Tokyo Olympics: बजरंग पूनिया झज्जर की आखिरी उम्मीद, चार खिलाड़ी हो चुके बाहर

Tokyo Olymics से झज्जर के लिए पदक की उम्मीदें बरकरार हैं। पांच खिलाड़ी टोक्यो गए थे। लेकिन अभी तक झोली में मेडल नहीं आया है। बजरंग अब सेमीफाइनल में पहुंच गए हैं। पिता ने कहा कि उन्हें बजरंग की क्षमता पर पूरा भरोसा है।

By Umesh KdhyaniEdited By: Publish:Fri, 06 Aug 2021 10:42 AM (IST) Updated:Fri, 06 Aug 2021 10:42 AM (IST)
Tokyo Olympics: बजरंग पूनिया झज्जर की आखिरी उम्मीद, चार खिलाड़ी हो चुके बाहर
टोक्यो ओलंपिक्स में झज्जर के पांच खिलाड़ियों ने भारत का प्रतिनिधित्व किया है।

जागरण संवाददाता, झज्जर। टोक्यो ओलिंपिक में बजरंग पूनिया ने दो मैच जीतने के बाद सेमिफाइनल में प्रवेश कर लिया है। जिसके साथ ही भारत के लिए पदक की उम्मीद भी बढ़ गई हैं। बता दें कि झज्जर जिले से कुल पांच खिलाड़ी भारत का प्रतिनिधित्व करने के लिए गए थे। इनमें मनु भाकर, सुमित नागल, दीपक पूनिया और राहुल रोहिल्ला देश को पदक नहीं दिला पाए। अब पदक की आखिरी उम्मीद बजरंग पूनिया से है। बजरंग पूनिया ने 65 किग्रा फ्रीस्टाइल के क्‍वार्टर फाइनल में इरान के मोर्तेजा चेका को 2-1 से हराकर सेमीफाइनल में अपना स्थान सुनिश्चित किया है।

बता दें कि झज्जर जिला के गांव खुड्डन निवासी बजरंग का परिवार करीब सात पहले सोनीपत में इसलिए चला गया था ताकि बेहतर तरीके से अभ्यास कर सकें। वहां पर जाने के बाद उन्हें अपने गुरु योगेश्वर दत्त का भी आशीर्वाद मिला। पिता बलवान पूनिया की उंगली को पकड़कर अखाड़े तक का सफर तय करने वाले बजरंग का नाम भी हनुमान जी के नाम ही रखा गया था। क्योंकि, बजरंग के पिता हनुमान जी के भक्त हैं। बजरंग के मैच से पहले पिता बलवान पूनिया सालासर बाला जी में भी प्रार्थना करने के लिए गए थे।

प्रार्थनाओं का चला दौर

बजरंग के मैच से पहले घर पर प्रार्थनाओं का दौर चला। बजरंग के पिता बलवान सिंह ने कहा कि बजरंग जरूर जीतेगा। हमें भगवान, अखंड ज्योति और अपने बेटे की क्षमता पर पूरा विश्वास है। इससे पहले बुधवार को बजरंग पूनिया के भाई हरेंद्र ने साइकिल मार्केट, चांदनी चौक स्थित नरसिंह हनुमान मंदिर में सोने का मुकुट बजरंगबली जी को अर्पित किया। हरेंद्र के साथ मंदिर के महंत श्रवण कुमार एवं वर्ल्ड पावरलिफ्टिंग चैंपियन गौरव शर्मा भी मौजूद थे। सभी ने बजरंग के अच्छे प्रदर्शन की प्रार्थना की। 

बजरंग के बारे में यह भी जानें

पहलवान बजरंग पूनिया का जन्म हरियाणा के झज्जर के खुड्डन गांव में 26 फरवरी 1994 को हुआ था। पिता बलवान सिंह भी कुश्ती के जाने-माने खिलाड़ी हैं। बजरंग की शादी दंगल गर्ल बबीता फोगाट की छोटी बहन संगीता फोगाट से हुई है। वह अपने भार वर्ग में अच्छे खिलाड़ी माने जाते हैं। बजरंग पूनिया एकमात्र ऐसे भारतीय हैं जिन्होंने वर्ल्ड रेसलिंग चैंपियनशिप में तीन मेडल जीता है। इसके अलावा एशियन गेम्स में अब तक दो मेडल जीत चुके हैं। वह एशियन चैंपियनशिप में सात मेडल जीत चुके हैं। कॉमनवेल्थ गेम्स में उन्होंने 2018 में गोल्ड जबकि 2014 में सिल्वर मेडल जीता था। इन सब प्रदर्शन को देखते हुए उन्हें पदक का दावेदार माना जा रहा है।

बजरंग पुनिया की पत्नी भी पहलवान हैं संगीता फोगाट

बता दें कि पहलवान बजरंग पुनिया की शादी हाल ही में दंगल गर्ल बबीता और गीता फोगाट की छोटी बहन संगीता फोगाट से हुई थी। संगीत फोगाट भी पहलवान हैं। संगीत फोगाट के पिता महावीर फोगाट को बजरंग पुनिया शुरू से ही पसंद थे। बजरंग पुनिया ने बिना दान दहेज के शादी की थी। जो चर्चा का विषय भी बनी थी। वहीं, बजरंग पुनिया ने बेहद सादे तरीके से विवाह किया था। और बेहद कम लोगों को अपनी शादी में बुलाया था। कोरोनाकाल में इस तरह की सूझबूझ भी चर्चा का विषय बनी थी। 

जानिये क्यों है पदक की उम्मीद

बजरंग पुनिया अपने भार वर्ग में हाल ही में दुनिया के नंबर 1 पहलवान बने थे। वह बेहद सादा और देसी खाना पसंद करते हैं। जिम और प्रैक्टिस में घंटों पसीना बहाते हैं। पहलवान होने के बावजूद बजरंग पुनिया सिक्स पैक ऐब बनाए हुए हैं। थकान उन पर हावी नहीं होती। ओलिंपियन योगेश्वर दत्त को वह अपना गुरु मानते हैं। ससुर महावीर फोगाट भी उन्हें पहलवानी की बारिकियां समझाते रहते हैं। पहलवान बजरंग पुनिया ओलिंपियन रहे दूसरे देशों के पहलवानों को भी रिंग में धूल चटा चुके हैं। इसलिए उनसे इस बार पदक की ज्यादा उम्मीद है।

हिसार की ताजा खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

chat bot
आपका साथी