खतरे में माल ढोने वाले पशुओं का अस्तित्व

20वीं पशुगणना के ये आंकड़े बेहद चिताजनक हैं। पारिस्थितिक तंत्र को बेहतर बनाए रखने में पशु-पक्षी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं लेकिन आधुनिकता के चकाचौंध में वनों के विनाश से पशुओं की संख्या साल-दर-साल घटती जा रही है।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 31 Oct 2020 06:05 AM (IST) Updated:Sat, 31 Oct 2020 06:05 AM (IST)
खतरे में माल ढोने वाले पशुओं का अस्तित्व
खतरे में माल ढोने वाले पशुओं का अस्तित्व

मनप्रीत सिंह, हांसी (हिसार)

दुनिया के सबसे मेहनती जानवर में शुमार गधे, घोड़े व खच्चरों की संख्या जिले में तेजी से घट रही है। 7 सालों में माल ढुलाई में इस्तेमाल होने वाले पशुओं की आबादी 70 फीसद कम हो गई है। यही नहीं जिले में पशुओं की कुल आबादी भी 12 सालों में 17 फीसद कम हो गई है। केवल गायों व कुत्तों की आबादी जिले में बढ़ी है।

20वीं पशुगणना के ये आंकड़े बेहद चिताजनक हैं। पारिस्थितिक तंत्र को बेहतर बनाए रखने में पशु-पक्षी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, लेकिन आधुनिकता के चकाचौंध में वनों के विनाश से पशुओं की संख्या साल-दर-साल घटती जा रही है। वर्ष 2007 की पशुगणना के अनुसार हिसार जिले में 7 लाख 96 हजार 810 पशु थे, जबकि बीते साल की पशुगणना में इनकी संख्या 6 लाख 57 हजार 532 रह गई। सबसे ज्यादा गिरावट घोड़े, गधों, खच्चर व ऊंट की संख्या में दर्ज हुई। सुअर की संख्या भी 53 फीसद घटी है। पशुओं की संख्या कम होने का एक कारण आधुनिकता की चकाचौंध व मशीनी युग के कारण लोगों में पशु प्रेम की भावना का कम होना भी माना जा रहा है।

चर्चा में गधी का दूध, लेकिन गधे हो रहे कम

पिछले दिनों गधी का दूध काफी चर्चा में रहा। हिसार में एनआरसीई गधी के दूध की डेयरी खोलने की तैयारी में है। इसके दूध में एंटी ऑक्सीडेंट, एंटी एजीन तत्व पाए जाते हैं, जो शरीर में कई गंभीर बीमारियों से लड़ने की क्षमता विकसित करते हैं। वहीं, गधे की संख्या कम होती जा रही है।

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पशु 2019 2012 अंतर (फीसद में) कैटल 170440 161673 5

भैंस 426486 509542 -16

बकरी 33689 49043 -31

भेड़ 18864 21960 -14

घोड़े 613 1598 -67

खच्चर 106 661 -83

गधे 70 152 -53

सुअर 4157 8975 -52

ऊंट 341 1617 -78

कुत्ते 2727 10011 72

कुल 657532 755221 -17

----------------- वर्ष पशुओं की संख्या

2007 796810

2012 755221

2020 657532

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5 फीसद पशु कम हुए 2007 से 2012 के बीच

12 फीसद पशु कम हुए 2012 से 2019 के बीच

17 फीसद पशु कम हुए 2007 की तुलना में 2019 में

70 फीसद कम हुई गधे, खच्चर और व घोड़ों की संख्या ---------------

भैंस की संख्या में सबसे बड़ी गिरावट

वर्ष 2007 से लेकर 2012 के बीच भैंसों की संख्या 4 फीसद बढ़ी थी। वहीं 20वीं पशुगणना के आंकड़ों के अनुसार भैंसों की संख्या जिले में 16 फीसद कम हो गई है। 2007 की बात करें तो जिले में 5 लाख 95 हजार 42 भैंस थी, जबकि 2019 में भैंसों की संख्या में बड़ी गिरावट आई। जिससे इनकी आबादी 4 लाख 64 हजार 86 पर पहुंच गई है।

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