इन मासूमों की दास्तां तो झकझोरने वाली हैं

कोरोना से अपनों को खोने के बाद अब दूसरों के सहारे कट रही जिंदगी

By JagranEdited By: Publish:Fri, 22 Oct 2021 09:12 PM (IST) Updated:Fri, 22 Oct 2021 09:12 PM (IST)
इन मासूमों की दास्तां तो झकझोरने वाली हैं
इन मासूमों की दास्तां तो झकझोरने वाली हैं

-कोरोना से अपनों को खोने के बाद अब दूसरों के सहारे कट रही जिंदगी

-वानप्रस्थ संस्था ने प्रत्येक बच्चे का दी 12-12 हजार की आर्थिक सहायता

फोटो - 59, 60

सुभाष चंद्र, हिसार

कोरोना काल में अपनों को खोने का दर्द अभी लोग भूले नहीं हैं। खास तौर पर वो मासूम जिनके सिर से कहीं पिता का साया उठा तो किसी से मां का आंचल। जिंदगी की दुश्वारियां ऐसी हैं कि अब दूसरों के सहारे इनकी जिंदगी की मझधार में डोल रही हैं। ऐसे ही बच्चों की सहायता के लिए वानप्रस्थ संस्था ने कदम बढ़ाया है। संस्था की ओर से अपनों को खो चुके मासूमों को 12-12 हजार रुपये की आर्थिक सहायता मुहैया कराई गई है।

मकान मालिक ने किया दो साल का किराया माफ

मंडी आदमपुर की 7वीं कक्षा की छात्रा अमृता ने बताया कि उसके पिता मदल लाल बोरी सिलने का काम करते थे। कोरोना से उनकी मौत हो गई। पिता की मौत के बाद वे आर्थिक संकट से घिर गए। वे छह बहनें और एक भाई हैं। जिस कमरे में 1500 रुपये किराए पर रहते हैं, उसका दो साल का किराया मकान मालिक ने माफ कर दिया। पिता को अंतिम समय में न देख पाने का मलाल आज भी है। अमृता ने बताया कि उसकी माता संजना सीसवाल के स्वास्थ्य केंद्र में स्वीपर हैं।

अब दादी की विधवा पेंशन से भरती हूं फीस

सिसाय बोलान गांव की 18 वर्षीय संगीता बीए प्रथम की छात्रा है। संगीता ने बताया कि पिता महेंद्र की कोरोना से मौत हो गई। आर्थिक स्थिति इतनी बिगड़ी कि कालेज की फीस भरने के लिए दादी की विधवा पेंशन का सहारा है। पेंशन से ही गुजारा चलाना पड़ रहा है। वानप्रस्थ संस्था की तरफ से जो 12 हजार रुपये मिले हैं। उन्हें घर के राशन में और पढ़ाई में काम लूंगी।

पूरी रात तड़पे पिता, नहीं मिला था बेड

सत्यनगर निवासी सातवीं कक्षा की छात्रा सोनाली ने बताया कि पिता राजेश की कोरोना से मौत हुई थी। पिता की रात के समय हालत बिगड़ी, उन्हें अस्पतालों में लेकर गए तो वहां बेड नहीं मिले थे, पूरी रात गुजरने पर सिविल अस्पताल में सुबह छह बजे बेड मिला, लेकिन आक्सीजन लगाने के कुछ समय बाद उनकी मौत हो गई थी। अंतिम संस्कार के दौरान वह पिता से नहीं मिल पाई।

टयूशन में खर्च करुंगी 12 हजार की राशि

हांसी के सुभाषनगर निवासी 17 वर्षीय हर्षिका ने बताया कि उसके पिता नरेश कुमार ट्रांसपोर्ट का काम करते थे। कोरोना से मौत हो गई। माता रीना पिता की मौत के बाद सिलाई का काम करने लगी। जो 12 हजार रुपये मिले है, उनसे वह घर के खर्चों के लिए और टयूशन के लिए देगी।

माता को खो चुकी साढ़े तीन साल की रिया ने थामा चेक

कोरोना से माता अक्षमा रानी को खो चुकी कैमरी गांव की साढ़े तीन वर्षीय रीना पिता सुमित के साथ कार्यक्रम में पहुंची। रिया को पता ही नहीं था कि वह किसलिए 12 हजार रुपये का चेक हाथों में थाम रही है। रिया की माता की कोरोना की दूसरी लहर में डिलीवरी के नौ दिन बाद मौत हो गई थी।

कार्यक्रम में ये रहे मौजूद

शुक्रवार को सीनियर सिटीजन क्लब में आयोजित कार्यक्रम में नगर निगम कमिश्नर अशोक गर्ग, ज्वाइंट कमिश्नर बेलिना, सीएमओ डा. रत्ना भारती, मनोचिकित्सक डा. विनोद डूडी ने बच्चों को चेक प्रदान किए। इस मौके पर डा. शाम सुंदर धवन, योगेश सुनेजा, वीना अग्रवाल, डा. सत्या सावंत व एसपी चौधरी, डा. सुनीता श्योकंद भी मौजूद रहे।

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