मोलिक्युलर बायोलोजी के प्रयोग से कम समय में बना सकते हैं वैक्सीन

लाला लाजपत राय पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान विवि के बायोटेक्नोलाजी विभाग में हुआ कार्यक्रम।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 17 Sep 2021 11:54 PM (IST) Updated:Fri, 17 Sep 2021 11:54 PM (IST)
मोलिक्युलर बायोलोजी के प्रयोग से कम समय में बना सकते हैं वैक्सीन
मोलिक्युलर बायोलोजी के प्रयोग से कम समय में बना सकते हैं वैक्सीन

जागरण संवाददाता, हिसार : लाला लाजपत राय पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान विवि के बायोटेक्नोलाजी विभाग द्वारा दिए जा रहे हैं। प्रशिक्षण कार्यक्रम में डा. अजीत सिंह इमेरेटस प्रोफेसर सूक्ष्म जीव विज्ञान विभाग द्वारा वैक्सीन निर्माण में बायोटेक्नोलाजी का प्रयोग तथा वैक्सीन निर्माण की प्रक्रिया एवं शरीर द्वारा इसके प्रयोग की प्रक्रिया पर लेक्चर का आयोजन किया गया। 9 सितम्बर से 29 सितंबर तक आयोजित इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में वैज्ञानिक एवं शोध छात्र भाग ले रहे हैं। प्रशिक्षण कार्यक्रम के संयोजक डा. अमन सिन्हा ने लेक्चर में वैक्सीन निर्माण की पूरी प्रक्रिया के बारे में विस्तार से बताया गया। डा. अजीत सिंह ने बताया कि वैक्सीन निर्माण में मोलिक्युलर बायोलोजी के प्रयोग के द्वारा हम परम्परागत तकनीक के मुकाबले काफी कम समय लगा कर वैक्सीन का निर्माण कर सकते है। वैक्सीन को सब यूनिट या डीएनए तकनीक या आरएनए तकनीक के द्वारा एक से दो वर्षों में ही बनाया जा सकता है। इसके साथ-साथ आधुनिक मोलिक्युलर बायोलोजी के प्रयोग से निर्माण लागत में भी काफी कमी आती है। उन्होंने वैक्सीन लगाने के बाद शरीर की प्रक्रियाओं को विस्तार से जानकारी दी गई। कोविड वायरस के लिए निर्मित वैक्सीन कैसे बनती है, यह शरीर पर क्या असर करती है इसकी जानकारी प्रतिभागियों को दी गई। उन्होंने बताया कि वैक्सीन द्वारा तैयार एंटीबाडी लम्बे समय तक नही रहती इसलिए दूसरी डोज दी जाती है यदि उसके बाद बूस्टर डोज के रूप में दूसरी वैक्सीन लगवाई जाए तो शरीर में एंटीबाडी लम्बे समय तक रहती है । यह बात चीन में किए गए शोध एवं भारतीय चिकित्सा अनुसंधान केंद्र द्वारा किए गए शोध में भी सामने आई है ।

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