हिसार में चार करोड़ का स्ट्रीट लाइट घोटाला, नगर पालिका सचिव, एमई, जेई व लाइट इंस्पेक्टर पर गिरी गाज

हिसार की बरवाला नगर पालिका में भ्रष्टाचार। सरकार ने कड़ा संज्ञान लिया। 2019 में घोटाला सामने आया था। इस मामले में शिकायतकर्ता निवर्तमान पार्षद जगदीश गुलाटी और महिला पार्षद सोनिया आनंद ने सरकार से अफआइआर दर्ज करने की मांग की है।

By Umesh KdhyaniEdited By: Publish:Sat, 24 Jul 2021 01:16 PM (IST) Updated:Sat, 24 Jul 2021 01:16 PM (IST)
हिसार में चार करोड़ का स्ट्रीट लाइट घोटाला, नगर पालिका सचिव, एमई, जेई व लाइट इंस्पेक्टर पर गिरी गाज
चारों अधिकारी इस समय दूसरी नगर पालिकाओं और परिषदों में कार्यरत हैं।

संवाद सहयोगी, बरवाला (हिसार)। बरवाला नगर पालिका में फैले भ्रष्टाचार के खिलाफ सरकार ने कड़ी कार्रवाई की है। भ्रष्टाचार के मामले में चार अधिकारियों व कर्मचारियों को सस्पेंड कर दिया गया है। 2019 में जिस समय इस घोटाले को अंजाम दिया गया उस समय यह चारों बरवाला नगरपालिका में ही कार्यरत थे। वर्तमान में यह अन्य नगर पालिका व नगर परिषदों में कार्यरत हैं।

हरियाणा अर्बन लोकल बॉडी डिपार्टमेंट के एडिशनल चीफ सेक्रेटरी द्वारा जारी इन आदेशों में महामहिम राज्यपाल के आदेशों का हवाला देते हुए तत्कालीन एमई जयवीर सिंह, तत्कालीन सचिव मोहनलाल, जेई धर्मवीर सिंह तथा लाइट इंस्पेक्टर संदीप कुमार को सस्पेंड करने के आदेश दिए गए हैं। इनमें वर्तमान में जयवीर सिंह हांसी नगर परिषद में म्यूनिसिपल इंजीनियर, सचिव मोहनलाल नगरपालिका चीका में सचिव, जेई धर्मवीर सिंह वर्तमान में नगर परिषद नरवाना में तथा लाइट इंस्पेक्टर संदीप कुमार जो जूनियर इंजीनियर इलेक्ट्रिकल के पद पर प्रमोट होने पर सिसाय नगर पालिका में कार्यरत है। बरवाला में चार करोड़ के स्ट्रीट लाइट घोटाले में कथित रूप से शामिल इन चारों के सस्पेंशन के आदेशों की जिला नगर आयुक्त अशोक कुमार गर्ग ने पुष्टि की है। उन्होंने कहा कि सरकार ने इन चारों को सस्पेंड करने के आदेश दिए हैं।

शिकायकर्ताओं ने की एफआइआर की मांग

इस मामले में शिकायतकर्ता निवर्तमान पार्षद जगदीश गुलाटी व निवर्तमान महिला पार्षद सोनिया आनंद ने सरकार से इस मामले में एफआइआर दर्ज करने की मांग की है। उन्होंने कहा कि पालिका प्रधान समेत इन लोगों पर भ्रष्टाचार के आरोप साबित हो चुके हैं। नगर निगम की संयुक्त आयुक्त की जांच रिपोर्ट में यह स्पष्ट उल्लेख किया गया है कि प्रधान समेत उपरोक्त सभी ने स्ट्रीट लाइट के कार्यों में गंभीर अनियमितता बरती है और इससे विभाग को एक करोड़ से भी अधिक की हानि हुई है। इतना ही नहीं शहर में 334 एलईडी भी कम पाई गई।

जागरण ने उठाया था मुद्दा

गौरतलब है कि स्ट्रीट लाइट के इस घोटाले के गोलमाल को दैनिक जागरण ने भी प्रमुखता से उठाते हुए उजागर किया था। यह मामला प्रदेश के गृह व निकाय मंत्री अनिल विज के समक्ष लाया गया था। उसके बाद इसकी जांच जिला नगर आयुक्त हिसार को सौंपी गई थी। उनकी देखरेख में निगम की संयुक्त आयुक्त ने यह जांच की। जांच के दौरान स्ट्रीट लाइट घोटाले के सभी आरोप सही पाए गए थे। ऐसे में इनके ऊपर गाज गिरना तय था। वही दूसरी तरफ आज हालात यह है कि कागजों में बरवाला में स्ट्रीट लाइट के नाम चार करोड़ के लगभग की राशि खर्च करने के बावजूद शहर रात के समय में अंधेरे में डूबा रहता है। शहर की अधिकांश लाइटें खराब पड़ी है तो कहीं कागजों में ही स्ट्रीट लाइटें जलकर बंद हो गई।

यह था भ्रष्टाचार का पूरा मामला

रवाला में लगने वाली स्ट्रीट लाइट के टेंडर में भी नगरपालिका प्रशासन ने नियमों को पूरी तरह से ताक पर रखा। शहर में स्ट्रीट लाइटों के लिए नगरपालिका को 23 जनवरी 2019 को एक करोड़ 52 हजार की प्रशासकीय स्वीकृति मिली थी। पालिका प्रशासन ने 27 मई 2019 को एक करोड़ 52 हजार का वर्क ऑर्डर जारी कर दिया। बाद में इसे रिवाइज कर 3 करोड़ 98 लाख का कर दिया गया। जबकि म्युनिसिपल वर्कस रूलज 1976 के अनुसार रिवाइज अनुमान केवल 10 प्रतिशत करने का ही प्रावधान है। लेकिन नगरपालिका प्रशासन ने नियमों की पूरी तरह धज्जियां उड़ाते हुए दोबारा टेंडर करने की बजाय उसी फर्म के नाम वर्क ऑर्डर जारी कर दिया। जांच कमेटी ने भी जांच में माना है कि नगरपालिका प्रशासन ने टेंडर मामले में गंभीर अनियमितता बरती है।

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