आत्मनिर्भर भारत की ओर बढ़ते कदम, नट-बोल्ट कारोबारियों ने की चीन से तौबा
फास्टनर एसोसिएशन आफ इंडिया से जुड़े देशभर के 200 उद्यमियों ने लिया बहिष्कार का फैसला। एलपीएस बोसार्ड कंपनी चीन से 15 करोड़ के नट-बोल्ट से संबंधित उपकरण करती थी आयात
रोहतक [अरुण शर्मा] रोहतक के नट-बोल्ट कारोबार से जुड़े उद्यमियों ने चीन से आयात होने वाले रॉ मैटेरियल(कच्चा माल), मशीनें व अन्य उपकरणों से दूरी बना ली है। एलपीएस बोसार्ड के अलावा एयरो फास्टनर ने आयात-निर्यात के साथ ही दूसरे सभी कारोबारी संबंध खत्म करने का फैसला लिया है। वहीं, फास्टनर एसोसिएशन आफ इंडिया(एफएआइ) से जुड़े देशभर के करीब 200 उद्यमियों ने केंद्र सरकार को पत्र लिखकर चीन से आयात होने वाले नट-बोल्ट कारोबार पर कस्टम ड्यूटी बढ़ाने की मांग की है। इससे देश के कारोबारियों को सीधे तौर से फायदा होगा।
एलपीएस बोसार्ड कंपनी के मैनेजिंग डायरेक्टर राजेश जैन ने बताया है कि हमारी कंपनी सालाना 15 करोड़ के माल का आयात, जबकि पांच करोड़ रुपये का निर्यात होता था। फिलहाल आयात पूरी तरह से बंद कर दिया है। चीन से आयात होने वाले रॉ मैटेरियल को दूसरे राज्यों से 10-15 फीसद तक महंगे दामों में मंगा रहे हैं। निर्यात अभी एक करोड़ तक का हो रहा है, कुछ दिनों के अंदर इसे भी पूरी तरह से बंद करेंगे।
वहीं, फास्टनर एसोसिएशन आफ इंडिया के सदस्य एवं एयरो फास्टनर कंपनी के प्रबंध निदेशक जसमेर लाठर ने बताया है कि देश की सुरक्षा से संबंधित उपकरणों के लिए नट-बोल्ट तैयार करने का कार्य हमारे यहां होता है। चीन से कुछ मशीनें, कटर, स्पेयर पार्टस, रॉ मैटेरियल खरीदने के लिए आर्डर दिए थे। फिलहाल यह सभी आर्डर रद कर दिए हैं। बता दें कि रोहतक में नट-बोल्ट का कारोबार सालाना 1000 से 1200 करोड़ तक का है। 50 से अधिक देशों के अलावा सेना, रक्षा, अनुसंधान, स्वास्थ्य, रेलवे आदि प्रोजेक्ट के लिए रोहतक में तैयार नट-बोल्ट तैयार होते हैं।
एसोसिएशन से जुड़े उद्यमी देश में ही विकसित करेंगे तकनीक
उद्यमी जसमेर ने बताया है कि एसोसिएशन ने सरकार से मांग की है कि चीन के साथ नट-बोल्ट के आयात-निर्यात पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाया जाए। यह भी कहा है हमारे लिए देश पहले है और बाद में व्यापार। एसोसिएशन ने यह भी फैसला लिया है कि देश में ही स्पेयर पार्टस व उनकी तकनीकी को विकसित करने की कोशिश करेंगे। जो मशीनें देश में विकसित नहीं हैं उनके लिए जर्मनी, जापान और ताइवान के के साथ अहम वार्ता चल रही है। चीन के बजाय अमेरिका, रूस, जर्मनी, इंग्लैंड, यूक्रेन आदि से कच्चा माल खरीदेंगे। दूसरे कई संघ भी साथ आ गए हैं।