सैनिक पति घर से दूर, परिवार की देखभाल के साथ फ्रंटलाइन जिम्मेदारी निभा रहीं रोहतक की स्टाफ नर्स सोनिया

32 वर्षीय सोनिया का कहना है कि घर की परेशानियों से बड़ी समस्या कोरोना संकट है। हेल्थ वर्कर्स घर नहीं बैठ सकते ऐसा रहा तो महामारी विकराल रूप घारण कर लेगी। इस समय हमारा पूरा ध्यान कोरोना संक्रमित मरीजों की जान बचाने का है।

By Manoj KumarEdited By: Publish:Sun, 16 May 2021 01:46 PM (IST) Updated:Sun, 16 May 2021 01:46 PM (IST)
सैनिक पति घर से दूर, परिवार की देखभाल के साथ फ्रंटलाइन जिम्मेदारी निभा रहीं रोहतक की स्टाफ नर्स सोनिया
घर में बुजुर्ग सास, बच्चों की जिम्मेदारी, अस्पताल में कोविड ड्यूटी का दायित्व निभा रही सोनिया

रोहतक, जेएनएन। रोहतक पीजीआइएमएस की स्टाफ नर्स सोनिया महामारी में दोहरी भूमिका निभा रही हैं। पति सीआइएसएफ में एसआइ हैं, देश सेवा के लिए घर से दूर हैं। घर में बुजुर्ग सास और दो छोटे बच्चे हैं। इनकी देखभाल की जिम्मेदारी सोनिया पर आन पड़ी है, साथ ही बतौर स्वास्थ्यकर्मी महामारी में भी फ्रंटलाइन ड्यूटी से अपना फर्ज निभा रही हैं। परिवार की तमाम परेशानियों के चलते अवकाश ले सकती थी, लेकिन, कर्तव्य को तरजीह दी। महामारी की पहली लहर में भी सोनिया ने कोविड ड्यूटी दी थी। फिलहाल अस्पताल के मॉड्यूलर आइसीयू में कोरोना संक्रमितों की सेवा का दायित्व निभा रही हैं।

32 वर्षीय सोनिया का कहना है कि घर की परेशानियों से बड़ी समस्या कोरोना संकट है। हेल्थ वर्कर्स घर नहीं बैठ सकते, ऐसा रहा तो महामारी विकराल रूप घारण कर लेगी। इस समय हमारा पूरा ध्यान कोरोना संक्रमित मरीजों की जान बचाने का है। सभी हेल्थ वर्कर्स की घरेलू परेशानियां हैं लेकिन संक्रमितों की सेवा के लिए मिलने वाले अवकाश तक नहीं ले रहे हैं। एक-दूसरे के साथ और जज्बे से ही कोविड-19 के प्रति भय हेल्थ वर्कर में कम हुआ है, अच्छे से संक्रमितों की देखभाल कर पा रहे हैं। सोनिया कहती हैं, कि फिलहाल, संक्रमितों की संख्या बहुत ज्यादा है, ऐसे में जिम्मेदारियां भी बढ़ गई है। रोस्टर के अनुसार दिन के साथ ही रात में भी ड्यूटी देनी पड़ रही है। नाइट ड्यूटी के बाद तो कई बार रात दो-तीन बजे के बाद घर पर अकेले जाना पड़ता है।

परेशानी के बाजवूद नाईट ड्यूटी से नहीं हुई विमुख

सोनिया बताती हैं कि दिन की ड्यूटी तो जैसे-तैसे हो जाती है, लेकिन, नाइट ड्यूटी में परेशानी ज्यादा होती है। सास बुजुर्ग हैं, दोनों बच्चे छोटे हैं। छोटा बेटा रणविजय पांच वर्ष का है, बड़ा बेटा रुद्र वर्ष का है। बुजुर्ग सास को अकेले दोनों को संभालने में काफी समस्या आती है। फोन पर लगातार संपर्क रखना पड़ता है। दिन में भी चिंता बनी रहती है। घर जाने पर बच्चों से काफी देर तक अलग रहना पड़ता है।

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