Tokyo Olympics: सविता पूनिया घर फोन कर बोलीं- पापा, जो रियो में न कर सके, इस बार करेंगे, गोल्ड लेकर लौटेंगे

Tokyo Olympics में भारतीय हॉकी टीम ने ऑस्ट्रेलिया को हराकर इतिहास रच दिया। इस जीत में सिरसा की सविता पूनिया का अहम रोल रहा। उनके प्रदर्शन को देख परिवार समेत उनके पूरे गांव में जश्न का माहौल है। सविता ने पिता को फोन कर गोल्ड जीतने का भरोसा दिलाया।

By Umesh KdhyaniEdited By: Publish:Mon, 02 Aug 2021 09:00 PM (IST) Updated:Mon, 02 Aug 2021 09:00 PM (IST)
Tokyo Olympics: सविता पूनिया घर फोन कर बोलीं- पापा, जो रियो में न कर सके, इस बार करेंगे, गोल्ड लेकर लौटेंगे
भारतीय टीम की जीत के बाद परिवार ने मिठाई बांटकर खुशी मनाई।

जागरण संवाददाता, सिरसा। टोक्यो ओलिंपिक में भारतीय हॉकी टीम की जीत में अहम भूमिका निभाने वाली सविता पूनिया के स्वजनों ने गांव जोधकां स्थित अपने आवास में मैच को लाइव देखा। लाइव के दौरान बार बार आस्ट्रेलिया टीम के आगे दीवार बनकर खड़ी अपनी बेटी सविता को देख कर पूरा परिवार फूलां नहीं समा रहा था। सविता पूनिया के पिता महेंद्र सिंह पूनिया बोले कि पूरी टीम बहुत अच्छा खेली। उन्होंने कहा कि बेटी सविता जैसे ही पेनल्टी रोक रही थी इससे टीम को काफी मजबूती मिली। भारतीय टीम की जीत के बाद परिवारजनों ने मिठाई बांटकर खुशी मनाई। सविता पूनिया के पिता महेंद्र सिंह को भी बधाई देने वालों का तांता लगा रहा तथा दिनभर उनका मोबाइल घनघनाता रहा।

सविता का दूसरा ओलिंपिक

सविता पूनिया दूसरी बार ओलिंपिक में भाग ले रही है। इससे पहले उन्होंने रियो ओलिंपिक में भाग लिया। हाकी में शानदार खेल प्रदर्शन के लिए 2018 में उन्हें अर्जुन अवार्ड से सम्मानित किया।

पिता को काल कर बोली सविता आइ एम सो हैप्पी, ड्रीम्स कम ट्रयू

क्वार्टर फाइनल मुकाबले में आस्ट्रेलिया टीम को हराने वाली टीम इंडिया की जीत में निर्णायक भूमिका निभाने वाली गोल कीपर सविता पूनिया ने कहा कि कुछ भी नहीं पता बस आइ एम सो हैप्पी, ड्रिम्स कम ट्रयू (मैं बहुत खुश हूं, सपने सच हुए)। अपने पिता महेंद्र सिंह पूनिया से मोबाइल पर बात करते हुए कहा कि टीम का आने से पहले गोल था कि मैच दर मैच आगे जाना है। टीम सैमीफाइनल में पहुंची है इसके लिए हम सबने बहुत मेहनत की है, पूरा डेडिकेशन दिया है। सविता ने कहा कि अब हमारा निशाना गोल्ड पर है। सभी खिलाड़ी बहुत अच्छा खेल रहे है, पापा आप चिंता ना करें हम गोल्ड जीतकर ही लौटेंगे। टीम इंडिया की जीत के बाद सविता पूनिया बहुत खुश दिखाई दी।

गांव जोधकां में स्वजनों ने टीम इंडिया का क्वार्टर फाइनल मुकाबला लाइव देखा

पिता ने ली थी छुट्टी, परिवार ने एक साथ देखा मैच

सविता पूनिया के पिता गांव जोधकां निवासी महेंद्र सिंह पूनिया ने बताया कि बीती शाम को सविता ने उन्हें काल कर कहा था कि मैच जरूर देखना, चिंता मत करना, जीतेंगे। महेंद्र पूनिया फार्मासिस्ट है और डिंग पीएचसी में उनकी डयूटी है। टीम के क्वार्टर फाइनल मुकाबले के लिए उन्हाेंने सोमवार को छुट्टी ली हुई थी और पत्नी लीलावती, मां उमा देवी, बेटे अशोक, बेटियां किरण व मंजू, पोती रावी सिंह ने मैच का लाइव प्रसारण देखा। आस्ट्रेलिया टीम की खिलाड़ी जब जब गोल करने के लिए आगे बढ़ी तो सविता पूनिया ने गोल कीपर के रूप में दीवार की भांति गेंद को रोका और टीम की जीत सुनिश्चित की। सविता के शानदार खेल प्रदर्शन से उसके स्वजन भी खुशी से झूमते दिखाई दिये।

सविता ने कहा था पापा आप दिल खोल कर मैच देखना, टीम बढ़िया खेलेगी

सविता पूनिया के पिता महेंद्र सिंह ने कहा कि पूरा देश बधाई का पात्र है, टीम इंडिया बधाई की पात्र है, जिस कारण आज यह दिन देखने को मिला है।टीम इंडिया ने इतिहास रचा है, लेकिन अभी दो पड़ाव पीछे है। हमें पूरी उम्मीद है कि भारतीय हॉकी टीम फाइनल खेलेगी। सविता की परफार्मेंस के बारे में कहा कि पेरेंट्स के रूप में उन्हें झिझक थी परंतु कल सविता ने उन्हें कांफिडेंट किया था कि पापा आप दिल खोल के मैच देखना। हमारी टीम बहुत बढ़िया करेगी और यही टीम इंडिया ने करके दिखा दिया। टीम इंडिया की जीत में पूरी टीम ने बहुत बढ़िया प्रदर्शन किया और अपनी योग्यता दिखाई। उन्हाेंने सविता को स्पेशल धन्यवाद करते हुए कहा कि नौ पेनलटी कॉर्नर रोकना अपने आप में बहुत बड़ी कामयाबी है। आज अकेली सविता का नहीं पूरी टीम का दिन था।

बुआ मेडल लेकर आए

सविता पूनिया की भतीजी रावी सिंह ने कहा हमारी सविता बुआ मेडल लाए और मुझे मेडल पहनाए। उसने कहा कि बुआ को मैच खेलते देख कर बहुत खुशी हुई। उसने कहा कि वह अपनी बुआ के लिए विक्ट्री चिन्ह बनाएंगी।

मां बोली बेटी बेटों से कम नहीं

सविता की मां लीलावती पूनिया ने कहा कि वह सारी टीम को बधाई देना चाहेगी। बेटी बेटों से कम नहीं। जो बेटे हैं भारत की बेटियों ने भी बहुत बढ़िया किया है। उन्हाेंने कहा कि वे दुआ करेंगी कि भारतीय टीम गोल्ड मैडल जीते।

हॉकी स्टिक पर लिखा है रक्षक

टोक्यो ओलंपिक में जीत में अहम भूमिका निभाने वाली भारतीय महिला हॉकी टीम की उप कप्तान सविता पूनिया बचपन में खेतों की पगडंडी पर तैयारियां करती थी। गांव जोधकां निवासी सविता पूनिया की गोल रक्षा के बलबूते ही टीम ओलिंपिक के सेमीफाइनल मुकाबले में पहुंची है। सविता की हाकी पर रक्षक लिखा हुआ है और क्वार्टर फाइनल मुकाबले में आस्ट्रेलिया जैसी सशक्त टीम को मात देने में उन्होंने वाकई में रक्षक की भूमिका निभाई। उन्होंने नौ पेनल्टी कार्नर रोक कर आस्ट्रेलिया टीम की आशाओं पर पानी फेर दिया और देश के करोड़ों खेल प्रशंसकों का दिल जीत लिया।

अपने खेतों में खेलती थी हॉकी

सविता का शुरुआती दौर काफी मुश्किलों भरा रहा है। स्कूली समय में हाकी की शुरूआत सविता ने शिक्षक केवल कंबोज के मार्गदर्शन में शुरू की। सविता स्कूल से पढ़कर वापस घर आती और उसके बाद वह अपने खेतों के टेढ़े-मेढ़े रास्तों पर अभ्यास करती। इस खेल में उसकी बहन ने भी हमेशा उसकी मदद की। इसके बाद सविता का चयन सिरसा स्थित हाकी खेल नर्सरी में हुआ। यहां पर अपनी मेहनत के बूते सविता ने दो वर्ष में नेशनल स्तर पर अपनी पहचान बना ली। वर्ष 2004 में सविता का इंटरनेशनल सफर शुरू हुआ। यहां से उसके साथ कोई दूसरी खिलाड़ी भी नहीं थी। मैच खेलने के लिए उसे अधिकतर समय घर से बाहर रहना पड़ता था।

छठी कक्षा में खेलना शुरू किया

सविता पूनिया ने छठी कक्षा में महाराजा अग्रसेन स्कूल में नर्सरी के अंदर हाकी खेलना शुरू किया। सविता पूनिया शुरुआत में ही अच्छी खिलाड़ी रही, जिससे उनका चयन राज्य स्तरीय टीम में हो गया।

दादी की दुआएं रहती हैं साथ

सविता पूनिया का अपनी दादी उमादेवी से विशेष लगाव है। टोक्यो ओलंपिक में खेलने गई सविता पूनिया अपनी दादी से बात जरूर करती है। सविता बीते अप्रैल माह में बेंगलुरु कैंप में अभ्यास के लिए घर से रवाना हुई थी। दादी ने आशीर्वाद देते हुए कहा अब की बार ओलिंपिक में तुम्हारी जीत होगी। सोमवार को भी मैच जीतने के बाद भी सविता ने अपनी दादी से बात की और आशीर्वाद लिया।

देश के लिए जीतना जरूरी

सविता पूनिया वर्ष 2017 में विदेश में खेलने गई हुई थी, उस समय घर पर चचेरी बहन मंजू की शादी रखी हुई थी। सविता पूनिया मैच में व्यस्त होने के कारण शादी में नहीं आ सकी। इसके बाद घर आने पर सविता ने अपनी बहन से कहा कि सारी, मैं तुम्हारी शादी में नहीं आ सकी, क्योंकि देश के लिए मुझे खेलना बहुत जरूरी था।

टीम खुलकर खेली, लड़कों की जीत ने किया बूस्ट अप

पूर्व ओलंपियन सरदारा सिंह के हाकी कोच बलदेव सिंह ने टीम इंडिया की शानदार परफार्मेंस पर खुशी जाहिर करते हुए कहा कि टीम फिजिकल और साइक्लोजिकल प्रेशर के बिना खुल कर खेली। लड़कों की टीम की जीत के बाद लड़कियों की टीम ने और बुस्टअप होकर खेला और इतिहास रच दिया। टीम की जीत में गोल कीपर सविता पूनिया की बड़ी भूमिका रही, जब मिड फील्ड के खिलाड़ी गलती करता है तो गोल कीपर टीम को जीवनदान देता है। रानी रामपाल, वंदना कटारिया, मोनिका मलिक पूरी टीम ने डेडिकेशन के साथ मैच खेला और आस्ट्रेलिया का तख्ता पलट कर दिया। अगर टीम इसी तरह सेमीफाइनल मुकाबले में भी खेलेगी तो कुछ भी कर सकती है।

कोच की स्ट्रेटेजी पर कायम रही टीम इंडिया

पूर्व ओलंपियन हाकी खिलाड़ी हरपाल सिंह ने कहा कि आस्ट्रेलिया टीम को बहुत स्ट्रांग माना जा रहा था। टीम इंडिया ने डिफेंस, फारवर्ड सभी जगह अच्छा प्रदर्शन किया और जीत हासिल की। टीम कोच की स्ट्रेटेजी पर कायम रही इतिहास रचने में सफल रही। सेमीफाइनल मुकाबला अर्जेंटिना के साथ है, जिस हिसाब से टीम ने आज प्रदर्शन किया है, उम्मीद है आगे भी बेहतर प्रदर्शन करेगी।

दादा ने कहा, मेरे यहां से भी कोई खेलता

सविता के दादा रणजीत सिंह 2004 दिल्ली में रिश्तेदार के साथ हाकी मैच देखने गए। हॉकी मैच देखने के बाद उन्होंने कहा कि हमारे परिवार का बच्चा भी हाकी खेलता तो और अच्छा लगता। घर आए आए तो सविता को हाकी खेलने के बारे में बताने लगे। बाद में यह भी कहा कि उनकी पोती हॉकी खेलेगी। इसके बाद सविता के पिता ने दादाजी की बात मानकर हाकी खिलाने का फैसला किया।

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