Weather Update: हरियाणा में लगातार बदल रहा है मौसम का मिजाज, किसान इन बातों का रखें ध्यान
हरियाणा में मौसम का मिजाज शनिवार को फिर से बदल गया। चौपटा क्षेत्र में सुबह से बूंदाबांदी शुरू हो गई। इसी के साथ गुडियाखेड़ा बकरियावाली ढूकड़ा जमाल सहित कई गांवों में 15 एमएम बारिश हुई। बारिश होने से कपास की फसल में जलभराव हो गया।
जागरण संवाददाता, सिरसा। हरियाणा में मौसम का मिजाज लगातार बदल रहा है। धूप और बारिश के बीच आंख मिचौली का खेल अब भी जारी है। मौसम का मिजाज शनिवार को फिर से बदल गया। चौपटा क्षेत्र में सुबह से बूंदाबांदी शुरू हो गई। इसी के साथ गुडियाखेड़ा, बकरियावाली, ढूकड़ा, जमाल सहित कई गांवों में 15 एमएम बारिश हुई। बारिश होने से कपास की फसल में जलभराव हो गया। जिससे कपास की फसल को नुकसान हुआ है। बारिश होने से तापमान में गिरावट आई है। शनिवार को अधिकतम तापमान 32.1 डिग्री व न्यूनतम तापमान 24.5 डिग्री रहा। जबकि शुक्रवार को अधिकतम तापमान 33.6 डिग्री व न्यूनतम तापमान 26.4 डिगी रहा। मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार अगले दो से चार दिनों में प्रदेश के कुछ क्षेत्रों में हल्की बारिश हो सकती है।
आने वाले दिनों में ऐसा रहेगा मौसम
हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के कृषि मौसम विज्ञान विभाग के अध्यक्ष डा. मदन खिचड़ के मुताबिक एक साइक्लोनिक सर्कुलेशन उत्तर पाश्चिमी राजस्थान व इस के साथ लगते पंजाब के पास बने होने से राज्य में मानसून 11 सितम्बर तक सक्रिय रहेगा। 11 सितम्बर तक ज्यादातर क्षेत्रों में आमतौर पर परिवर्तनशील रहने से कहीं कहीं बारिश होने की संभावना है। जिससे दिन और रात के तापमान में हल्की गिरावट होने की संभावना है। इसके साथ- साथ व हवा में नमी की अधिकता बने रहने की संभावना है। प्रदेश के पांच जिले अंबाला, भिवानी, पंचकूला, रोहतक व यमुनानगर में बारिश अभी भी सामान्य से काफी कम है।
फसलों को हो रहा बारिश से कहीं फायदा कहीं नुकसान
एक ओर जहां बारिश होने से किसानों को फायदा पहुंचा है। तो वहीं कुछ किसानों को बारिश से निराशा हाथ लगी है। बारिश होने से कपास की फसल में जलभराव हो गया। जिससे कपास की फसल को नुकसान हुआ है। वहीं धान की फसल के लिए बारिश काफी अच्छी होती है। ऐसे में फसलों में पानी की कमी भी इससे दूर होगी।
किसान इन बातों का रखें ध्यान
मौसम विज्ञान विभाग ने किसानों को फसलों व सब्जियों की सिंचाई व रसायन का छिड़काव रोकने की सलाह दी गई है। हालांकि ग्वार की फसर में यह बारिश नमी लाने का काम करेगी जिससे फसल को नुकसान भी पहुंच सकता है। क्योंकि ग्वार में पहले से ही कई रोग लगे हुए हैं।