बारिश आने का था अलर्ट फिर भी अनाज मंडी में खुले में रखा 80 हजार कट्टे और 20 हजार क्विटल गेहूं भीगा

जागरण संवाददाता हिसार हर बार की तरह इस बार भी मार्केट कमेटी की लापरवाही हिसार

By JagranEdited By: Publish:Fri, 16 Apr 2021 08:32 PM (IST) Updated:Fri, 16 Apr 2021 08:32 PM (IST)
बारिश आने का था अलर्ट फिर भी अनाज मंडी में खुले में रखा 80 हजार कट्टे और 20 हजार क्विटल गेहूं भीगा
बारिश आने का था अलर्ट फिर भी अनाज मंडी में खुले में रखा 80 हजार कट्टे और 20 हजार क्विटल गेहूं भीगा

जागरण संवाददाता, हिसार : हर बार की तरह इस बार भी मार्केट कमेटी की लापरवाही हिसार की अनाज मंडी में देखने को मिली। एचएयू के कृषि मौसम विज्ञान विभाग ने पहले ही 16 अप्रैल को बारिश होने की अंदेशा जता दिया था। इसके बावजूद मंडी प्रशासन ने कोई इंतजाम नहीं किए। लिहाजा शुक्रवार को बारिश आने से खुले में रखे गेहूं से भरे 80 हजार कट्टे भीग गए। यही नहीं बल्कि 20 हजार क्विंटल खुले में पड़ा गेहूं भी भीग गया। आगे 17 अप्रैल को भी बारिश आने की संभावना है। अभी तक कोई प्रबंधन मंडी में दिखाई नहीं दे रहा है। ऐसा तब है जब पिछले वर्ष एक हजार क्विंटल गेहूं आढ़तियों का बारिश में भीगकर सड़ गया था। जिसे व्यापारियों को फेंकना पड़ा था। इसमें उन्हें 20 लाख रुपये का नुकसान हुआ था।

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आढ़ती एसोसिएशन के पास आया सीएम का फोन, प्रधान ने बताई समस्याएं

द हिसार ग्रेन मर्चेंट आढ़ती एसोसिएशन के प्रधान छबीलदास केडिया के पास शुक्रवार को सुबह साढ़े 10 बजे सीएम मनोहरलाल का फोन आया। उन्होंने फोन पर मंडी में उठान के बारे में पूछा तो केडिया ने बताया कि अभी सरकारी खरीद एजेंसियों पर सीमित मात्रा में उठान हो रहा है। लोडिग व अनलोडिग की प्रक्रिया तेज करने की आवश्यकता है। इसके लिए हैफेड के गोदाम व ढंढूर में बने हरियाणा वेयर हाउस को भी काम में लिया जाना चाहिए। वरना गेहूं खुले में पड़े हुए खराब हो जाएगा। इस पर मुख्यमंत्री ने उन्हें आश्वासन दिया कि जल्द ही इस मांग पर विचार किया जाएगा।

मौसम खराब होने के बावजूद मंडी में आवक

शहर- शुक्रवार को आवक- कुल आवक

हिसार- 33152- 173470

हांसी- 32469- 439844

आदमपुर- 29180- 246320

बरवाला- 64923- 549767

उकलाना- 59948- 316436

नारनौंद- 70524- 363589

बास- 20716- 160028

कुल- 310912- 2249454

नोट- आंकड़े क्विंटल में हैं।

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मंडी प्रशासन का मंडी में बिल्कुल भी ध्यान नहीं है। बारिश से गेहूं को बचाने के लिए त्रिपाल तक नहीं दी गई। जिससे गेहूं की भीग गया। इसके साथ ही हर साल की तरफ व्यवस्थाएं कमजोर दिख रही हैं।

-छबीलदास केडिया, प्रधान, द हिसार ग्रेन मर्चेंट आढ़ती एसोसिएशन।

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