हिसार की ब्लू बर्ड झील पर पहुंची विशेषज्ञों की टीम, बर्ड फ्लू की जांच के लिए बतखों के लिए सैंपल

एहतियात के तौर पर बतखों के रहने के टापू पर फीड को बदला गया है। इसके साथ ही लोगों के आने जाने वाली जगहों पर चूना का भी छिड़काव किया गया है। वहीं तालाब में पोटेशियम परमैग्नेट और हल्दी डाली गई है ताकि बतखें को कोई नुकसान न पहुंचा।

By Manoj KumarEdited By: Publish:Mon, 25 Jan 2021 04:17 PM (IST) Updated:Mon, 25 Jan 2021 04:17 PM (IST)
हिसार की ब्लू बर्ड झील पर पहुंची विशेषज्ञों की टीम, बर्ड फ्लू की जांच के लिए बतखों के लिए सैंपल
हिसार की ब्‍लू बर्ड झील पर दवा का छिड़का करते हुए कर्मचारी

हिसार, जेएनएन। हिसार के पर्यटन केंद्रों में से एक ब्लू बर्ड झील में अक्सर लोग बतखों को देखने और उन्हें दाना खिलाने आते हैं। मगर हाल ही में बर्ड फ्लू को लेकर सतर्कता बरती जा रही है। पशु चिकित्सकों की टीम ब्लू बर्ड में पहुंची और वहां जाकर उन्होंने बतखों के सैंपल लिए हैं। हालांकि सैंपल सही पाए गए हैं। वहीं एहतियात के तौर पर बतखों के रहने के टापू पर फीड को बदला गया है। इसके साथ ही लोगों के आने जाने वाली जगहों पर चूना का भी छिड़काव किया गया है। वहीं तालाब में पोटेशियम परमैग्नेट और हल्दी डाली गई है ताकि बतखें को कोई नुकसान न पहुंचा। यह पूरी प्रक्रिया पीपीई किट पहनकर की गई।  

22 जिलों से की गई है बर्ड फ्लू को लेकर सैंपलिंग

बर्ड फ्लू को लेकर प्रदेश में बड़ा सर्विलांस कार्यक्रम शुरू हो गया है। इसके तहत 22 जिलों में पशु पालन विभाग की टीमों द्वारा पोल्ट्री फार्म में सैंपलिंग करने का काम किया जा रहा है। कई सैंपल एकत्रित भी कर लिए गए हैं। अब इंतजार किया जा रहा कि लाला लाजपत राय पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान विश्वविद्यालय की बर्ड फ्लू टेस्टिंग लैब शुरू हो तो सैंपल भेजे जाएं। इधर लुवास में लैब के सेटअप को जमाने का काम किया जा रहा है। इस बड़े सर्विलांस कार्यक्रम के लिए कई संसाधनों की आवश्यकता होगी जिन्हें पूरा किया जा रहा है।

रीएजेंट आने का किया जा रहा इंतजार

बर्ड फ्लू की टेस्टिंग पीसीआर मशीन के माध्यम से की जाएगी। इसमें रीएजेंट यानि रसायनों के मिश्रण का प्रयोग किया जाता है। इन रीएजेंटों का स्टॉक विश्वविद्यालय में सीमित होता है। बड़े सर्विलांस कार्यक्रम के लिए काफी मात्रा में रीएजेंट की आवश्यकता होती है इसी कारण बाहरी कंपनियां से रीएजेंंट मंगाया जा रहा है। रीएजेंटों का प्रयोग पीसीआर मशीन में किया जाता है। जिससे पता चलता है कि कौन सा सैंपल पॉजिटिव है कौन सा निगेटिव है।

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विभागाध्यक्ष, महामारी एवं पब्लिक हेल्थ विभाग, लुवास डा. नरेश जिंदल ने कहा कि रीएजेंट को आने में अभी एक सप्ताह लगेगा। तब तक हम लैब का सेटअप अच्छा कर रहे हैं। सभी व्यवस्थाओं का प्रबंधन बना रहे हैं। प्रदेश में पशु चिकित्सकों ने सैंपलिंग शुरू कर दी है।

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