अपने अधिकारों के साथ-साथ कर्तव्यों का भी स्मरण करवाता भारतीय संविधान : प्रो. टंकेश्वर कुमार

फोटो 212 जागरण संवाददाता हिसार गुरु जम्भेश्वर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय हिसार मे

By JagranEdited By: Publish:Fri, 27 Nov 2020 05:00 AM (IST) Updated:Fri, 27 Nov 2020 05:00 AM (IST)
अपने अधिकारों के साथ-साथ कर्तव्यों का भी स्मरण करवाता भारतीय संविधान : प्रो. टंकेश्वर कुमार
अपने अधिकारों के साथ-साथ कर्तव्यों का भी स्मरण करवाता भारतीय संविधान : प्रो. टंकेश्वर कुमार

फोटो : 212

जागरण संवाददाता, हिसार : गुरु जम्भेश्वर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय हिसार में वीरवार को 71वें संविधान दिवस के उपलक्ष में एक वेबिनार का आयोजन किया गया। विश्वविद्यालय के विधि संकाय के तत्वाधान में आयोजित इस वेबिनार में विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. टंकेश्वर कुमार मुख्यातिथि, पंजाब विश्वविद्यालय,चंडीगढ़ के विधि संकाय के प्रो. देवेन्द्र सिंह मुख्य वक्ता व विश्वविद्यालय के कुलसचिव डा. अवनीश वर्मा विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। कार्यक्रम की अध्यक्षता विश्वविद्यालय के शैक्षणिक मामलों की अधिष्ठात्री प्रो. ऊषा अरोड़ा ने की तथा संचालन विधि संकाय के अधिष्ठाता प्रो. कर्मपाल नरवाल ने किया।इस अवसर पर कुलपति प्रो. टंकेश्वर कुमार ने कहा कि भारत का संविधान हमें एक नागरिक के तौर पर अपने अधिकारों के साथ-साथ कर्तव्यों का भी स्मरण करवाता है। अत: संविधान की मूल सोच के अनुसार हमें सामाजिक समानता, टीम भावना, भाईचारा व सौहार्दपूर्ण वातावरण में कार्यरत रहकर अपने-अपने स्तर पर अपना सर्वश्रेष्ठ कार्य निष्पादन करना चाहिए ताकि संविधान निर्माताओं की उस गहरी सोच व आस्था को श्रद्धासुमन अर्पित करते हुए हम अपने राष्ट्र की अपेक्षाओं पर निरंतर खरे उतरते रहें।

इस वेबिनार में मुख्य वक्ता के रूप में पंजाब विश्वविद्यालय, चंडीगढ़ के वरिष्ठ प्रो. देवेन्द्र सिंह ने बताया कि भारत के संविधान में जो प्रस्तावना लिखी गई है वह भारत के संविधान की आत्मा के समान है, जो हमें भारतवर्ष को समाजवादी, पंथ निर्पेक्ष, लोकतांत्रिक गणराज्य बनाने के लिए व हम सब भारतवासियों को सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक, वैचारिक, अभिव्यक्ति विश्वास व धर्म की उपासना की स्वतंत्रता प्रदान करता है।

प्रो. देवेन्द्र सिंह ने बताया कि 299 लोगों ने लगभग तीन वर्षों की कड़ी तपस्या व मेहनत से विभिन्न 12 अधिवेषणों के माध्यम से तथा कुल 166 बैठकों के उपरांत भारत के संविधान को प्रतिपादित करने का उल्लेखनीय कार्य किया था जिसमें आज एक उदेशिका, 479 अनुच्छेद 12 अनुसूचियां व चार अनुलगन के साथ-साथ 124 संशोधन भी हो चुके हैं व यह संविधान निरंतर भारतीय लोकतंत्र के लिए एक अलौकिक शक्ति के रूप में व सर्वोच्च आदर्श कानून के रूप में एक मागदर्शक बनकर देश की सामाजिक व आर्थिक प्रतिष्ठा को आगे बढ़ा रहा है।

इस अवसर पर कुलसचिव डा. अवनीश वर्मा ने अपने वक्तव्य में जहां संविधान निर्माताओं को श्रद्धासुमन अर्पित किए। वहीं विश्वविद्यालय के विधि संकाय द्वारा हर वर्ष संविधान दिवस पर आयोजन करने पर बधाई दी। इस बात का आह्वान किया कि हम विश्वविद्यालय के अधिकारी, कर्मचारी, शिक्षक, छात्र व शोधार्थी सभी एक परिवार के रूप में भारत के संविधान में निहित महत्वपूर्ण पहलुओं का निरंतर आत्मसात करते हुए उनसे निकले मूल्यों व सिद्धांतों को स्वयं में ढालने की व अपने विद्यार्थियों व शोधार्थियों में उनके प्रतिपादन करने की नियमित सुचेष्ठा करें। विधि संकाय के अधिष्ठाता प्रो. कर्मपाल नरवाल ने स्वागत संबोधन किया।

chat bot
आपका साथी