ये कैसी इंजीनियरिग : करोड़ों की बनी सड़कें, जलनिकासी भूले

तीन अगस्त को सब कमेटी के चेयरमैन ने बुलाई बैठक सफाई पर अफसरों से होगी जवाब-तलबी।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 02 Aug 2021 08:39 AM (IST) Updated:Mon, 02 Aug 2021 08:39 AM (IST)
ये कैसी इंजीनियरिग : करोड़ों की बनी सड़कें, जलनिकासी भूले
ये कैसी इंजीनियरिग : करोड़ों की बनी सड़कें, जलनिकासी भूले

तीन अगस्त को सब कमेटी के चेयरमैन ने बुलाई बैठक, सफाई पर अफसरों से होगी जवाब-तलबी

फोटो 68, 69, 70

पवन सिरोवा, हिसार : शहर के विकास को रफ्तार देने वाले रास्तों के निर्माण पर इंजीनियरों के कार्य पर सवाल खड़े हो गए है। सीएम घोषणाओं से लेकर शहर के मुख्य मार्गों पर बनी सड़कों पर इंजीनियरों ने जलनिकासी के उचित प्रबंध ही नहीं किए। यहीं कारण है कि शहर में करोड़ों रुपये की लागत से बनी कई सड़के क्षतिग्रस्त हो लगी है। विकास कार्यों की हो रही दुर्दशा से इंजीनियरों की कार्यप्रणाली शहर में फेल होती नजर आ रही है। उधर शहर में बेपटरी हुई सफाई व्यवस्था पर नगर निगम की सब कमेटी ने भी तीन अगस्त को बैठक बुला दी है। जिसमें अफसरों से जवाब-तलबी होगी।

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इन विकास कार्यों से समझे हिसार में इंजीनियरिग का क्या है स्तर

केस- 1

दयानंद ब्रह्म महाविद्यालय से साउथ बाइपास की तरफ मील तक।

दयानंद ब्रह्म महाविद्यालय गेट के सामने से लेकर मिल तक करीब .80 किलोमीटर लंबी सड़क 96.69 लाख से बनी। इंजीनियरों से ऐसा प्लान तैयार किया कि जल्द से जल्द सड़क बना डाली लेकिन पानी निकासी की प्लानिग तक नहीं की। जिसका खामियाजा आज जनता भुगत रही है। सड़क पर हल्की बूंदाबादी में भी जलभराव हो जाता है जो लंबे समय बाद सूखता है। जलभराव की इस स्थिति में अब सड़क टूटने लगी है। यानि लाखों रुपये अब बर्बाद हो रहे है।

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केस-2 लक्ष्मीबाई चौक से मलिक चौक फोरलेन :

लक्ष्मीबाई चौक से मलिक चौक तक 1.97 करोड़ की लागत से फोरलेन निर्माणाधीन है। इस सड़क पर जलनिकासी से लेकर स्ट्रीट लाइट की केबल बिछाना तक का काम नहीं किया। इंजीनियरों की योग्यता पर सवाल उठे तो कई नई व्यवस्थाओं को लेकर इंजीनियरों ने कार्य शुरु किया ।जबकि यह सड़क सीएम घोषणा में है। इस मार्ग पर स्थानीय विधायक से लेकर आईजी सहित शहर का निगम कमिश्नर, एडीसी, एसडीएम तक के आवास से लेकर एचएयू और महाबीर स्टेडियम का मुख्य गेट है। इस फोरलेन में घोर अनियमित्ताएं सामने आ रही है उसके बाद भी अधिकांश मौन है। अब ताजा स्थिति बरसात में यहां जलभराव की हो गई है। पानी निकासी का प्रबंध न होने से हैफेड के सामने लंबे समय से बारिश का पानी एकजुट है। जिस कारण नई सड़क अब कमजोर होने लगी है।

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केस-3

एक लाख में होती जलनिकासी इंजीनियरों की हठधर्मिता से 17 लाख लगें

बस स्टैंड के पीछे से साउथ बाइपास तक :

सीएम की घोषणा के तहत बस स्टैंड का पिछला गेट खुलना था। इसके लिए साउथ बाइपास से करीब पांच करोड़ की लागत से सड़क निर्माण भी हुआ। इंजीनियरों को पार्षद व आमजन ने जलनिकासी के कहने के बावजूद उन्होंने जलनिकासी का यहां प्रबंध नहीं किया। पार्षद अनिल जैन ने कहा उस समय केवल एक लाख की लागत से जलनिकासी हो जाती। बाद में करीब 17 लाख रुपये खर्चें। यहीं नहीं यह सड़क अब टूटने लगी है। इस पर भी जब अफसर पानी निकासी का डमो करने गए तो एक व्यक्ति ने सड़क पर पानी डालकर इंजीनियरों को कहा इसकी निकासी करके दिखाओ इंजीनियर केवल मूकदर्शक बनने के अलावा कुछ कर ही नहीं पाए । क्योंकि जलनिकासी व्यवस्था लचर थी।

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केस -4

बालसमंद रोड से घोडाफार्म रोड

विधायक आवास के पास बालसमंद रोड से घोडाफार्म रोड पर निर्माण से लेकर मरम्मत तक काफी राशि खर्च हो चुकी है। विधायक के घर के पास इस सड़क पर सालों से जलभराव रहता है जो निकासी नहीं होने के कारण कई दिन तक भरा रहता है। ऐसे में इंजीनियरों ने इसपर भी कभी ध्यान नहीं दिया।

केस-5

इंडस्ट्रियल एरिया

इंडस्ट्रियल एरिया वह क्षेत्र है जहां से सरकार को करोड़ों रुपये के टैक्स की आय होती है। इस क्षेत्र में सीसी की सड़क भी बनाई। लेकिन जलनिकासी का उचित प्रबंध न होने के कारण यहां से जलनिकासी ही नहीं हो पा रही है। अब सड़क टूटने लगी है।

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ये भी जानें

पार्षद उमेद खन्ना ने कहा कि हिसार के इंजीनियरों की इंजीनियरिग को इतनी बेहतर है सरकार को जांच बैठकर उन्हें सम्मान देना चाहिए। मेरे वार्ड-6 सहित वार्ड-7, वार्ड-8 और वार्ड-5 से 12 क्वार्टर रोड जुड़ा है। यहां सड़क बनाई और बरसाती नाला भी बनाया। दोनों के निर्माण पर आज भी सवाल उठे है। पानी निकासी की बेहतर व्यवस्था आज भी नहीं है।

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वर्जन

सरकार विकास के लिए करोड़ों की राशि दे रही है। लेकिन लगता है कि जिम्मेदार अफसर ईमानदारी से अपना काम नहीं कर रहे है। मैंने पहले भी इंजीनियरों और आला अफसरों को विकास कार्यों को बेहतर करने के संबंध में कहा था। जहां जलभराव के कारण सड़कों को नुकसान हो रहा है। उनके बारे में इंजीनियरों व अफसरों से बातचीत की जाएगी। ताकि जनता के पैसे को बर्बाद होने से बचाया जा सकें।

- गौतम सरदाना, मेयर, नगर निगम हिसार।

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