वर्ष में तीन बार बोई जाती है सूरजमुखी की फसल
जागरण संवाददाता हिसार सूरजमुखी दुनिया में वनस्पति तेल के प्रमुख स्त्रोत के रूप में उगाई जाती ह
जागरण संवाददाता, हिसार : सूरजमुखी दुनिया में वनस्पति तेल के प्रमुख स्त्रोत के रूप में उगाई जाती है। सूरजमुखी की खेती कर किसान दोगुना लाभ ले सकते हैं। हरियाणा के किसान इस फसल को पर्याप्त मात्रा में उगा भी रहे हैं। वहीं चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय में पिछले लंबे समय से प्रयोग के लिए इस खेती को किया जाता रहा है। सूरजमुखी की फसल वर्ष में तीन बार रबी, खरीफ और जायद के सीजन में बोई जाती है। जायद मौसम में सूरजमुखी को फरवरी माह के मध्य से शुरू होता है। इसमें कतार से कतार की दूसरी चार से पांच सेंटीमीटर होनी चाहिए। इस फसल को करने से पहले आपको प्रबंधन आना बहुत जरूरी है तभी बीमारियों, मौसम के प्रकोप आदि से इसे बचा सकते हैं। सूरजमुखी तिलहन फसल है जिस पर प्रकाश का कोई प्रभाव नहीं पड़ता। इसके बीच में तेल की मात्रा 40 से 45 फीसद तक होती है। कोलेस्ट्रोल को भी करती है कम
सूरजमुखी के तेल में लीनोलिक मौजूद होते हैं जो कोलेस्ट्रोल को कम करने का काम करते हैं। यही गुणवत्ता के कारण यह तेल ह्दय रोगियों के लिए दवा का काम करता है। सूरजमुखी देखने में सुंदर रहने के साथ-साथ अधिक फायदेमेंद है। इसके फूल और बीज में कई औषधीय गुण पाए जाते हैं। यह कई बीमारियों से बचाता है। इसके साथ ही सूरजमुखी के तेल का नियमित रूप से प्रयोग करने पर लीवर सही रहता है। इसके तेल से त्वचा स्वस्थ होती है और बाल भी मजबूत रहती है।
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किस प्रकार की भूमि का करें चुनाव
सूरजमुखी का उत्पादन हर प्रकार की मिट्टी में किया जा सकता है। इसके लिए पानी निकास के अच्छे प्रबंध होने चाहिए। अम्लीय और क्षारीय भूमि में इसकी खेती करने से बचना चाहिए। अधिक पानी सोखने वाली भरी जमीन सूरजमुखी के उत्पादन के लिए काफी अच्छी है। ऐसे करें खेत तैयार
खेत को अच्छे तरीके से तैयार करें। संकर किस्मों के बीजों का प्रयोग करें। किस्मों में केबीएसएच-1, एमएसएफएच-8, पीएसी 36, केबीएसएच-44 आदि का प्रयोग कर सकते हैं। इसके साथ ही उन्नत किस्मों में ईसी 68415 (हरियाणा सूरजमुखी नं-1) समान रूप से पकती है। इसकी औसत पैदावार आठ क्विटल प्रतिएकड़ है। यह पकने में 90 दिन लेती है। जब नए बीज का प्रयोग रोपण के लिए किया जाता है तब इस तेल के साथ इलाज करें। सूरजमुखी की बिजाई को जनवरी से फरवरी के अंत तक किया जाना चाहिए। फूल आने के समय बोरेक्स का छिड़काव करें। खेत में नमी बरकरार रखनी चाहिए।