सामूहिक दुष्कर्म मामला : योगेंद्र यादव ने लाइव आकर पुलिस, सरकार व महिला आयोग पर साधा निशाना, दी सफाई

टीकरी बॉर्डर पर सामूहिक दुष्कर्म मामले में खुद पर लग रहे आरोपों को लेकर किसान मोर्चा के नेता योगेंद्र यादव ने फेसबुक पर लाइव आकर सफाई दी है। साथ ही सरकार महिला आयोग और पुलिस पर भी निशाना साधा है।

By Manoj KumarEdited By: Publish:Thu, 13 May 2021 08:41 PM (IST) Updated:Thu, 13 May 2021 09:11 PM (IST)
सामूहिक दुष्कर्म मामला : योगेंद्र यादव ने लाइव आकर पुलिस, सरकार व महिला आयोग पर साधा निशाना, दी सफाई
योगेंद्र यादव ने कहा है कि इस मामले में उनका नाम लेकर दुष्प्रचार किया जा रहा है।

बहादुरगढ़, जेएनएन। आंदोलन में बंगाल से आई युवती के साथ टीकरी बॉर्डर पर सामूहिक दुष्कर्म मामले में खुद पर लग रहे आरोपों को लेकर किसान मोर्चा के नेता योगेंद्र यादव ने फेसबुक पर लाइव आकर सफाई दी है। साथ ही सरकार, महिला आयोग और पुलिस पर भी निशाना साधा है। यादव ने कहा है कि इस मामले में उनका नाम लेकर दुष्प्रचार किया जा रहा है। यह झूठ फैलाया जा रहा है कि योगेंद्र यादव को पूरे मामले का पता था, मगर दबाए रखा। जबकि यह सच नहीं है।

योगेंद्र ने अप्रत्यक्ष तौर पर सरकार पर निशाना साधा और तंज भी कसा। दूसरा, उन्होंने पुलिस पर सवाल उठाते हुए कहा कि गंभीर आरोप पर भी पहले दिन से चुप रही पुलिस अब अचानक सक्रिय हो गई है। एसआइटी बना दी है। जो डीएसपी इस एसआइटी के इंचार्ज हैं, वे ब्यान दे रहे हैं कि योगेंद्र यादव ने फलां बात मान ली है। जांच के बीच में एसआइटी इंचार्ज को ऐसा नहीं कहना चाहिए। अगर कहना ही है तो वह कहें, जो मैंने सच में बताया था। इससे आगे योगेंद्र ने कहा कि जो महिला आयोग हाथरस की घटना पर चुप रहा, वहां कुछ नहीं किया। अब वही आयोग सक्रिय है।

यादव ने आपत्तिजनक टिप्पणी करते हुए कहा है कि एक लाश दिख गई है और सभी तरह के गिद्ध एकत्रित हो गए हैं। दो बातें उठ रही हैं कि मुझे सामूहिक दुष्कर्म के बारे में पता था, मगर चुप रहा और दूसरा ये कि मैंने कुछ नहीं किया। जबकि मुझे दाे मई से पहले ज्यादा कुछ नहीं पता था। मुझे सिर्फ दुर्व्यवहार के बारे में बताया गया था। इसका पता भी 24 अप्रैल को लगा था। तब पीड़िता के पिता का एक परिचित के माध्यम से फोन आया था। मेरी पत्नी बांग्ला में बात कर सकती थी, इसलिए उन्होंने पिता से नंबर लेकर पीड़िता से बात की। 24 अप्रैल से पहले वे पीड़िता को जानते तक नहीं थे।

आरोपितों में से भी सिर्फ एक महिला से परिचय हुआ था। बाकी पांच आरोपितों के बारे में भी वे कुछ नहीं जानते थे। 25 अप्रैल को मुझे बताया गया कि पीड़िता को कहीं और ले जाया जा रहा है। उसके साथ ऐसे लोग हैं, जो सही नहीं है। तभी मैंने पता किया कि कौन लाेग हैं, जो उसे लेकर गए हैं। पता चलने पर मैंने सख्ती से पीड़िता को लेकर जाने वालों को वापस बुलाया। जहां तक कार्रवाई का सवाल है तो उसका अधिकार पीड़िता के पिता को ही था। इसमें मेरी तरफ से तो कार्रवाई का अधिकार नहीं था। मुझे नहीं पता कि जो लोग पीड़िता को लेकर गए, वे कौन हैं, मेरे परिवार के साथ क्या कर सकते हैं।

फिर भी मैंने रिस्क लिया। 29 अप्रैल को मैंने खुद पीड़िता के लिए वेंटिलेटर ढूंढने की कोशिश की। पीजीआइ में भी नहीं मिला। हम बेटी को नहीं बचा पाए। लड़की ने आखिरी सांस तक यह कहा कि आंदोलन को आंच न आने पाए। मगर मैं ही नहीं बल्कि संयुक्त किसान मोर्चा भी चाहता है कि उसे न्याय मिले। उसे न्याय दिलाया भी जाएगा। हम संकल्प भी लेते हैं कि भविष्य में ऐसा सिस्टम बनेगा कि आंदोलन में किसी भी महिला के साथ किसी भी तरह की घटना नहीं होने दी जाएगी। आंदोलन में जो कूड़ा आ गया था उसे हर हाल में साफ किया जाएगा।

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