टोक्यो के लिए रवाना हुए पैरा एथलीट अरबिंद, पिता ने एयरपोर्ट पर दिया वियजी भव का आशीर्वाद
पैरालिंपिक को लेकर अब खिलाड़ियों का रवाना होना शुरू हो गया है। वीरवार को हिसार में जन्मे पैराएथलीट अरबिंद मलिक टोक्यो के लिए रवाना हो गए। इस दौरान उनके परिजन साथ रहे। अरबिंद ने टोक्यो जाने से पहले दिल्ली एयरपोर्ट पर पिता के पैर छूकर आर्शीवाद लिया
जागरण संवाददाता, हिसार। टोक्यो में आयोजित पैरालिंपिक को लेकर अब खिलाड़ियों का रवाना होना शुरू हो गया है। वीरवार को हिसार में जन्मे पैराएथलीट अरबिंद मलिक टोक्यो के लिए रवाना हो गए। इस दौरान उनके परिजन साथ रहे। अरबिंद ने टोक्यो जाने से पहले दिल्ली एयरपोर्ट पर पिता के पैर छूकर आर्शीवाद लिया तो बदले में पिता ने विजयी भव का आर्शीवाद दिया। इस दौरान दोनों की आंखें नम नजर आईं। अरबिंद के साथ कुछ अन्य परिजन भी दिखाई दिए। उन्होंने इंटरनेट मीडिया पर यह पोस्ट साझा भी की। अरबिंद हिसार के ढंढेरी गांव के रहने वाले हैं, मगर मौजूदा समय में रोहतक की राम गोपाल कालोनी में रह रहे हैं। उनके पिता जोगिंद्र मलिक हरियाणा पुलिस में सब इंस्पेक्टर हैं।
खास बात यह है कि अरबिंद के भाई भी खिलाड़ी हैं। अरबिंद शाटपुट के खिलाड़ी हैं। वह 2014 में एशियन चैंपियनशिप में भाग ले चुके हैं, 2017 में वर्ल्ड चैंपियनशिप भी खेली है और 2018 में एशियन खेलों में भी प्रतिभाग किया है। अब शुक्रवार को हिसार से पैरा एथलीट एकता भ्याण और तरुण ढिल्लो भी टोक्यो के लिए रवाना होंगे। एकता अपने पिता के साथ टोक्यो जा रही हैं। वहीं उनकी मां घर पर बेटी को जीतते हुए देखेंगी।
सात वर्ष की उम्र में हुई थी हेड इंजरी
सात वर्ष की उम्र में अरबिंद क्रिकेट खेल रहे थे तभी गलती से एक साथ का बैट उनके सिर पर जा लगा। इसके बाद उपचार चला, 72 घंटे कोमा में रहे। ठीक हुए तो पता चला कि एक पैर में कम स्ट्रेंथ है। एक दिन अपने पिता के साथ छोटे भाई का खेल देखने पहुंचे। वह बैडमिंटन खेलता था। तो वहां मौजूद कोच ने उन्हें पैरा एथलीट बनने की सलाह दी। कड़ी मेहनत के बाद उन्होंने अपने आप को डिस्कस थ्रो के लिए तैयार किया। फिर कुछ वर्ष बाद उनकी कटेगरी बदल दी गई और वह शाटपुट खेलने लगे।