दूसरों के लिए नजीर बनी महिला किसान, नहरी पानी की कमी के बावजूद सिरसा में लहला दिया बाग
गृहिणी सुनीता लांबा ने तब कम पानी में बाग लगाने के लिए कदम बढ़ाए। पति सरकारी सेवा में रहे तो खेत की बागडोर सुनीता लांबा के हाथ थी और उसने बाग लगाने से पहले सूक्ष्म सिंचाई प्रणाली की जानकारी हासिल की। कम पानी में भी बेहतर उत्पादन ले रही हैं।
सिरसा, जेएनएन। परिवार का मन तो बाग लगाने का था लेकिन पर्याप्त पानी न होने की वजह से सोच नहीं पा रहे थे कि बाग लगाए या नहीं। गृहिणी सुनीता लांबा ने तब कम पानी में बाग लगाने के लिए कदम बढ़ाए। पति सरकारी सेवा में रहे तो खेत की बागडोर सुनीता लांबा के हाथ थी और उसने बाग लगाने से पहले सूक्ष्म सिंचाई प्रणाली की जानकारी हासिल की। वर्ष 2008 में 10 एकड़ में बाग लगाया गया और खेत के लिए कम पानी होते हुए भी बिरानी जमीन पर बाग के पौधे लहलहाए।
बरसात के पानी को भी टैंक में किया एकत्रित
सुनीता लांबा ने बरसात के पानी को भी व्यर्थ नहीं जाने दिया। खेत में ही सरकारी मदद से टैंक बनाया गया और बरसात के समय में अतिरिक्त पानी को इसी टैंक में एकत्रित किया जाने लगा। यह प्रयोग पिछले कई वर्षों से लगातार किया जा रहा है। सुनीता लांबा ने बताया कि नहरी पानी को भी पहले टैंक में एकत्रित करते हैं और फिर सूक्ष्म सिंचाई प्रणाली से पौधों तक पानी पहुंचाते हैं।
30 फीसद से अधिक पानी की बचत
प्रगतिशील किसान सुनीता लांबा को दो वर्ष पहले हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय ने भी सम्मानित किया है। खुद ही ट्रैक्टर से खेत में कार्य करती है। सुनीता लांबा ने बताया कि ड्रिप इरिगेशन से 30 से 40 फीसद पानी की बचत होती है। पानी केवल पौधे तक पहुंचता है। सामान्य ढंग से सिंचाई में पानी का ज्यादा हिस्सा व्यर्थ जाता है और इससे खरपतवार भी पैदा होता है। उन्होंने बताया कि ड्रिप इरिगेशन से पौधे को दवा व खाद दी जा सकती है। टैंक बनाने के कारण इतना ही पानी पौधे तक पहुंचता है जितनी जररूत है। व्यर्थ में बहने वाले पानी की बचत होती है।
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