टिकरी बॉर्डर पर किसान आंदोलन के मंच से अब चुनावी बाताें पर केंद्रित रहते हैं वक्ताओं के भाषण

मंच से ज्यादातर वक्ताओं का भाषण चुनावी बातों पर ही केंद्रित रहता है। संयुक्त मोर्चे के कई नेता चुनावी राज्यों का रुख कर चुके हैं। कई खाप प्रतिनिधियों ने भी मंच से पश्चिम बंगाल में प्रचार के लिए जाने की बात कही और एक पार्टी को अच्छा बताया।

By Manoj KumarEdited By: Publish:Thu, 04 Mar 2021 04:34 PM (IST) Updated:Thu, 04 Mar 2021 06:49 PM (IST)
टिकरी बॉर्डर पर किसान आंदोलन के मंच से अब चुनावी बाताें पर केंद्रित रहते हैं वक्ताओं के भाषण
बहादुरगढ़ में टिकरी बॉर्डर पर धरने पर बैठे किसान

बहादुरगढ़, जेएनएन। सरकार से वार्ता को लेकर गतिरोध बनने और इस बीच पांच राज्यों के चुनावों का असर यहां आंदोलन पर देखा जा सकता है। कृषि कानूनों के विरोध में खड़ा हुआ आंदोलन अब पार्टी विशेष के खिलाफ गोलबंदी पर केंद्रित हो रहा है। यहां मंच से ज्यादातर वक्ताओं का भाषण चुनावी बातों पर ही केंद्रित रहता है। संयुक्त मोर्चे के कई नेता चुनावी राज्यों का रुख कर चुके हैं। वीरवार को कुछ नेता कोलकाता भी गए। कई खाप प्रतिनिधियों ने भी मंच से पश्चिम बंगाल में प्रचार के लिए जाने की बात कही और एक पार्टी का नाम लेकर उसे अच्छा बताया।

नशा करने और रात को घूमने की बात आ रही सामने

वीरवार को टीकरी बॉर्डर के मंच से कई वक्ताओं ने इस बात को माना कि रात को ट्रैक्टर लेकर कुछ आंदोलनकारी बेवजह घूमते हैं। पंजाब के वक्ता ने आह्वान किया कि ऐसा न करें। आखिर किसलिए ट्रैक्टर लेकर रात को घूमते हैं। वहीं हरियाणा के वक्ता राजपाल कलकल ने कहा कि कुछ लोगों द्वारा रात को नशा करके घूमने की बात सामने आ रही है। ऐसा किसलिए किया जा रहा है। ऐसा करने से तो आंदोलन बदनाम हो सकता है।

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उधर, दूध के दाम बढ़ाने का आह्वान, इधर आंदोलन में मच रही मारामारी

पिछले दिनों इंटरनेट मीडिया पर किसानों से दूध के दाम 100 रुपये प्रति लीटर करने के आह्वान की चर्चाएं आई। हालांकि संयुक्त मोर्चा के नेताओं ने इस तरह की बातों को फिजूल बताया और किसानों से अपनी तरफ से कोई फैसला न लेने की बात कही थी, मगर फिर भी कुछ जगहों पर किसानों द्वारा सरकारी डेयरियों को दूध न दिए जाने की बात सामने आई। दूसरी तरफ आंदोलन स्थल पर दूध के लिए मारामारी मच रही है। यहां पर रोजाना लाइनें लगाकर काफी देर तक दूध की गाड़ी का इंतजार किया जा रहा है। उसमें भी सभी को थोड़ा-थाेड़ा दूध ही मिल पा रहा है। ऐसे में जिस दूध को महंगा बेचने की बात हो रही है, उसकी आंदोलन स्थल पर दरकार बढ़ रही है।

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