प्रदेश की पहली जैविक प्रमाणीकरण एजेंसी एचएयू में होगी स्थापित

जागरण संवाददाता हिसार जैविक उत्पादों को सर्टिफाइड करने वाली एजेंसी की अभी तक प्रदेश

By JagranEdited By: Publish:Tue, 26 May 2020 08:12 AM (IST) Updated:Tue, 26 May 2020 08:12 AM (IST)
प्रदेश की पहली जैविक प्रमाणीकरण एजेंसी एचएयू में होगी स्थापित
प्रदेश की पहली जैविक प्रमाणीकरण एजेंसी एचएयू में होगी स्थापित

जागरण संवाददाता, हिसार : जैविक उत्पादों को सर्टिफाइड करने वाली एजेंसी की अभी तक प्रदेश को जरूरी थी। प्रमाण पत्र न होने के कारण किसान जैविक उत्पादों को एक्सपोर्ट भी नहीं कर पाते थे। इस प्रस्ताव पर अब सरकार ने मुहर लगा दी है। सरकार प्रदेश की पहली सरकारी जैविक प्रमाणीकरण एजेंसी चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय (एचएयू) में स्थापित करने जा रही है। यह हरियाणा जैविक प्रमाणीकरण एजेंसी (होका) के नाम से जानी जाएगी। सोमवार को एचएयू के कुलपति प्रो. केपी सिंह ने पत्रकार वार्ता में एजेंसी के लिए मुख्यमंत्री मनोहर लाल का आभार व्यक्त करते हुए बताया कि इस एजेंसी की सरकार ने 19 मई को अनुमति दे दी है। सबकुछ ठीक रहा तो जून में काम भी शुरू कर देंगे। इस एजेंसी को स्थापित करने के लिए डेढ़ वर्ष पहले एचएयू ने प्रस्ताव बनाकर सरकार को भेजा था। अब मंजूरी मिलने के बाद जहरमुक्त खेती करने वाले किसानों को अलग पहचान मिलेगी। एजेंसी दीनदयाल उपाध्याय जैविक खेती उत्कृष्टता केन्द्र के साथ मिलकर यह सोसाइटी काम करेगी। किसानों को आर्गेनिक क्षेत्र में सही कृषि पद्धति भी बताई जाएगी।

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सोसाइटी के तहत काम करेगी होका

हरियाणा जैविक प्रमाणीकरण एजेंसी (होका), सोसाइटी एक राज्य सहायता प्राप्त जैविक उत्पाद प्रमाणीकरण के रूप में काम करेगी। विश्वविद्यालय ने होका का सोसाइटी के रूप में पंजीकरण करवा लिया है। इस सोसाइटी के पदेन अध्यक्ष एचएयू के कुलपति तथा दीनदयाल उपाध्याय जैविक खेती उत्कृष्टता केन्द्र के नियंत्रण अधिकारी सदस्य सचिव होंगे। एचएयू ने कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीईडीए), वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय, भारत सरकार से होका को मान्यता दिलाने के लिए प्रक्रिया प्रारम्भ कर दी है। इसके बाद प्रदेश व हरियाणा से बाहर जैविक उत्पादों के विपणन व निर्यात में कोई बाधा नहीं आएगी।

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किसानों को से आती थीं समस्याएं

- सरकारी जैविक प्रमाणीकरण एजेंसी न होने की वजह से किसानों को थर्ड पार्टी प्रमाणीकरण निजी प्रयोगशालाओं तथा अन्य राज्यों की एजेंसियों पर निर्भर रहना पड़ता था।

- प्रदेश के कई किसान अपने जैविक उत्पाद का परीक्षण नहीं करवा पाते थे।

- जैविक प्रमाणीकरण प्रमाणपत्र न होने के कारण उन्हें अपना जैविक उत्पाद सामान्य श्रेणी के उत्पाद के अनुसार कम मूल्य में बेचना पड़ता था।

- अब इस संस्था के स्थापित होने पर प्रदेश के किसानों को जैविक उत्पाद प्रमाणीकरण से जुड़ी सभी जानकारियों का समय पर पता चल पाएगा।

- वह अपने जैविक उत्पाद को उचित मूल्य पर बेच पाएंगे, साथ ही राज्य के नागरिकों को शुद्ध जैविक खाद्य उत्पाद प्राप्त होंगे।

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