सुहाना रहा अब तक मानसून का सफर..
मानसून सीजन के चार माह जून से 30 सितंबर तक माने जाते हैं। इस बार अब तक संभावित बारिश से सरपल्स बरसात हो चुकी है।
प्रदीप शर्मा, करनाल:
मानसून सीजन के चार माह जून से 30 सितंबर तक माने जाते हैं। स्पष्ट है कि मानसून का आधा समय बीत चुका है। इस आधी समयावधि में देशभर में मानसून की औसत बरसात हुई है। मौसम विभाग ने जून व जुलाई माह में 452.0 एमएम बरसात संभावित की थी, जिसके मुकाबले 449 एमएम वर्षा दर्ज की गई है। यह 99.3 फीसद है।
आंकड़े बताते हैं कि मानसून का अब तक का सफर सुहाना और उम्मीद के अनुरूप रहा है। अगस्त व सितंबर
माह को लेकर मौसम विभाग ने 428.4 मिलीमीटर बरसात की संभावना जताई है। मानसून के दूसरे भाग में अब देखना यह होगा कि क्या मानसून की बरसात इस आंकड़े को छू पाएगी या नहीं। जहां तक मानसून के हरियाणा में प्रदर्शन की बात है तो यहां उम्मीद से अधिक यानि 65 फीसद सरप्लस बरसात हो चुकी है। किस वर्ष जून व जुलाई में कितनी बरसात
वर्ष जून जुलाई कुल बरसात 2016 147.6 309.2 456.8 2017 172.5 290.5 463.0 2018 155.7 274.1 429.8 2019 113.5 298.8 412.3 2020 195.6 257.1 452.7 2021 182.9 266.1 449.0
नोट : यह आंकड़े मौसम विभाग की ओर से जारी किए गए हैं। सबसे अधिक बरसात वाले क्षेत्रों में देखने को मिली कमी
मौसम विभाग के मुताबिक गुजरात, केरल और पूर्वोत्तर भारत में मानसून की बरसात की स्पष्ट कमी देखी जा सकती है। केरल और पूर्वोत्तर क्षेत्र सबसे अधिक बरसात वाले क्षेत्र हैं। मानसून की दूसरी अवधि में पर्यावरण संतुलन को प्रभावित किए बिना लगभग 10-15 प्रतिशत की कमी दूर हो सकती है। इन क्षेत्रों में मानसून हुआ मेहरबान
पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, पूर्वी राजस्थान, पश्चिम उत्तर प्रदेश और पश्चिम मध्य प्रदेश मौसमी बरसात की कमी से उबर चुके हैं। मराठवाड़ा के सूखा प्रभावित क्षेत्र में 32 फीसद अधिक बरसात देखने को मिली है। इसके अलावा मध्य महाराष्ट्र 24 फीसद और विदर्भ में तीन फीसद अधिक बरसात हो चुकी है। अगस्त के महीने की शुरुआत में उत्तरी और मध्य भागों में बरसात होनी तय होती है। पश्चिम मध्य प्रदेश और पूर्वी राजस्थान में अगले 72 घंटों के दौरान भारी बरसात की संभावना है। उसके बाद धीरे-धीरे कम हो जाएगी।