नट-बोल्ट कारोबार की सबसे अहम कड़ी साबित हो रहीं महिलाएं, रोहतक में 15-20 फीसद है संख्‍या

महिलाओं की संख्या कारोबार में नट बोल्‍ट कारोबार में लगातार बढ़ती जा रही है। कुछ वर्षों तक इस कारोबार में महिलाएं सिर्फ छंटाई और गिनाई के काम तक सिमटी हुई थीं। महिलाएं कार्य में दक्ष हो रहीं हैं। अब रोहतक की महिलाओं के हाथ मशीनों पर भी चलने लगे हैं।

By Manoj KumarEdited By: Publish:Sun, 16 May 2021 03:51 PM (IST) Updated:Sun, 16 May 2021 03:51 PM (IST)
नट-बोल्ट कारोबार की सबसे अहम कड़ी साबित हो रहीं महिलाएं, रोहतक में 15-20 फीसद है संख्‍या
रोहतक के नट-बोल्ट कारोबार में महिलाएं थ्रेड मशीन, सीएनसी मशीन, ड्रिल मशीन, पैकिंग आदि के कार्य से जुड़ी

रोहतक [अरुण शर्मा] रोहतक के नट-बोल्ट कारोबार की रीढ़ महिलाएं बनकर उभरी हैं। महिलाओं की संख्या कारोबार में लगातार बढ़ती जा रही है। कुछ वर्षों तक इस कारोबार में महिलाएं सिर्फ छंटाई और गिनाई के काम तक सिमटी हुई थीं। हालात बदलने के साथ ही महिलाएं इस कार्य में दक्ष हो रहीं हैं। अब रोहतक की महिलाओं के हाथ मशीनों पर भी चलने लगे हैं। फिलहाल महिलाएं थ्रेड मशीन हो या फिर टर्निंग का कार्य। ड्रिल के कार्य में भी पारंगत होने लगी हैं।

हिसार रोड औद्योगिक क्षेत्र के उद्यमी राज सिंह पटेल कहते हैं कि पहले महिलाएं फैक्टरियों में पैकिंग के कार्य तक ही सिमटी हुई थीं। पैकिंग के कार्य में तैयार नट-बोल्ट की छंटाई, गिनाई, पैकिंग आदि कार्य शामिल हैं। लेकिन कार्य में दक्षता के साथ ही महिलाएं मशीनों पर भी अपने हाथ अजमाने के साथ ही दक्ष होती जा रही हैं। इसके साथ ही महिलाओं की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है। उद्यमी चंद्रशेखर पाठक कहते हैं कि रोजगार के संसाधन महिलाएं खुद ही अपने लिए खड़े कर रहीं हैं। क्योंकि नट-बोल्ट का काम सीखने की ललक और कार्य गंभीरता से करने का हुनर ही कहेंगे कि महिलाएं आगे बढ़ रहीं हैं।

यहां महिलाएं संभाल रहीं बड़ी जिम्मेदारियां

उद्यमी राज सिंह पटेल कहते हैं कि रोहतक में हिसार रोड स्थित औद्योगिक क्षेत्र, शास्त्री कालोनी, श्याम कालोनी आदि स्थानों पर महिला कर्मचारी कार्यरत हैं। वहीं, हिसार रोड स्थित एक नट-बोल्ट की इकाई में कार्यरत शीलावती कहती हैं कि मैं पहले नट-बोल्ट के शोर्टेज यानी छंटाई के कार्य से जुड़ी हुई थी। बाद में कंप्यूटर सीख लिया तो डिजाइन बनाने के साथ ही सीएनसी मशीनों पर भी काम शुरू कर दिया। इसी तरह सुनीता पहले शोर्टेज के कार्य से जुड़ी थीं, अब टर्निंग का कार्य करती हैं।

उद्यमी राजेंद्र बंसल का कहना है कि कहीं 10 फीसद तो कहीं 15-20 फीसद तक महिलाएं नट-बोल्ट के कार्य से जुड़ गई हैं। जिन स्थानों पर पैकिंग का कार्य ज्यादा है वहां शॉर्टिंग के कार्य से महिलाएं जुड़ी हैं। जिन स्थानों पर कम मेहनत का कार्य यानी स्टेनलेस स्टील के उद्योग में वहां 30 फीसद तक महिला कर्मचारी काम कर रहीं हैं। जो भी महिला कर्मचारी होती हैं उनकी अपने कार्य के प्रति समर्पण की भावना होती है। यही कारण है कि नट-बोल्ट के उद्योग में महिला कर्मचारियों की संख्या में इजाफा हो रहा है।

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