स्वदेशी प्रक्रियाओं से करें पशुओं की बीमारी के उपचार में मिलेगी जल्द राहत, जानें तरीके

विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार विकासशील देशों में 80 फीसद लोग बड़े पैमाने पर मानव और जानवरों दोनों को प्रभावित करने वाले विभिन्न रोगों के नियंत्रण और उपचार के लिए स्वदेशी प्रथाओं पर निर्भर हैं। भारत जैसे देश में जो पारंपरिक स्वास्थ्य नियंत्रण की बहुत समृद्ध विरासत है

By Manoj KumarEdited By: Publish:Sun, 11 Jul 2021 12:22 PM (IST) Updated:Sun, 11 Jul 2021 12:22 PM (IST)
स्वदेशी प्रक्रियाओं से करें पशुओं की बीमारी के उपचार में मिलेगी जल्द राहत, जानें तरीके
पशुओं के इलाज के लिए विज्ञानी स्‍वदेशी तरीकों को ज्‍यादा बेहतर मानते हैं

जारगण संवाददाता, हिसार। देश में पशुधन उत्पादन प्रणाली ज्यादातर आदिम और असंगठित रही है। पशुपालक ज्यादातर घरेलू उपचार के पारंपरिक ज्ञान का अभ्यास करते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, विकासशील देशों में 80 फीसद लोग बड़े पैमाने पर मानव और जानवरों दोनों को प्रभावित करने वाले विभिन्न रोगों के नियंत्रण और उपचार के लिए स्वदेशी प्रथाओं पर निर्भर हैं। भारत जैसे देश में जो पारंपरिक स्वास्थ्य नियंत्रण की बहुत समृद्ध विरासत है, वहाँ आयुर्वेदिक, यूनानी और होम्योपैथिक जैसी कई उपचार प्रणाली का उपयोग प्राचीनकाल से किया जा रहा है। अतः इन प्रथाओं को मौखिक प्रसारण द्वारा पीढ़ी-दर-पीढ़ी स्थानांतरित किया जा रहा है। पूरे भारत में ऐसे ज्ञानी और अनुभवी विशेषज्ञ हैं जो अपच तकनीक का अभ्यास करते हैं लेकिन उनका ज्ञान अच्छी तरह से प्रलेखित नहीं है केवल मौखिक रूप से एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में पहुंचाया गया है। मानव स्वास्थ्य देखभाल और पशु स्वास्थ्य देखभाल में हर्बल दवाओं के आवेदन का एक लंबा इतिहास रहा है।

भूख कम लगना या भूख का ना लगना

अजवाइन, नमक, साेंठ , साैंफ, नक्सवोमिका पाउडर इन सभी चीजों को अच्छी तरह कूटें और गुड़ में मिलाकर पशु को दें। यह उपचार सुबह शाम तीन दिन तक करने से पशु को शीघ्र लाभ होता है।

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मुंह खुर रोग:

बच्छ को तेल में मिलाकर पिलाने से आराम मिलता है। सुहागे को गरम करके उसमें कपूर और शहद मिला लें तथा पशु के मुंह को लाल दवाई या फिटकरी के पानी से धोने क बाद इस लेप को लगाने से पशु को राहत मिलेगी। गुंजा या रत्ती की पत्तियों का भी इस्तेमाल किया जाता है।अलसी का तेल और हल्दी को बाह्य रूप से लगाने पर राहत मिलती है।

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गर्मियों में अफरा आना

अजवाइन और काले नमक को छाछ में मिलाकर देने से भी आराम मिलता है। सेंजन अथवा मुनगा के पेड़ की छाल को पानी में उबाल कर उस पानी को पिलाने से अफारा खत्म हो सकता है। अगर अफारा कम है ताे हींग काे मीठे तले में मिलाकर पिलाने से राहत मिलती है। हींग, मेथा सोडा और सौंठ को गुड़ या पानी में मिलाकर देने से भी पशु को राहत मिलती है।

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