World AIDS Day: जागरूकता के आगे हार रही एड्स बीमारी, दवाइयों के सहारे लंबा जीवन जी रहे मरीज

फतेहाबाद में में हर दिन करीब 300 मरीजों की जांच होती है लेकिन ऐसे में मरीज कम ही निकल रहे है। पिछले छह सालों में अब तक 537 लोग एड्स से पीड़ित हुए है। इनमें से 22 मरीजों की मौत भी हुई है।

By Naveen DalalEdited By: Publish:Tue, 30 Nov 2021 12:19 PM (IST) Updated:Tue, 30 Nov 2021 12:19 PM (IST)
World AIDS Day: जागरूकता के आगे हार रही एड्स बीमारी, दवाइयों के सहारे लंबा जीवन जी रहे मरीज
इस साल केवल एक की हुई मौत, मरीज भी मिल रहे कम

फतेहाबाद, जागरण संवाददाता। एड्स बीमारी को गंभीर माना गया है। एक समय था जब इसके नाम से ही लोग घबराते थे और सरकारी अस्पतालों में टेस्ट की सुविधा व इलाज का अभाव था। इस कारण यह बीमारी फैलने के साथ लोगों की मौत भी हो रही थी। लेकिन समय बदलने के साथ एड्स बीमारी के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए अभियान शुरू किए। जिला अस्पताल के अलावा खंड स्तर के अस्पताल में भी एड्स बीमारी से संबंधित इलाज की सुविधा शुरू हो गई है।

पिछले छह सालों में 52 एड्स पीड़ित महिलाएं स्वस्थ बच्चे को दे चुकी जन्म 

अब तो नागरिक अस्पताल में आने वाले प्रत्येक मरीज का एड्स टेस्ट किया जा रहा है। यहीं कारण है कि मरीज बढ़े है, लेकिन मृत्यु दर में कमी है। इस साल अब तक केवल 77 मरीज आए है इनमें से एक की मौत हुई है। मौत का कारण एड्स न होकर मानसिक तनाव भी माना जा रहा है। अगर कोई एड्स पीड़ित है और समय पर दवाइयां का सेवन करता है तो वह लंबा जीवन जी सकता है। 

पिछले छह सालों में 537 लोग एड्स से हुए पीड़ित, 22 मरीजों की हुई मौत

जिले में हर दिन करीब 300 मरीजों की जांच होती है, लेकिन ऐसे में मरीज कम ही निकल रहे है। पिछले छह सालों में अब तक 537 लोग एड्स से पीड़ित हुए है। इनमें से 22 मरीजों की मौत भी हुई है। वर्ष 2017-19 व 2019-20 का जिक्र करे तो सबसे अधिक मरीज आये है। वर्ष 2019 में 126 मरीज पाजिटिव हुए तो इससे अगले वर्ष 2020 में 120 मरीज पाजिटिव हुए है।

52 महिलाओं ने स्वस्थ बच्चों को दिया जन्म

लोगों में धारण होती है कि एड्स पीड़ित महिलाएं स्वस्थ बच्चों को जन्म नहीं दे सकती। लेकिन ऐसा नहीं है। अगर समय पर इलाज मिले तो ऐसी महिलाएं स्वस्थ बच्चों को जन्म दे सकती है। पिछले छह सालों में 52 महिलाएं ऐसी है जिन्होंने स्वस्थ बच्चों को जन्म दिया है। आज ये बच्चे एड्स से पीड़ित नहीं है। यह केवल समय पर इलाज लेने के कारण हुआ है। डाक्टरों की माने तो प्रदेशभर में 18 एंटी-रेट्रो वायरल ट्रीटमेंट सेंटर खोले गए हैं वहीं सिविल अस्पतालों में गर्भवती महिलाओं के लिए एंटी नेटल चेकअप रजिस्ट्रेशन की सुविधाएं भी दी गई हैं। 

अब जाने पिछले छह सालों में जिले में एड्स के कितने मिले मरीज

वर्ष        मरीज   पुरुष   महिला   गर्भवती महिला   मौत 

2015-16   75     46    29      5            1

2016-17   66     42    24      4            5

2017-18   73     55    18      4            3

2018-19  126     94     32     16           6

2019-20  120     87     33     15           6

2020-21   77     53     24     13           1

कुल       537    377    160    57          22

एचआवीइ/एड्स फैलने का प्रमुख कारण  एचआइवी पाजीटिव मां से उसके बच्चे को एचआइवी संक्रमित रक्त, रक्त उत्पाद चढ़ने से बिना उबली संक्रमित सुई या पहले से इस्तेमाल की गई संक्रमित सुई के प्रयोग से असुरक्षित यौन संबंध से।

एड्स से बचने के लिए ये करें यौन संबंध के दौरान कंडोम का प्रयोग करें।  गर्भावस्था के दौरान प्रत्येक महिला अपने खून में एचआइवी की जांच जरूर करवाए। रक्त हमेशा मान्यता प्राप्त ब्लड बैंक से ही लें।  इंजेक्शन लगाने के लिए हमेशा नई सुई का इस्तेमाल करें। 

ऐसे नहीं फैलता एड्स  छूने से, हाथ मिलाने से, गले लगाने से, आपसी मेल-जोल से।  मच्छर के काटने से।  साथ रहने या उठने-बैठने से।  साथ खाना खाने से।  एक-दूसरे के कपड़े पहनने से।  किसी भी एचआइवी/एड्स पाजीटिव व्यक्ति की देखभाल करने से।

समय समय पर लगाएं जा रहे कैंप

अस्पताल में जो भी मरीज आ रहा है उनका एड्स का टेस्ट किया जा रहा है। जिन लोगों की दवाइयां चल रही है उनका नाम भी गुप्त रखा जा रहा है। इसके अलावा एडस से पीड़ित महिलाएं स्वस्थ बच्चे को भी जन्म दे रही है। मरीजों की काउंसलिंग करने के साथ समय-समय पर कैंप लगाए जा रहे है। 

----दिनेश ढाका, काउंसलर एड्स कंट्रोल सोसायटी नागरिक अस्पताल फतेहबाद।

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