हिसार के इन गुरुजी ने पेश की अनोखी मिसाल, लॉकडाउन में बच्चों को घर-घर जाकर दे रहे शिक्षा

लॉकडाउन में बच्चों को ऑनलाइन शिक्षा दी जा रही है। पर कमजोर वर्ग के बच्चे स्मार्टफोन कहां से लाएं। इस बात को न्योली खुर्द गांव के प्राइमरी स्कूल के शिक्षक सुशील ने खूब समझा। अपनी क्लास के बच्चों को घर-घर जाकर शिक्षा दे रहे हैं।

By Umesh KdhyaniEdited By: Publish:Sat, 12 Jun 2021 05:57 PM (IST) Updated:Sat, 12 Jun 2021 05:57 PM (IST)
हिसार के इन गुरुजी ने पेश की अनोखी मिसाल, लॉकडाउन में बच्चों को घर-घर जाकर दे रहे शिक्षा
बच्चों को घर पर जाकर शिक्षा देते हिसार के शिक्षक सुशील।

हिसार [वैभव शर्मा]। काेरोना ने लोगों की जिंदगी पर ही नहीं, बल्कि किताबों और कॉपियों पर भी लॉकडाउन लगा दिया है। अब बच्चे कंप्यूटर और मोबाइल स्क्रीन के सामने समय बिता रहे हैं। मगर सरकार स्कूल और ग्रामीण अंचल से आने वाले बच्चे क्या करें, उनके पास न तो बेहतर इंटरनेट है और न ही स्मार्टफोन की व्यवस्था।

इस समस्या को किसी ने समझा हो या नहीं मगर हिसार के न्योली खुर्द गांव के प्राइमरी स्कूल के शिक्षक सुशील ने बखूबी समझा है। सुशील अपनी कक्षाओं के बच्चों को रोजाना नियमित रूप से उनके घर पढ़ाने जाते हैं। खास बात यह है कि गांव न्यौली खुर्द के रहने वाले एक-एक बच्चे के घर जाकर पढ़ा रहे हैं। यह सिलसिला पूरे लॉकडाउन चला और अब अनलॉक में भी जारी है। सुबह होते ही वह अपने जवाहर नगर स्थित आवास से गाड़ी से जैसे पहले स्कूल के लिए निकलते थे आज भी वैसे ही स्कूल जाते हैं उपस्थिति लगाते हैं फिर बच्चों को उनके घर पढ़ाने निकल जाते हैं। उनका कहना है कि बच्चों को घर जाकर पढ़ाने से वह अच्छी तरह समझ पा रहे हैं और सकारात्मक परिणाम भी दे रहे हैं।

घर-घर न जाते तो बच्चे सब भूल जाते

सुशील का कहना है कि हम कितनी भी कोशिश कर लें बच्चों को तकनीकि का आदी नहीं बना सकते। उन्होंने पहले जो पढ़ाया अगर वह मोबाइल या न संसाधनों पर जारी रखते तो बच्चे नया तो कुछ सीखते नहीं बल्कि पुराना भी भूल जाते। इसलिए उन्हाेंने एक-एक बच्चे को पढ़ाने की जिम्मेदारी ली। मौजूदा समय में सुशील के पास दूसरी कक्षा की जिम्मेदारी है जिसमें आठ से 10 बच्चे हैं। वह एक दिन चार बच्चों के घर जाते हैं फिर दूसरे दिन अन्य बच्चों के घर जाकर पढ़ाते हैं। पढ़ाने का समय सुबह 10 से 12 का रहता है। ऐसे में बच्चों के समय भी मिल रहा है तो वह अच्छे से पढ़ भी रहे हैं। इनमें से कुछ बच्चे ऐसे हैं जिनके परिजन कोरोना योद्धा के रूप में कार्य कर रहे हैं। अभिभावक होमवर्क तो करा सकते हैं मगर एक्टिविटी के लिए उन्हें शिक्षक की मदद लेनी ही होगी।

खेल-खेल में पढ़ाने को बनाई हैं कई एक्टिविटी

शिक्षक सुशील बताते हैं कि उन्होंने 30 से अधिक एक्टिविटी बनाई हुई हैं जिनकी मदद से वह बच्चों को पढ़ाते हैं। इन एक्टिविटी में बच्चों का खेलना भी हो जाता है तो वह विभिन्न विषयों को सीख भी जाते हैं। उनकी पढ़ाने की पद्धति में गणित के सवाल कविताओं से हल किए जाते हैं तो खेल-खेल में अन्य विषयों को समेटा जाता है। खास बात है कि घर पर पढ़कर बच्चों में काफी खुशी है।

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