20 सालों से पानी की बूंद-बूंद के लिए संघर्ष कर रहे हैं कुलाना गांव के लोग

पंकज नागपाल हांसी बेशक आज पूरी दुनिया संयुक्त राष्ट्र के आह्वान पर विश्व जल दिवस मनाकर प

By JagranEdited By: Publish:Mon, 22 Mar 2021 07:01 AM (IST) Updated:Mon, 22 Mar 2021 07:01 AM (IST)
20 सालों से पानी की बूंद-बूंद के लिए संघर्ष कर रहे हैं कुलाना गांव के लोग
20 सालों से पानी की बूंद-बूंद के लिए संघर्ष कर रहे हैं कुलाना गांव के लोग

पंकज नागपाल, हांसी

बेशक आज पूरी दुनिया संयुक्त राष्ट्र के आह्वान पर विश्व जल दिवस मनाकर पानी की महत्ता के प्रति नागरिकों को जागरूक करने का काम कर रही है, लेकिन हिसार जिले की तहसील हांसी के अंतर्गत कुलाना एक ऐसा गांव है जहां के बाशिदे सालों से पानी की बूंद-बूंद के लिए संघर्ष कर रहे हैं और उनका हर दिन पर्याप्त पानी के इंतजार में बीत रहा है। जी हां, आपको बता दें कि कुलाना गांव में पेयजल व सिचाई के पानी की समस्या कोई पिछले एक-दो महीने की नहीं है बल्कि पिछले 20 वर्षों से गांव के लोग पानी के लिए जूझ रहे हैं। सबसे बड़ी बात यह है कि ग्रामीण क्षेत्र का सबसे बड़ा जल घर कुलाना गांव में ही बना हुआ है लेकिन इस जलघर में बने टैंक पूरी तरह से सूख चुके हैं। दो दशक पहले तक आसपास के 9 गांवों की प्यास बुझाने वाला कुलाना गांव आज बूंद-बूंद पानी के लिए भी जन स्वास्थ्य एवं अभियांत्रिकी विभाग के अधिकारियों व सरकार के नुमाइंदों की ओर देख रहा है। पानी के अभाव में गांव कुलाना के निवासियों की हालत आज इस कदर बदतर हो गई है कि यहां इंसानों के साथ साथ पशु-परिदे भी पेयजल को तरस रहे हैं। इतना ही नहीं, सिचाई के लिए भी पर्याप्त पानी उपलब्ध नहीं है जिस वजह से गांव के किसानों की उम्मीद भी हर बार दम तोड़ जाती है। सबसे बड़ी चिता की बात यह है कि ग्रामीणों को पिछले 20 वर्षों से न तो सिचाई का पर्याप्त पानी उपलब्ध हो रहा है और ना ही जमीन का पानी भी पीने व सिचाई करने योग्य है। 10 हजार की आबादी वाले कुलाना गांव को अपनी प्यास बुझाने के लिए अधिकांश गांव के जलघर परिसर में लगे 3 हैंडपंपों पर ही निर्भर रहना पड़ रहा है। हैरत की बात यह है कि गर्मी के मौसम में तो ये तीनों हैंडपंप भी पानी छोड़ जाते हैं। ऐसी स्थिति में ग्रामीणों को खुद अपनी जेब ढीली करके टैंकरों के माध्यम से पानी मंगवाना पड़ता है। गर्मी हो या सर्दी, हर मौसम में सिर पर टोकनी व मटके रखकर महिलाओं को पानी लेने के लिए जाते हुए देखा जा सकता है। बाक्स: गर्मियों में और बदतर हो जाएंगे हालात कुलाना की यदि वर्तमान स्थिति का जिक्र किया जाए तो जल घर के दोनों बड़े टैंक सूख चुके हैं। इसके अलावा पशुओं के लिए बने गांव के दोनों जोहड़ भी सूख गए हैं। गर्मी की शुरुआत से ही ऐसी हालत बन गई है तो गर्मी जब अपना रौद्र रूप दिखाएगी तब ग्रामीणों व पशुओं की स्थिति क्या होगी, इसका अंदाजा सहज ही लगाया जा सकता है। ग्रामीणों को पानी मुहैया करवाने के लिए गांव के पूर्व सरपंच मेवा सिंह के नेतृत्व में ग्रामीण जनस्वास्थ्य एवं अभियांत्रिकी विभाग के अधिकारियों से भी कई बार मिल चुके हैं लेकिन पानी की समस्या का कोई समाधान नहीं हो पाया है। बाक्स: पूर्व सरपंच मेवा सिंह आए आगे, खुद पैसे खर्च कर ग्रामीणों के लिए कर रहे पानी की व्यवस्था पूर्व सरपंच मेवा सिंह ने खुद पैसे खर्च करके जागरूक ग्रामीणों के सहयोग से भाटला-माईनर से किसानों के खेतों के हिस्से का पानी जेसीबी के माध्यम से अपने खेतों को खोदकर गांव के जल घर में पानी भरने की कोशिश की जा रही है। पूर्व सरपंच मेवा सिंह व ग्रामीणों ने जन स्वास्थ्य अभियंत्रिकी विभाग के अधिकारियों सहित जिले के उच्च अधिकारियों को चेतावनी देते हुए कहा कि यदि एक सप्ताह तक पानी की समस्या का समाधान नहीं किया गया तो ग्रामीण गांव के जल घर को ताला जड़ने से भी पीछे नहीं हटेंगे जिसकी जिम्मेदारी अधिकारियों की होगी। बाक्स: महज रिकार्ड में आता है बीड़ माइनर रजवाहे से जलघर में पानी गांव कुलाना में 80 के दशक से ही बड़ा जलघर बना हुआ है। मह•ा रिकॉर्ड में बीड़ माईनर रजबाहे से पानी जलघर तक आता है लेकिन वास्तव में इस माइनर से जलघर तक पानी पहुँच ही नहीं पाता। गांव के बड़े जलघर में दो बड़े पानी के टैंक बने हुए हैं। जब कभी इनमें पानी होता भी है तो चार दिन में एक बार मात्र 10 मिनट के लिए ही वाटर सप्लाई दी जाती है। जलघर में सभी प्रकार के फिल्टर व कैमिकल उपलब्ध होने के बावजूद भी पानी की सप्लाई सीधी दी जाती है जिस कारण पानी फिल्टर न होने से पीने लायक नहीं होता।

- डा. संदीप सिंहमार, पूर्व ब्लॉक समिति सदस्य

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