प‍ंडित बीडी शर्मा विश्वविद्यालय में सजकर तैयार हुआ कुलपति आवास, बुधवार को ज्वाइन करेंगी स्‍थाई वीसी

पंडित भगवत दयाल शर्मा स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय को एक दिसंबर में स्थाई कुलपति मिल जाएगा। बताया जा रहा है कि डा. अनिता सक्सेना बतौर कुलपति एक दिसंबर को हेल्थ विवि में कार्यभार ग्रहण करेंगी। उनके लिए वीसी आवास को भी रैनोवेट करवाया जा चुका है।

By Manoj KumarEdited By: Publish:Mon, 29 Nov 2021 10:31 AM (IST) Updated:Mon, 29 Nov 2021 10:31 AM (IST)
प‍ंडित बीडी शर्मा विश्वविद्यालय में सजकर तैयार हुआ कुलपति आवास, बुधवार को ज्वाइन करेंगी स्‍थाई वीसी
पंडित बीडी शर्मा विश्‍वविद्यालय में बतौर वीसी डा. अनिता सक्सेना एक दिसंबर से संभालेंगे हेल्थ विवि की कमान

जागरण संवाददाता, रोहतक : लंबे समय से चला आ रहा इंतजार अब खत्‍म होने वाला है और पंडित भगवत दयाल शर्मा स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय को एक दिसंबर में स्थाई कुलपति मिल जाएगा। बताया जा रहा है कि डा. अनिता सक्सेना बतौर कुलपति एक दिसंबर को हेल्थ विवि में कार्यभार ग्रहण करेंगी। उनके लिए वीसी आवास को भी रैनोवेट करवाया जा चुका है। आखिरकार पांच माह के अंतराल पर हेल्थ विवि को स्थाई कुलपति मिलने जा रहा है। उसके बाद यहां के काफी मुद्दे हैं, जो कि सुलझने के आसार बन गए हैं।

-खुलेगा निदेशक इंटरव्यू का रास्ता

वीसी डा. अनिता सक्सेना के ज्वाइन करते ही निदेशक पद के लिए भी इंटरव्यू का रास्ता खुल जाएगा। उम्मीद की जा रही है कि दस दिसंबर तक स्थाई निदेशक के लिए इंटरव्यू शेड्यूल हो जाएंगे व दिसंबर के अंत तक निदेशक की घोषणा हो सकेगी। फिलहाल निदेशक का कार्यभार डा. गीता गठवाला व एमएस का कार्यभार डा. ईश्वर सिंह संभाल रहे हैं।

-सुपरीटेंडेंट जांच पर होगा फैसला

सुपरीटेंडेंट महेंद्र सिंह के खिलाफ निदेशक कार्यालय की ओर से बैठाई गई जांच पर भी नई वीसी आने के बाद ही होगा। निदेशक ने पत्र तो जारी कर दिया है लेकिन अभी तक कमेटी की ओर से जांच प्रकि्रया को आगे नहीं बढ़ाई गई है। जांच कमेटी नई वीसी के ज्वाइन करने का इंतजार कर रहे हैं। जांच कमेटी को असंमजस है कि कहीं वे जांच शुरु कर दें और नई वीसी जांच प्रकि्रया को नए सिरे से न शुरु करवा दे।

-खत्म होगी अंदरुनी राजनीति

पंडित भगवत दयाल शर्मा स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय में इस समय अंदरुनी राजनीति चल रही है। नई कुलपति के आने से अंदरुनी राजनीति पर भी रोक लगेगी। क्योंकि कुलपति यहीं से न होने के कारण यहां पर चल रही गुटबाजी नहीं हो सकेगी। खेमेबंदी का ही परिणाम है कि यहां आए दिन किसी न किसी चिकित्सक के खिलाफ जांच शुरु होती रहती है।

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