और डीजल की बचत हुई
हिसार [चेतन सिंह] बरवाला के 26 वर्ष के युवा किसान विक्रमजीत बिश्नोई ने अपनी मेहनत और सूझबूझ से जल और पर्यावरण को बचाने की मुहिम चलाई है। पिछल दो साल से विक्रमजीत सैकड़ों किसानों को जागरूक कर चुके हैं। विक्रमजीत के खेती में तरह-तरह के प्रयोग देखकर हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों से भी संपर्क साधा है। किसान विक्रमजीत ने मास्टर ऑफ कम्प्यूटर किया है। विक्रम जीत बिश्नोई ने पर्यावरण को बचाने के लिए गेहूं व धान के अवशेषों को जलाने के बजाय उनको खेत में मिलाकर अगली फसल की सीधी बिजाई की।
इस प्रयोग से खेत में ट्रैक्टर चलाने की जरूरत नहीं पड़ी जिससे डीजल की बचत होती है दूसरा मिट्टी की उर्वरा शक्ति बढ़ी इससे फसल का उत्पादन बढ़ा और किसानों को अवशेष जलाने से कानूनी झंझटों से छुटकारा भी मिला। किसान विक्रमजीत का कहना है कि गेहूं व धान के अवशेषों से जमीन में कार्बन और न्यूट्रीशियन वैल्यू बढ़ती है।
पानी बचाने को नालियां बनाकर लगाई कपास
प्रदेश में सिमित जल को देखते हुए विक्रमजीत ने खेल में नालियां बनाकर उस पर कपास की बिजाई शुरू की। एक नाली में 440 कपास के पौध लगाए। इस तरह से 11 हजार पौधे एक एकड़ में लगाए। इस प्रयोग से एक एकड़ में करीब 10 क्विंटल कपास का उत्पाद हुआ और पांच एकड़ में लगने वाले पानी की बचत हुई क्यूंकि इससे सिर्फ एक एकड़ खेत में लगने वाले पानी से पांच एकड़ तक जमीन को सींच सकते हैं।
किसानों को कर रहे जागरूक
युवा किसान विक्रमजीत ने पर्यावरण और जल बचाने की मुहिम को दो साल में इतना आगे बढ़ा दिया है कि अब तक सैकड़ों किसान इस प्रयोग को कर चुके हैं और आगे भी कर रहे हैं। कृषि वैज्ञानिक भी खेती में नए प्रयोग देखने के लिए आते हैं। विक्रमजीत का कहना है कि किसान ही सबसे बड़ा वैज्ञानिक होता है। उन्होंने कहा कि किसान को शुरुआत में नई चीजों को अपनाने व उसे करने में दिक्कत होती है वह नई चीजें जल्दी से नहीं अपनाता। जब वह आसपास चीजें देखता है तो फिर उसे लगता है कि इसे अपने खेत में करना चाहिए।