पराली का समाधान है समझदारी : झज्‍जर में अच्छे भाव में बिक रही पराली, किसानों को हो रहा लाभ

किसानों का कहना है कि उन्हें पराली के अच्छे भाव मिले रहे हैं। जिसका किसानों को लाभ भी मिलता है। इसलिए पराली जलाने तक की नौबत भी नहीं आती। पराली जलाने से तो जमीन व पर्यावरण का नुकसान होता है।

By Manoj KumarEdited By: Publish:Sun, 28 Nov 2021 05:16 PM (IST) Updated:Sun, 28 Nov 2021 05:16 PM (IST)
पराली का समाधान है समझदारी : झज्‍जर में अच्छे भाव में बिक रही पराली, किसानों को हो रहा लाभ
झज्‍जर की अनाज मंडी में पहुंचे किसानों ने ली पराली नहीं जलाने की शपथ

जागरण संवाददाता,झज्जर : अनाज मंडी में पहुंचे किसानों ने रविवार को दैनिक जागरण के अभियान पराली का समाधान है समझदारी से जुड़कर पराली नहीं जलाने की शपथ ली। साथ ही किसानों का कहना है कि उन्हें पराली के अच्छे भाव मिले रहे हैं। जिसका किसानों को लाभ भी मिलता है। इसलिए पराली जलाने तक की नौबत भी नहीं आती। पराली जलाने से तो जमीन व पर्यावरण का नुकसान होता है। इसलिए सभी किसान जागरूकता के साथ पराली को बेचने पर ही फोकस करते हैं।

पराली बेचने से एक तो उन्हें कुछ आय मिलती है और दूसरा पराली प्रबंधन की चिंता भी नहीं रहती। पराली को चारे के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। इसलिए पराली की मांग भी बढ़ने लगी है। चारे के रूप में इस्तेमाल करने के लिए ही खरीददार पराली को खरीदते हैं। यहां तक कि काफी खरीददार तो पराली को खेत से ही उठाकर ले जाते हैं। जिससे किसानों को पराली कहीं पहुंचाने या उठाने की भी जरूरत नहीं होती।

गांव कहाड़ी निवासी किसान मंजीत सिंह नंबरदार, गांव कहाड़ी निवासी मुकेश, किसान गांव पटासनी निवासी वीरेंद्र सिंह, गांव खेड़ी सुल्तान निवासी अनगपाल सिंह व ओमबीर सिंह ने कहा कि वे धान बेचने के लिए झज्जर अनाज मंडी में पहुंचे हैं। उन्होंने अपनी पराली को नहीं जलाया। पराली को तीन-चार हजार रुपये प्रति एकड़ के हिसाब से बेचते है। जिससे उन्हें कुछ रुपये भी मिल गए। पराली बेचने के बाद अब खरीददार पराली को उठा ले जाएगा और वे अपने खेत में बिजाई कर पाएंगे।

खुद ही नहीं उनके गांव में भी पराली जलाने की बजाए किसान बेचते हैं। उन्होंने दैनिक जागरण से जुड़ते हुए यह भी शपथ ली की वे पराली नहीं जलाएंगे। साथ ही दूसरे किसानों को भी पराली नहीं जलाने के लिए जागरूक किया जाएगा। पराली जलाने से खेत की जमीन व पर्यावरण को नुकसान होता है। एक तो जमीन के सूक्ष्म जीव नष्ट हो जाते हैं, जिससे जमीन की उर्वरा शक्ति खत्म होने लगती है। वहीं दूसरी तरफ वायु प्रदूषण भी बढ़ता है। इसलिए किसी को भी पराली नहीं जलानी चाहिए।

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