यूएलबी ने आवारा कुत्तों के बधियाकरण का बनाया मास्टर प्लान

पवन सिरोवा हिसार आवारा कुत्तों के आतंक से शहर को राहत मिलने की उम्मीद जगी है। शह

By JagranEdited By: Publish:Sat, 16 Jan 2021 06:05 AM (IST) Updated:Sat, 16 Jan 2021 06:05 AM (IST)
यूएलबी ने आवारा कुत्तों के बधियाकरण का बनाया मास्टर प्लान
यूएलबी ने आवारा कुत्तों के बधियाकरण का बनाया मास्टर प्लान

पवन सिरोवा, हिसार

आवारा कुत्तों के आतंक से शहर को राहत मिलने की उम्मीद जगी है। शहरी स्थानीय निकाय विभाग हरियाणा (यूएलबी) ने आवारा कुत्तों की संख्या को नियंत्रित करने के लिए मास्टर प्लान तैयार किया है। जिसे आगामी समय में जिला स्तर पर सिरे चढ़ाया जाएगा। एबीसी (एनिमल बर्थ कंट्रोल) प्रोग्राम के तहत शहर में एक बार फिर से कुत्तों बधियाकरण का कार्य शुरू होगा। इसके लिए नगर निगम ने पूर्व में सर्वे कर जिन कुत्तों का सर्वे करते हुए फोटो सहित रिकार्ड तैयार किया था अब उन कुत्तों को तलाश कर नगर निगम उनकी नसबंदी यानि बधियाकरण करवाएगा। इसके लिए नगर निगम प्रशासन की स्वास्थ्य शाखा स्टाफ ने कागजी औपचारिकताएं शुरु कर दी है।

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सूर्य नगर में है सर्वाधिक आवारा कुत्तें

शहर के सूर्य नगर में सर्वाधिक कुत्ते है। नगर निगम प्रशासन की ओर से फरवरी 2020 में शहर के विभिन्न क्षेत्रों में सर्वे करवाया गया था। जिसमें पाया गया कि सूर्य नगर में 1100 आवारा कुत्ते है। जिनकी नगर निगम की टीम ने बाकायदा फोटो तक खिची थी। पहले चरण में नगर निगम प्रशासन ने सर्वे में 3773 आवारा कुत्तों की पहचान की थी। निगम प्रशासन ने कुत्तों की गणना अपनी इच्छा शक्ति से नहीं बल्कि 23 जनवरी 2020 को भारतीय जीव जंतु कल्याण बोर्ड (एडब्ल्यूबीआइ) ने मुख्य सचिव हरियाणा सरकार, प्रधान सचिव पशुपालन एवं डेयरी विभाग और प्रधान सचिव शहरी स्थानीय निकाय विभाग हरियाणा को पत्र भेजकर एनिमल बर्थ कंट्रोल करने के बारे में दिशा निर्देश दिए। जिसके तहत 19 फरवरी 2020 को यूएलबी ने प्रदेश के डीसी व निगम कमिश्नर को आवारा कुत्तों की गणना के आदेश दिए। गणना के बाद आवारा कुत्तों पर प्रभावी नियंत्रण एवं रोकथाम के लिए उनका बधियाकरण (स्टरलाइजेशन) का कार्य करवाया जा सके। इसी कड़ी में अब बधियाकरण शुरु होगा।

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साल 2015-16 में 18550 कुत्तों का हुआ था बधियाकरण

नेशनल रैबीज कंट्रोल प्रोग्राम के अंतर्गत हिसार में जुलाई 2015 से 31 मई 2016 तक कुत्तों का बधियाकरण हुआ था। इस दौरान टीम ने हिसार में 18550 कुत्तों का बधियाकरण किया जिसके चलते उनकी संख्या पर कंट्रोल हो पाया। लेकिन यह प्रोग्राम पूरा सिरे चढ़ाने की बजाए बीच में ही रोकना पड़ा। जिसके कारण आवारा कुत्तों की संख्या में इजाफा हो गया है।

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आवारा कुत्तों का कहर, छह माह में 250 बने शिकार

हिसार में आवारा कुत्तों का कहर है। स्वास्थ्य विभाग के अनुसार लॉकडाउन के दौरान ही पिछले छह माह में करीब 250 लोग कुत्तों के शिकार हो गए है। जिन्होंने उपचार के दौरान अस्पताल से टीके लगवाने पड़े। शहर में औसतन एक से अधिक लोग अस्पताल में कुत्तें के काटने के कारण उपचार करवाने पहुंच रहे है। शहर में सेक्टर से लेकर कॉलोनी तक में कुत्तों का कहर है। स्थिति ऐसी बनी हुई है कि लोग जिला प्रशासन से लेकर सीएम तक आवारा कुत्तों की समस्या के समाधान के लिए गुहार लगा चुके है।

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शहरवासी है लेब्रा डॉग व जर्मन शेफर्ड पालने के शौकीन

आवारा कुत्तों से जहां जनता परेशान है वहीं शहरवासी कुत्ते पालने के शौकीन भी है। हिसार के लोगों की पहली पसंद लेब्रा डॉग है। इसके बाद जर्मन शेफर्ड, पग और रोट व्हीलर लोगों की पसंद में शामिल है। लेब्रा डॉग पालने के पीछे का अहम कारण इनकी समझदारी और सूंघने की शक्ति सहित इनके पालन का खर्च भी कम है।

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ये है कमेटियां जिनकी मॉनिटरिग में होगा कार्य (एबीसी रूल 2001) स्टेट कमेटी : डीयूएलबी का एक्सइएन, पशुपालन एवं डेयरी विभाग से वेटनरी सर्जन, (पशु कल्याण) पशुपालन एवं डेयरी विभाग से उप निदेशक, भारतीय जीव जंतु कल्याण बोर्ड का एक प्रतिनिधि शामिल होंगे। जिला कमेटी : आयुक्त, एक प्रतिनिधि जनस्वास्थ्य विभाग, एक प्रतिनिधि पशु कल्याण विभाग, पशु चिकित्सक, एक प्रतिनिधि जिला सोसायटी सहित करीब 7 लोगों को कमेटी में रखा जाएगा।

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आवारा कुत्तों की नसबंदी के संबंध में आगामी समय में कार्य किया जाएगा। एबीसी प्रोग्राम के संबंध में यूएलबी की ओर से पत्र आया है। स्वास्थ्य शाखा उसके बारे में कार्य कर रही है।

- अशोक कुमार गर्ग, कमिश्नर, नगर निगम हिसार।

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