गीता भारत ही नहीं, विश्व का गौरव: स्वामी ज्ञानानंद महाराज

फोटो संख्या - 221 जागरण संवाददाता हिसार गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद महाराज ने कहा है कि ग

By JagranEdited By: Publish:Mon, 21 Dec 2020 07:02 AM (IST) Updated:Mon, 21 Dec 2020 07:02 AM (IST)
गीता भारत ही नहीं, विश्व का गौरव: स्वामी ज्ञानानंद महाराज
गीता भारत ही नहीं, विश्व का गौरव: स्वामी ज्ञानानंद महाराज

फोटो संख्या - 221

जागरण संवाददाता, हिसार: गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद महाराज ने कहा है कि गीता भारत ही नहीं, बल्कि विश्व का गौरव है। गीता देश, धर्म और काल की परीधि से परे युगों-युगों तक विश्व का मार्गदर्शन करने वाला अतुलनीय ग्रंथ है। स्वामी ज्ञानानंद महाराज रविवार को गीता जयंती के उपलक्ष्य पर गुरु जंभेश्वर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय तथा गीता ज्ञान संस्थानम्, कुरुक्षेत्र के तरफ से आयोजित एक दिवसीय व्याख्यानमाला को बतौर मुख्यातिथि एवं मुख्यवक्ता संबोधित कर रहे थे। व्याख्यान का विषय 'वैश्विक महामारी की वर्तमान चुनौतियां तथा श्रीमद्भगवद गीता की प्रासांगिकता' था। विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. टंकेश्वर कुमार ने व्याख्यानमाला की अध्यक्षता की।

स्वामी ज्ञानानंद महाराज ने अपने संबोधन में कहा कि दुनिया के बड़े से बड़े वैज्ञानिक तथा विद्वानों ने गीता का न केवल अध्ययन किया है, बल्कि उसे जीवन में धारण भी किया है। भगवान श्रीकृष्ण ने कुरुक्षेत्र की पावन धरा से श्री अर्जुन को गीता के रूप में जो संदेश दिया, वह पूरी मानवता के लिए उपयोगी है। जीवन में जब भी तनाव होता है। दबाव या दुर्भाव होता है। तो गीता राह दिखाती है। मानव और विश्व की कोई ऐसी समस्या नहीं है जिसका समाधान गीता में ना हो। उन्होंने कहा कि यही कारण है कि अब गीता के महत्व को विश्व स्तर पर समझा जाने लगा है।

प्रो. टंकेश्वर कुमार ने इस अवसर पर कहा कि गुरु जंभेश्वर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय गुरु जंभेश्वर महाराज तथा श्रीगीता के सिद्धांतों को लेकर ही आगे बढ़ रहा है। विश्वविद्यालय निरंतर राष्ट्रीय तथा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान को और अधिक मजबूत कर रहा है। उन्होंने स्वामी ज्ञानानंद महाराज को एक महान संत बताया तथा कहा कि विश्वविद्यालय को समय समय पर उनका आशीर्वाद मिलता रहता है।

व्याख्यान माला में आमंत्रित वक्ता के रूप में उपस्थित रहे जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय जोधपुर की प्रो. सरोज कौशल ने गीता के संबंध में अध्याय अनुसार जानकारियां दी। उन्होंने उदाहरण देकर समझाया कि गीता में बताए रास्ते पर चलने वाला व्यक्ति कभी भी भटक नहीं सकता। जीवन की हर कठिनाई से पार पा लेता है।

विश्वविद्यालय के धार्मिक अध्ययन संस्थान के अधिष्ठाता एवं अध्यक्ष प्रो. किशनाराम बिश्नोई ने कहा कि धार्मिक अध्ययन संस्थान श्रीगीता पर लगातार कार्यक्रम आयोजित करता रहता है। उन्होंने गीता को श्रेष्ठ ग्रंथ बताया।

व्याख्यानमाला में विश्वविद्यालय सहायक कोषाध्यक्ष डा. नरेंद्र चौहान ने गीता के श्लोकों को गाकर सुनाया तथा उनका विवरण दिया। उन्होंने भी गीता को श्रेष्ठ ग्रंथ बताया।

व्याख्यानमाला को शिक्षा संकाय की अधिष्ठाता प्रो. वंदना पूनिया तथा पूर्व आइजी डीएस बैनीवाल ने भी संबोधित किया। संचालन विश्वविद्यालय के पीआरओ बिजेंद्र दहिया ने किया। व्याखानमाला में विश्वविद्यालय के शिक्षक, गणमान्य नागरिकों के अतिरिक्त शोधार्थी तथा विद्यार्थी भी शामिल हुए।

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