पौधारोपण ही एकमात्र उपाय जिससे पीएम (पार्टिकुलेट मैटर) को किया जा सकता है काबू

प्रदूषण ने लोगों को पीएम (पार्टिकुलेट मैटर) 2.5 और पीएम 10 जैसे शब्दों से रूबरू कराया है। जिनके बढ़ने पर दम घुटने लगता है। पर्यावरणविद् मानते हैं कि प्रदूषण का समाधान प्रकृति ही दे सकती है। जिसका उदाहरण लॉकडाउन में ही सामने आ गया।

By Manoj KumarEdited By: Publish:Sun, 25 Oct 2020 04:16 PM (IST) Updated:Sun, 25 Oct 2020 04:16 PM (IST)
पौधारोपण ही एकमात्र उपाय जिससे पीएम (पार्टिकुलेट मैटर) को किया जा सकता है काबू
हरियाणा में अब वायु प्रदूषण लगातार बढ़ता ही जा रहा है

हिसार, जेएनएन। जीवनदायनी प्रकृति का संतुलन बिगाड़ने में लोगों ने काेई कोर कसर नहीं छोड़ी है। यही कारण है कि प्रदूषण लगातार कुछ वर्षों से खतरे के निशान पर दिखाई देने के साथ लाखों लाेगों की जान तक ले चुका है। प्रदूषण ने लोगों को पीएम (पार्टिकुलेट मैटर) 2.5 और पीएम 10 जैसे शब्दों से रूबरू कराया है। जिनके बढ़ने पर दम घुटने लगता है। पर्यावरणविद् मानते हैं कि प्रदूषण का समाधान प्रकृति ही दे सकती है। जिसका उदाहरण लॉकडाउन में ही सामने आ गया। सब कुछ बंद हुआ तो पेड़ पौधों से लेकर नदियां तक साफ हो गई और प्रदूषण गिर गया। हिसार के जिला वन अधिकारी डा. सुनील ढाका बताते हैं कि प्रदूषण को कम करने के लिए कई प्रकार की रणनीति बनाने की जरूरत है। जिसमें पौधारोपण सबसे अहम काम है।

गलियों में पौधारोपण

प्रदूषण को करने करने का काम पेड़ पौधे करते हैं। इसलिए शहरों को गलियों में पौधारोपण के कॉन्सेप्ट पर जाना होगा। गलियों में ऐसे पौधे लगाने होंगे तो हवा को साफ करने का काम करते हैं। विदेशों में कई स्थानों पर शहरीकरण हुआ तो इस कॉन्सेप्ट को वरीयता दी गई। यही कारण है कि वहां लोगों को घर के आसपास साफ स्वच्छ हवा मिलती है। सिर्फ प्रदूषण ही नहीं बल्कि पेड़ पौधे तापमान को कम करने का काम भी करते हैं।

यातायात के साधनों को ईको फ्रेंडली बनाना

प्रदूषण कम करने के लिए यातायात के साधनों पर नियंत्रण बहुत जरूरी है। इसके लिए तकनीकि रूप से बदलाव करने होंगे। ईको फ्रेंडली वाहनों का चलन बढ़ाना होगा। प्रदूषण में पीएम 10 के स्तर का बढ़ने का एक बड़ा कारण डीजल इंजन युक्त पुराने वाहन होते हैं। इन्हें कम किया जाना बहुत जरूरी है। वाहनों को सीएनजी जैसी गैसों से अनिवार्य रूप से चलाना होगा। इसका हर शहर में विस्तार करना होगा।

स्टेट ऑफ ग्लोबल एयर की रिपोर्ट में प्रदूषण से 16.7 लाख मौतें

- भारत में 2019 में वायु प्रदूषण से 16.7 लाख लोगों की मौत हुई, जिनमें से एक लाख से अधिक की उम्र एक महीने से कम थी।

- बाहरी एवं घर के अंदर पार्टिकुलेट मैटर प्रदूषण के कारण 2019 में नवजातों की पहले ही महीने में मौत की संख्या एक लाख 16 हजार से अधिक थी।

- इन मौतों में से अधिकांश पीएम 2.5 से जुड़ी हैं और कोयला, लकड़ी और गोबर के इस्तेमाल के कारण होने वाले प्रदूषण से जुड़ी हुई हैं।

वायु प्रदूषण से इन बीमारियों में हुई मौंतें

क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिसऑर्डर (सीओपीडी)- 60 फीसद

श्वसन संक्रमण- 43 फीसद

इस्केमिक- 35 फीसद

फेफड़े के कैंसर और इस्केमिक हृदय रोग- 32 फीसद

chat bot
आपका साथी