किसानों के खेत का पानी बचाने के साथ लाभकारी साबित होगी वर्टिकल फार्मिंग
जागरण संवाददाता हिसार हरियाणा में पानी बचाने को लेकर सरकार अलग-अलग स्तर पर प्रयास क
जागरण संवाददाता, हिसार : हरियाणा में पानी बचाने को लेकर सरकार अलग-अलग स्तर पर प्रयास कर रही है। वर्टिकल फार्मिंग के जरिए किसान पानी बचाने के साथ अच्छी फसल भी दे सकते हैं। सरकार वर्टिकल फार्मिंग को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न विधियों के लिए किसानों को अनुदान प्रदान कर रही है। भविष्य में पानी की कमी तथा घटती जोत के मद्देनजर किसानों के लिए वर्टिकल फार्मिंग लाभकारी सौदा साबित हो सकती है। सब्जियों की काश्त में तो वर्टिकल खेती बेहद लाभकारी है।
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बेल वाली सब्जियों के उत्पादन में प्रयोग आती है यह विधि
यह खेती बांस-तार के साथ अधिकतर बेल वाली सब्जियों के उत्पादन के लिए की जाती है। इस विधि को अपनाकर किसान बेल वाली सब्जी जैसे लौकी, तोरी, करेला, खीरा, खरबूजा, तरबूज व टमाटर आदि का उत्पादन करके अपनी आमदनी को बढ़ा सकता है। आमतौर पर बेल वाली सब्जी सीधी भूमि पर लगाने से उत्पादन कम होता है। इस विधि में बीमारी एवं कीट आदि लगने से उत्पादन लागत भी बढ़ जाती है। वर्टीकल फार्मिंग में किसान को एक एकड़ में 60 एमएम आकार के 560 बांस चार गुणा दो मीटर क्षेत्र में लगाने होते हैं, जिसमें बांस की ऊंचाई लगभग आठ फीट होनी चाहिए। सभी बांसों को तीन एमएम के तीन तारों की लेयर से बांधना होता है। इसके साथ-साथ जूट अथवा प्लास्टिक की सुतली फसल की स्पोर्ट के लिए लगाई जाती है। इस विधि पर किसान का लगभग 60 हजार रुपए का खर्च आता है, जिस पर 31 हजार 200 रुपए प्रति एकड़ किसान को अनुदान प्रदान किया जाता है।
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आयरन स्टाकिग विधि भी अपना सकते हैं किसान
बांस-तार के अतिरिक्त आयरन स्टाकिग विधि भी एक अन्य प्रचलित विधि है, जिसमें बांस-तार की जगह लोहे की एंगल लगाकर ढांचा बनाया जाता है और इस पर बेल वाली सब्जियां लगाई जाती हैं। इस विधि पर प्रति एकड़ लगभग एक लाख 42 हजार रुपये खर्च आता है, जिस पर बागवानी विभाग 70 हजार 500 रुपये प्रति एकड़ का अनुदान किसानों को देता है।