World Soil Day: फसलों के अवशेष जलाने का हुआ जमीन पर असर, आर्गेनिक कार्बन हुआ कम
किसान अब जमीन में बायोमास यानी फसलों के अवशेष जमीन में बहुत कम मिलाते है। किसानों को लगता है कि फर्टिलाइजर के सहारे ही अच्छी पैदावार ली जा सकती है। लेकिन अब इतना अधिक फर्टिलाइजर का प्रयोग होने लगा।
फतेहाबाद, जागरण संवाददाता। जमीन से उर्वरा शक्ति कम हो रही है। इसकी वजह से पैदावार लेने के लिए किसान को फर्टिलाइजर का प्रयोग अधिक करना पड़ रहा है। अब तो जमीन फर्टिलाइजर को पौधे तक नहीं भेज रही। इसकी वजह है कि जमीन में आर्गेनिक कार्बन निर्धारित मानक से आधे से आधा ही रह गया। इसका असर हर फसल पर पड़ रहा है। कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि यह जमीन में तभी बढ़ेगा जब किसान फसलों के अवशेष जमीन में मिलाने शुरू कर देंगे। अन्यथा भविष्य खतरनाक है। किसान को अभी संभलना होगा। आर्गेनिक कार्बन की मात्रा बढ़ने के बाद ही मृदा की गुणवत्ता बढ़ेगी।
अवशेष जलाने और फर्टिलाइजर का अधिक प्रयोग
दरअसल, किसान अब जमीन में बायोमास यानी फसलों के अवशेष जमीन में बहुत कम मिलाते है। किसानों को लगता है कि फर्टिलाइजर के सहारे ही अच्छी पैदावार ली जा सकती है। लेकिन अब इतना अधिक फर्टिलाइजर का प्रयोग होने लगा कि ऐसे में ज्यादा समय तक अंधानुकरण चलने वाला नहीं। किसानों को अपने व्यवहार को बदलना ही होगा। जिले में मिट्टी व पानी की जांच के लिए दो सरकारी लैब है। एक फतेहाबाद की सब्जी मंडी व दूसरी कुलां में। दोनों में हर दिन मिट्टी की जांच के सैंपल आते है। इनकी रिपोर्ट में सामने आया कि जमीन में आर्गेनिक कार्बन की मात्रा महज 0.20 के करीब ही है। जबकि औसतन यह 0.80 तो कम से कम हो। लेकिन अब बहुत अधिक कम हो गई। इसके चलते अन्य तत्व भी कम हो रहे है।
जमीन में क्षारीय व नमक की मात्रा बढ़ रही
जमीन की उपजाऊ शक्ति बढ़ाने वाले पदार्थ कम हो रहे है, वहीं क्षारीय व नमक की मात्रा बढ़ रही है। ट्यूबवेल का अधिक पानी प्रयोग करने से औसत से अधिक दोनों की मात्रा पहुंच गई। सरकारी लैब की रिपोर्ट के अनुसार दोनों ही सामान्य से अधिक मिल रहे है। जमीन में नमक यानी ईसी 1.21 से अधिक मिल रहा है, जबकि ये 0 से 1 फीसद तक होना चाहिए। इसी तरह क्षारीय भी 9 फीसद तक मिल रहा है। जबकि से 8 फीसद तक ही होना चाहिए।
कुलां व फतेहाबाद में लैब, लेकिन नहीं है अधिकारी
जिले में किसानों के मिट्टी व पानी की जांच के लिए दो सरकारी लैब है। एक तो इनमें कर्मचारियों के पदों में कमी कर दी। वहीं अब इनमें अधिकारी तक नहीं है। ऐसे में परेशानी आ रही। कभी दोनों लैब में मिट्टी व पानी की जांच करने के लिए 20 के करीब कर्मचारी थे, लेकिन अब 10 भी नहीं रहे।
प्रधानमंत्री सोयल हेल्थ कार्ड योजना भी हुई प्रभावित
प्रधानमंत्री सोयल हेल्थ कार्ड योजना भी प्रभावित हो रही है। इस योजना के तहत हर बार जिले के दो खंड के सैंपल लेने थे। लेकिन योजना शुरू होने के बाद इसका सही से संचालन नहीं हुआ। संबंधित विभाग में कर्मचारियों की कमी व सरकार द्वारा सही से निगरानी न करने के चलते योजना रुक सी गई है। हालांकि अब कर्मचारी कह रहे है कि फिर से फतेहाबाद व जाखल ब्लाक से सवा लाख के करीब सैंपल एकत्रित किए जाएंगे। दोनों ब्लाक से प्रति एकड़ से सैंपल होंगे। इसके बाद रिपोर्ट कार्ड दिए जाएंगे।
मुख्यत: जमीन में ये तत्वों की होती है जांच :तत्व
सामान्य श्रेणी की मात्राक्षारीय 6.5 से 8
नमक 0 से 1
आर्गेनिक कार्बन 0.80
नाइट्रोजन 560
फास्फोरस 25
पोटेशियम 280
सल्फर 10
जिंक 0.6
आयरन 4.5
मैंगनीज 2.5
कापर 0.2
किसान आर्गेनिक कार्बन को बढ़ाने का करें प्रयास
कृषि वैज्ञानिक लगातार हो रही जांच में सामने आ रहा है कि मृदा से आर्गेनिक कार्बन कम हो रहा है। यह सिर्फ फसल अवशेष जमीन में मिलाने से बढ़ता है। जब तक जमीन में यह है तभी तक उत्पादन हो रहा है। यही किसानों द्वारा डाला गया फर्टीलाइजर पौधे तक पहुंचाता है। ऐसे में किसान इसे गंभीरता से लेते हुए जमीन में अवशेष मिलाने की दिशा में कार्य करें।
- डा. संतोष सिंह, कृषि वैज्ञानिक, केवीके।
किसान लगातार करवाए मिट्टी व पानी की जांच : कुलड़िया
किसान लगातार मिट्टी व पानी की जांच करवाए। इससे किसान को अपने खेत में किस प्रकार की कमी है। इसका समय-समय पर पता चल जाएगा। ऐसे में किसान जांच अवश्य करवाए। सरकारी लैब में किसानों को निशुल्क सुविधा दी जा रही है। जिसका किसानों को लाभ उठाना चाहिए। जो कमी मिले, उसे दूर करने का प्रयास करना चाहिए।
- डा. भीम सिंह कुलड़िया, एसडीओ, कृषि विभाग