जीना इसी का नाम : नंगे पैर रहकर कर रहे बेसहारा गोवंश की सेवा, कर रहे हरे चारे की व्यवस्था

पिछले कई साल से नंगे पैर रहकर गोवंश की सेवा करने वाले सुनील कलकत्ता तक की गोशालाओं को संभाल रहे हैं। लॉकडाउन के इन दिनों में जहां व्यवस्थाएं प्रभावित हो रही हैं। गोवंश की इस पीड़ा को समझते हुए उन्होंने हरे चारे की व्यवस्था करने का बीड़ा उठाया है।

By Manoj KumarEdited By: Publish:Thu, 13 May 2021 05:27 PM (IST) Updated:Thu, 13 May 2021 05:27 PM (IST)
जीना इसी का नाम : नंगे पैर रहकर कर रहे बेसहारा गोवंश की सेवा, कर रहे हरे चारे की व्यवस्था
लॉकडाउन के हालात को समझते हुए झज्‍जर के सुनील गो सेवा में लगे हुए हैं

झज्जर, जेएनएन। गोभक्त सुनील निमाणा आज किसी परिचय के मोहताज नहीं है। पिछले कई साल से नंगे पैर रहकर गोवंश की सेवा करने वाले सुनील कलकत्ता तक की गोशालाओं को संभाल रहे हैं। लॉकडाउन के इन दिनों में जहां व्यवस्थाएं प्रभावित हो रही हैं। वहीं, बेसहारा गोवंश को भी समय पर भोजन नहीं मिल पा रहा। गोवंश की इस पीड़ा को समझते हुए उन्होंने हरे चारे की व्यवस्था करने का बीड़ा उठाया है।

सुबह के समय में वे खुद ट्रैक्टर में हरा चारा लेकर निकल रहे हैं। शहरी क्षेत्र में अलग-अलग स्थानों पर मिलने वाले गोवंश के अलावा चौक-चौराहों पर भी हरे चारे का प्रबंध कर रहे हैं। ताकि, जरूरत के समय में गोवंश को भूखा नहीं सोना पड़े। साथ ही आमजन से आह्वान कर रहे है कि बेसहारा दिखने वाले गोवंश के लिए अपने घर से गोग्रास जरूरी निकालें। ताकि, आपदा के इस समय में लोगों को आशीर्वाद मिलें।

गो-चिकित्सालय चलाकर कर रहे गौवंश की सेवा

दरअसल, गो सेवकों में झज्जर के सुनील निमाणा ने अपनी खास पहचान बनाई है। वह गायों व गोवंश की सेवा मां की तरह करते हैं। उनके लिए यह मातृसेवा है। निमाणा ने गो सेवा के लिए अनोखा संकल्प लिया है और अत्याधुनिक गो चिकित्सालय बनाने के लिए वह करीब तीन साल से नंगे पैर हैं। उनका संकल्प है कि चिकित्सालय बनने तक वह नंगे पैर रहेंगे।

हालांकि, अब इस चिकित्सालय का कार्य पूरा होने को हैं। लेकिन, पिछले साल आई कोरोना महामारी की वजह से व्यवस्थाएं जरूर प्रभावित हुई है। ऐसी परिस्थिति में भी उन्होंने अपनी हिम्मत नहीं हारी। बल्कि और ज्यादा मजबूती से टिके हुए हैं। निमाणा का झज्जर के गुरुग्राम रोड पर गोकुल धाम सेवा महातीर्थ चिकित्सालय है। यहां गो सेवा के भाव का अहसास बड़े अलग ढंग से महसूस किया जा सकता है। यह प्रदेश में पहला ऐसा चिकित्सालय है जिसने मुंबई तक एंबुलेंस भेजकर गोवंश का उपचार किया है। दरअसल यहां गो सेवा के कार्य में भी जुनूनी लोग जुड़े हुए हैं। यहां पर गाेवंश की नि:शुल्क चिकित्सा होती है।

पहले भी तीन साल के लिए रहे थे नंगे पैर

गो-सेवा के लिए समर्पित रहने वाले सुनील निमाणा का संकल्प लेने का अनुभव पुराना है। इससे पहले भी वह तीन साल तक नंगे पैर रहकर अपना एक बड़ा संकल्प पूरा कर चुके हैं। ऐसा उन्होंने अस्पताल की जमीन की रजिस्ट्री होने तक के लिए लिया था। जहां पर वर्तमान समय में चिकित्सालय चल रहा है। जमीन की रजिस्ट्री हो जाने के बाद करीब दो माह तक तो उन्होंने पैरों में कुछ पहना। पुन: अस्पताल निर्माण होने तक नंगे पैर रहने का प्रण ले लिया। अब तक हजारों पशुओं की यहां सेवा हो चुकी है। सुनील के मुताबिक उनसे गोमाता का दर्द देखा नहीं जाता। क्योंकि, कोरोना की दूसरी लहर का व्यापक असर देखने को मिला है। ऐसे में गोवंश के लिए भोजन की व्यवस्था बाधित हो रही है।जिसे महसूस करते हुए ही वे ट्रैक्टर में हरा चारा लेकर निकलते है।

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