सरकारी तंत्र के गड़बड़झाले के कारण ढहने की कगार पर 33 आशियाने

जीवनभर की पूंजी लगाकर साल 1983 में प्लाट खरीदा ।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 19 Sep 2021 05:29 AM (IST) Updated:Sun, 19 Sep 2021 05:29 AM (IST)
सरकारी तंत्र के गड़बड़झाले के कारण ढहने की कगार पर 33 आशियाने
सरकारी तंत्र के गड़बड़झाले के कारण ढहने की कगार पर 33 आशियाने

फोटो : 34

जागरण संवाददाता, हिसार : जीवनभर की पूंजी लगाकर साल 1983 में प्लाट खरीदा । उसकी रजिस्ट्री करवाई। मकान बनाया आज 38 साल बाद निगम अफसर कह रहें है आपने सरकारी जमीन पर कब्जा कर रखा है। एक आमजन के पास जमीन का सच जानने का माध्यम तहसील कार्यालय है। राशि जमा करवाकर रजिस्ट्री करवाई तो अब हम गलत कैसे है। यह कहना है कमला देवी का। जिसे नगर निगम ने अवैध कब्जे का नोटिस भेजा है। कब्जे का नोटिस अकेले कमला देवी को नहीं बल्कि ऐसे 33 नोटिस नगर निगम प्रशासन ने वार्ड-7 और वार्ड-9 के लोगों को भेजे है। तरसेम नगर में घरों में नोटिस भेजे गए है। अब इन 33 लोगों के आशियाने टूटने की कगार पर है। रजिस्ट्री करने वाले और कालोनी काटने वालों पर प्रशासन मौन, जनता को नोटिस

क्षेत्रवासी बलजीत सिहं, ईश्वर, भरत सिंह, संतोष देवी सहित कई क्षेत्रवासी बोले कि चंद लोगों के कहने पर नगर निगम ने हमारा घर तोड़ने के लिए नोटिस भेज दिए। जिसे जीवन भर की जमा पूंजी से बनाया। हमें कई के पास रजिस्ट्री है और कई के पास कालोनाइजन की तरफ से लिया हुआ लेटर है। हम गलत कहां है। हमने तो पूंजी देकर खरीदा है। हम गरीबों पर हर कोई कार्रवाई करने को चल पड़ता है जिन लोगों ने रजिस्ट्री की और जिसने कालोनी काटी क्या वे कसूरवार नहीं है। सरकार और प्रशासन उन पर तो कार्रवाई कर नहीं रहा हमें नाजायज तंग किया जा रहा है। कालोनी के नामों की भी नोटिस देने से पहले नहीं किया वेरिफिकेशन

वार्ड-7 और वार्ड-9 के लोगों ने कहा कि सभी 33 घरों को तरसेम नगर के नाम से नोटिस दिए है। जबकि हम सभी के मकान इस कालोनी में नहीं है। किसी के न्यू विनोद नगर में है तो किसी के तिलक नगर में मकान है। प्रशासन ने पूरा रिकार्ड तक नहीं जांचा है। हम गरीब लोग है हमारी प्रशासन से एक ही गुहार है कि हमारे मकान बचाए जाए।

वर्जन

जिन 33 लोगों के घरों को नोटिस दिया है। उनमें अधिकांश गरीब है। ये मकान सालों पुराने है। सरकार और प्रशासन उन लोगों के साथ भी न्याय करें। उन्होंने तो पैसे देकर प्लाट खरीदें है। रजिस्ट्री तक है। तो उनकी क्या गलती है। एक आमआदमी के पास किसी जमीन का सच जानने का एक मात्र माध्यम तहसील है। उन्होंने रजिस्ट्री कर दी तो आमजन गलत कैसे हो सकता है। प्रशासन जनता के साथ न्याय करें।

-जयप्रकाश, पार्षद वार्ड-9, हिसार।

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