रोहतक में होगी अनूठी शादी : सात फेरों से पहले थैलेसीमिया मरीजों के लिए होगा रक्तदान, करवाई जांच
रोहतक में शादी से पहले जन्म कुंडली के साथ रक्त कुंडली (रक्त जांच) होगी। कुछ सामाजिक संगठनों ने थैलेसीमिया से निजात दिलाने के लिए नई पहल शुरू की है। शादी से पहले लड़की और लड़के के स्वजनों की सहमति के बाद रक्त जांच कराई जाएगी।
अरुण शर्मा, रोहतक। रोहतक में अनूठी शादी होगी। सात फेरों से एक दिन पहले रक्तदान शिविर का आयोजन होगा। 11 जुलाई को शादी है। जबकि शनिवार को थैलेसीमिया जांच कराई। एमटीएफसी संस्था की कोर सदस्या व गरीब बच्चों के लिए कार्य करने वाली गांधी कैंप निवासी ज्योति की शादी 11 जुलाई को है। ज्योति की शादी चरखी-दादरी के सावड़ गांव निवासी दीपक से तय हुई है। दीपक एक निजी कंपनी में कार्य करते हैं और फास्ट फूड की दुकान भी है। ज्योति कम्प्यूटर साइंस से एमएससी करके मास्टर आफ सोशल वर्क की पढ़ाई कर रही हैं।
शनिवार को पीजीआइ में पहुंचकर ज्योति व दीपक ने थैलेसीमिया की जांच कराई। संस्था प्रधान नरेश ढल, पालिका बाजार एसोसिएशन के प्रधान गुलशन निझावन, मां दानो देवी धर्मार्थ ट्रस्ट के संचालक तस्वीर सिंह हुड्डा ने तय किया है कि ज्योति-दीपक की शादी से एक दिन पहले यानी 10 जुलाई को रक्तदान कैंप लगाया जाएगा। रोहतक शहर में शादी से पहले थैलेसीमिया की जांच व रक्तदान शिविर के आयोजन को अनूठी पहल माना जा रहा है।
अभियान का आइडिया कैसे मिला इसे लेकर रक्तदान शिविरों से जुड़े गुलशन निझावन ने बताया कि पीजीआइएमएस(पंडित भगवत दयाल शर्मा स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय) में करीब दो सप्ताह पहले थैलेसीमिया पीड़ितों के लिए रक्त की कमी सामने आई थी। इसलिए 30 रक्तदाताओं ने पीजीआइ में पहुंचकर रक्तदान किया। वहीं से यही संकल्प लिया कि भविष्य में थैलेसीमिया को खत्म करने के लिए जागरूकता अभियान शुरू किए जाएं। हम और आप सामाजिक संस्था व एमटीएफसी संस्था ने जागरूकता की पहल शुरू कर दी है। इन्होंने कहा कि पीजीआइ में थैलेसीमिया की जांच मुफ्त होगी है।
शादी से पहले स्वास्थ्य कुंडली का भी मिलान जरूरी
गुलशन निझावन कहते हैं कि रोहतक में शादी से पहले जन्म कुंडली के साथ रक्त कुंडली (रक्त जांच) होगी। कुछ सामाजिक संगठनों ने थैलेसीमिया से निजात दिलाने के लिए नई पहल शुरू की है। शादी से पहले लड़की और लड़के के स्वजनों की सहमति के बाद रक्त जांच कराई जाएगी। शादी से पहले जांच का यही फायदा होगा कि लड़के या फिर लड़की को थैलेसीमिया से संबंधित कोई दिक्कत है तो उसका इलाज समय पर कराया जा सकता है। इससे आने वाली संतानें भी निरोगी रहेंगी।
नेत्रदान के लिए भी भरा फार्म
हम और आप संस्था के पदाधिकारियों का कहना है कि ज्योति का जांच के दौरान हीमोग्लोबिन कम मिला। थैलेसीमिया की जांच के बाद दोनों ने रक्तदान किया। इसके बाद दीपक और ज्योति ने नेत्रदान करने का संकल्प लेकर पीजीआइ में फार्म भरा। इन्होंने बताया कि 14 जून से अभियान शुरू किया है।
यह है थैलेसीमिया : रक्त संबंधी रोग में जीवन हो जाता है कष्टकारी
थैलेसीमिया बच्चों को माता-पिता से अनुवांशिक तौर पर मिलने वाला रक्त संबंधी रोग है। इस रोग में शरीर की हीमोग्लोबिन निर्माण प्रक्रिया में गड़बड़ी हो जाती है। इस कारण रक्तक्षीणता के लक्षण प्रकट होते हैं। इसकी पहचान तीन माह की आयु के बाद ही होती है। बच्चे के शरीर में रक्त की भारी कमी होने लगती है जिसके कारण उसे बार-बार बाहरी खून चढ़ाने की आवश्यकता होती है। कुछ रोगियों को 10 से 15 दिनों के अंतराल में ही रक्त चढ़ाना पड़ता है।
----हमारे समाज में शादियां तय करने से पहले लड़के-लड़कियों की कुंडली मिलाने का रिवाज है। हमारी यही पहल है कि लोग कुंडली के साथ-साथ स्वास्थ्य कुंडली भी मिलाएं। स्वास्थ्य कुंडली में थैलेसीमिया, एड्स, हेपेटाइटिस-बी और सी आदि बीमारियों का पता चलने के साथ ही इलाज से स्वस्थ्य भी हो सकते हैं।
गुलशन निझावन, रक्तदानी एवं समाजसेवी