Tokyo Paralympic: टोक्यो पहुंचे पैरालिंपियन योगेश कथूरिया, पिता से बोले, पदक जीतकर ही लौटूंगा

हरियाणा के बहादुरगढ़ के योगेश कथूरिया पैरालिंपिक में भाग लेने के लिए टोक्यो पहुंच चुके है। उनका मुकाबला 30 अगस्त को होना है जिसके लिए वो पूरी तरह से तैयार है। इससे पहले डिस्कस थ्रो खिलाड़ी योगेश ने ट्रायल में पहला स्थान हासिल किया था।

By Rajesh KumarEdited By: Publish:Thu, 26 Aug 2021 06:40 AM (IST) Updated:Thu, 26 Aug 2021 06:40 AM (IST)
Tokyo Paralympic: टोक्यो पहुंचे पैरालिंपियन योगेश कथूरिया, पिता से बोले, पदक जीतकर ही लौटूंगा
डिस्कस थ्रोअर योगेश कथूरिया टोक्यो में करेंगे भारत का प्रतिनिधित्व

जागरण संवाददाता, बहादुरगढ़। पैरालिंपिक गेम्स में भाग लेने के लिए बहादुरगढ़ की राधा कालोनी निवासी डिस्कस थ्रोअर (श्रेणी एफ-56) योगेश कथूरिया टोक्यो पहुंच गए हैं। उनका मुकाबला 30 अगस्त को होगा। टोक्यो रवाना होने से पहले योगेश ने अपने पिता ज्ञानचंद से वादा किया है कि वह पैरालिंपिक गेम्स में पदक जीतकर ही लौटूंगा। इसके लिए योगेश ने एक माह से भी ज्यादा समय तक कड़ी मेहनत की है। उधर, योगेश कथूरिया के टोक्यो रवाना होने से पहले ही शहर में उनकी जीत की कामना के लिए लोग उन्हें शुभकामना संदेश दे रहे हैं। गौरतलब है कि इससे पहले बहादुरगढ़ की इंदिरा मार्केट निवासी पैदल चाल खिलाड़ी राहुल रोहिल्ला ने ओलिंपिक में भाग लेकर क्षेत्र का नाम रोशन किया है। अब योगेश पैरालिंपिक में भाग लेने टोक्यो गया है। शहरवासियों को योगेश से काफी उम्मीदें हैं।

ट्रायल में पहले स्थान पर रहे 

योगेश ने बताया कि गत दिनों दिल्ली के जवाहर लाल नेहरू स्टेडियम में हुई ट्रायल में 45.58 मीटर दूर चक्का फेंककर उसने प्रथम स्थान हासिल किया था, जिसकी वजह से उनका चयन टोक्यो में होने वाले पैरालिंपिक गेम्स के लिए हुआ है। योगेश ने बताया कि उसने टोक्यो रवाना होने से बुधवार को पहले अपने पिता रिटायर्ड आनरेरी कैप्टन ज्ञानचंद से बातचीत की। इस दौरान उसने अपने पिता को पैरालिंपिक गेम्स में पदक जीतने का वादा किया है। वर्ष 1997 में जन्मे योगेश कथूरिया ने बताया कि वर्ष 2006 में उसके हाथ व पैर पैरालाइज हो गए थे। कुछ समय बाद हाथ कुछ ठीक हो गए।

वर्ष 2017 में जब वह दिल्ली यूनिवर्सिटी में पढ़ाई करता था, उस दौरान उनके दोस्त सचिन यादव ने गेम्स में भाग लेने के लिए उसे प्रोत्साहित किया। योगेश ने बताया कि जब वह मैदान में गेम्स खेलने के लिए जाने लगा तो डिस्कस थ्रो में मुझे स्कोप दिखाई दिया। बाद में मां मीना देवी व पिता ज्ञानचंद ने कहा कि जो भी करो, मन से करो सफलता जरूर मिलेगी। उसके बाद वह कड़ी मेहनत करने लगा और आज वह पैरालिंपिक गेम्स में भाग ले रहा है।

ये हैं योगेश की उपलब्धि

 - 2018 में पंचकुला में हुई राष्ट्रीय प्रतियोगिता में डिस्कस थ्रो में स्वर्ण पदक

- 2018 में बर्लिन में हुई ओपन ग्रेंडप्रिक्स में डिस्कस थ्रो में स्वर्ण पदक

- 2018 में इंडोनेशिया में हुए एशियन पैरा गेम्स चौथा स्थान

- 2019 में फरीदाबाद में हुई राज्य स्तरीय प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक 

- 2019 में पेरिस में हुई ओपन ग्रेंडप्रिक्स डिस्कस थ्रो में स्वर्ण पदक

- 2019 में दुबई में हुई वर्ल्ड चैंपियनशिप में कांस्य पदक

- 2021 में बेंगलुरू में हुई राष्ट्रीय प्रतियोगिता के डिस्कस थ्रो में स्वर्ण पदक

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