दुनिया भर में पहलवान बजरंग पूनिया की धूम, कई देशों में भारत से ज्यादा मिलता है समर्थन
दुनिया के नंबर-वन रैंक पहलवान बजरंग के देश में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी फैंस हैं। कुश्ती प्रेमी देश रूस कजाकिस्तान तथा मध्य एशिया के देशें में बजरंग के बड़ी संख्या में प्रशंसक है और वहां गली-मुहल्लों में उसके नाम पर कुश्ती के ग्रुप बना रखे हैं
रोहतक [ओपी वशिष्ठ] बज-रंग, बज-रंग...इस तरह की हूटिंग केवल भारत में ही नहीं होती बल्कि दुनिया के कई देशों में पहलवान बजरंग पूनिया के मुकाबले में दौरान होती है। दुनिया के नंबर-वन रैंक पहलवान बजरंग के देश में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी फैंस हैं। कुश्ती प्रेमी देश रूस, कजाकिस्तान तथा मध्य एशिया के देशें में बजरंग के बड़ी संख्या में प्रशंसक है और वहां गली-मुहल्लों में उसके नाम पर कुश्ती के ग्रुप बना रखे हैं, जिनकी आपस में प्रतियोगिता होती है। बता दें कि बजरंग पूनिया टोक्यो ओलंपिक का कोटा हासिल कर चुके हैं और फिलहाल देश के लिए पदक जीतने का लक्ष्य है। बजरंग विश्व कुश्ती रैंकिंग प्रतियोगिता में हिस्सा लेने के लिए पोलैंड रवाना
हो गए हैं।
मूल रूप से झज्जर के गांव खुडन निवासी बजरंग पूनिया लंबे समय से सोनीपत में परिवार के साथ रहते हैं। बजंरग ने पिछले दिनों अंतरराष्ट्रीय पहलवान संगीता फौगाट से शादी की थी। टोक्यो ओलंपिक के लिए बजंरग पहले ही क्वालिफाई कर चुके हैं। देश को बजंरग से ओलंपिक में गोल्ड मेडल की उम्मीद है। ओलंपिक पदक विजेता योगेश्वर दत्त के अखाड़े में पहलवानी करते थे, लेकिन बाद में वहां से अलग हो गए। बजरंग की कुश्ती की शैली योगेश्वर दत्त से मिलती-जुलती है।
कुश्ती प्रेमी तो बजंरग को योगेश्वर का ही रूप मानते हैं। जुझारू और संघर्षशील बजंरग ने अपनी कुश्ती के दम पर देश में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी अपने बड़ी संख्या में प्रशंसक बना लिए हैं। कुश्ती के सबसे बड़े देश रूस में तो बजरंग को गली-गली में जानते हैं। इतना ही नहीं उनके नाम से स्थानीय कुश्ती ग्रुप बना रखे हैं और आपस में कुश्ती प्रतियोगिताएं भी करवाते हैं। रूसे अलावा कजाखस्तान, जर्मनी, अमेरिका सहित मध्य एशिया के कई देशों में बजरंग ने युवाओं को अपना दिवाना बना रखा है। बकौल बजरंग जहां भी कुश्ती होती है, वहां स्टेडियम कुश्ती प्रेमियों से भरे होते हैं। कई देशों में तो उनके समर्थन में हूटिंग भी होती है, जिससे उनका हौसला बढ़ता है।
इसलिए प्रशंसक हैं बजरंग के
दुनिया के कई देशों में युवा पहलवान बजरंग को अपना आदर्श मानते हैं। कुश्ती अब पहले से ज्यादा चर्चित खेल हो गया है। इंटरनेट मीडिया पर उनकी प्रेरक पोस्ट व अन्य पोस्ट भी युवाओं को आकर्षित करती है। साथ ही, उनके कुश्ती खेलने के तरीके, संघर्ष और जुझारूपन से युवाओं को अपने तरफ आकर्षित किया है। इसलिलए बज-रंग-बज-रंग की धूम कई देशों में रहती है। बजरंग का कहना है कि जर्मनी व रूस में तो उनको कुश्ती मुकाबले में उतरने से पहले ही सम्मान मिलना शुरू हो जाता है। रूस में तो उनके मैट पर उतरते ही मंत्रोच्चार शुरू कर देते हैं। विश्व चैंपियनशिप में बजरंग से कांस्य पदक जीता था तो प्रशंसकों ने खड़े होकर सम्मान दिया था।
पासपोर्ट में नहीं सरनेम, विदेशों में जानते हैं बजरंग बजरंग
पासपोर्ट में बजरंग ने अपना सरनेम नहीं लिखा है। इसलिए पासपोर्ट में उनका नाम बजरंग बजरंग लिखा जाता है। विदेशों में उनको सरनेम से नहीं बल्कि बजरंग-बजरंग के नाम से जानते हैं। लुइसियाना में तो उनके नाम से ग्रुप का नाम बजरंग बॉयज दिया हैै।