झज्‍जर में डेढ़ साल के बछड़े के पेट से निकाली 30 किलो पालीथिन, डाॅक्‍टर रह गए हैरान

चिकित्सकों ने करीब डेढ़ साल की उम्र के एक बछड़े के पेट से 30 किलो ग्राम पालिथीन निकाली है। करीब दो घंटे से भी अधिक समय तक चले इस आप्रेशन के बाद यह प्रक्रिया पूरी हो पाई। अब आने दिनों में यह बछड़ा चिकित्सकों की देखरेख में स्वास्थ्य लाभ लेगा।

By Manoj KumarEdited By: Publish:Fri, 01 Oct 2021 10:41 AM (IST) Updated:Fri, 01 Oct 2021 10:41 AM (IST)
झज्‍जर में डेढ़ साल के बछड़े के पेट से निकाली 30 किलो पालीथिन, डाॅक्‍टर रह गए हैरान
झज्‍जर में तीन हजार से अधिक गोवंश के पेट से निकाली पालीथिन

जागरण संवाददाता, झज्जर : गुरुग्राम मार्ग स्थित गोकुल धाम सेवा महातीर्थ के चिकित्सकों ने करीब डेढ़ साल की उम्र के एक बछड़े के पेट से 30 किलो ग्राम पालिथीन निकाली है। करीब दो घंटे से भी अधिक समय तक चले इस आप्रेशन के बाद यह प्रक्रिया पूरी हो पाई। अब आने वाले कई दिनों तक यह बछड़ा चिकित्सकों की देखरेख में स्वास्थ्य लाभ लेगा। बता दें कि संस्था के स्तर पर पिछले करीब एक दशक से इस तरह की सेवा की जा रही है। तीन हजार से अधिक गोवंश के पेट से पालिथीन को निकालते हुए उन्हें नया जीवनदान भी दिया गया है। जबकि, 64 हजार से अधिक गोवंश की चिकित्सा करते हुए उन्हें स्वास्थ्य लाभ प्रदान किया है। संस्था की 13 एंबुलेंस दिन और रात सेवा में लगी रहती है।

बॉक्स : संस्था के संचालक सुनील निमाना के मुताबिक आज जितना भी गौधन सड़कों पर घूम रहा है प्राय: सभी के पेट में कूड़ा कचरा और पलिथिन भरा पड़ा है, और एक दर्दनाक मौत को प्राप्त हो रहा है। सुनील के मुताबिक गाय की जीभ का कोइ्र अपना स्वाद नहीं होता। गाय जो भी सेवन करती है वह केवल सूंघने के बाद करती है। अतः गाय पालिथीन के अंदर खाने की सामग्री के कारण उसका सेवन करती है। ऐसी स्थिति में सड़कों पर डाले जाने वाली पालिथीन, जिसका की गोवंश सेवन करता है, के लिए कही ना कही हम जिम्मेदार है।

बॉक्स : सुनील कहते है कि हम सब पूरा दिन बहुत सारा पालिथीन इस्तेमाल करते है और खाने की बहुत सारी वस्तुएं जैसे सब्जी के छिलके, फलों के छिलके हम पालिथी में डाल कर फेंक देते है जिस से गौवंश उस खादय सामग्री के साथ पालिथीन को भी खा जाते है और जब उनका पेट पालिथीन से भर जाता है तब गौवंश को सांस लेने में दिक्कत होती है और एक समय ऐसा आता है कि गौवंश के नाक और मुंह से गोबर बाहर आने लगता है। जो कि उसके असहनीय पीड़ा का कारण भी बनता है।

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