हिंसा के बाद टीकरी बॉर्डर पर सन्नाटा, फोर्स तैनात, सरकार को जिम्मेदार ठहरा रहे किसान नेता

दिल्ली में हिंसा के बाद बहादुरगढ़ में आंदोलन स्थल पर सन्नाटा सा है। फोर्स तैनात है। टीकरी बॉर्डर पर डटे पंजाब के किसान नेता इस पूरी हिंसा के लिए सरकार को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। साथ में यह भी कह रहे हैं कि उन्हें पहले ही ऐसी आशंका थी।

By Manoj KumarEdited By: Publish:Wed, 27 Jan 2021 10:02 AM (IST) Updated:Wed, 27 Jan 2021 10:02 AM (IST)
हिंसा के बाद टीकरी बॉर्डर पर सन्नाटा, फोर्स तैनात, सरकार को जिम्मेदार ठहरा रहे किसान नेता
बहादुरगढ़ में टिकरी बॉर्डर पर ट्रैक्‍टर ट्रॉली के साथ लौटते किसान

बहादुरगढ़, जेएनएन। गणतंत्र दिवस पर किसान परेड के समय दिल्ली में हुई हिंसा के बाद बहादुरगढ़ में आंदोलन स्थल पर सन्नाटा सा है। फोर्स तैनात है। टीकरी बॉर्डर पर डटे पंजाब के किसान नेता इस पूरी हिंसा के लिए सरकार को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। साथ में यह भी कह रहे हैं कि उन्हें पहले ही ऐसी आशंका थी। इसके बावजूद इस ट्रैक्टर मार्च को टालने के सवाल पर किसान नेता साफ तौर पर कुछ नहीं कह पा रहे। पंजाब के किसान नेता प्रगट सिंह ने कहा कि जो कुछ हुआ, उसके लिए सरकार जिम्मेदार है।

उधर, 26 जनवरी से पहले हरियाणा के विभिन्न जिलों से परेड के लिए पहुंचे ट्रैक्टर ट्रालियों का पिछले लगभग 24 घंटों से वापसी का रुख बना हुआ है। मंगलवार की दोपहर बाद से ही नेशनल हाइवे-9 से किसानों के झंडे लगे ट्रैक्टर-ट्राली, बाइक और दूसरे वाहनों के लौटने का दौर चल रहा है। भारी संख्या में वाहन वापस जा चुके हैं। रात भर यह दौर चला। बुधवार सुबह भी जारी है।

ये ट्रैक्टर-ट्राली और वाहन स्पेशल तौर पर दिल्ली में परेड को लेकर ही आए थे। 22 जनवरी से जुटने शुरू हुए थे और 26 जनवरी की सुबह तक पहुंचे थे। इनकी संख्या इतनी बढ़ गई थी कि मंगलवार को बहादुरगढ़ में सड़कों से लेकर गलियों तक में कदम रखने की जगह नहीं थी। आखिरी प्वांट पर खड़े ट्रैक्टर-ट्राली शाम को दिल्ली में घुसे थे। जबकि यह सिलसिला सुबह ही शुरू हो गया था।

इस बीच लाल किले पर तिरंगे से अलग झंडा फहराने को लेकर आंदोलन से वापस लौटते हरियाणा के युवाओं में नाराजगी भी नजर आई। रोहद टोल पर कई युवकों ने यह कहा कि जब तिरंगे की जगह दूसरा झंडा देखा तो वहीं से मन टूट गया और हम वापस चल पड़े। हालांकि भीड़ के हिंसक होने को लेकर ये युवा कुछ नहीं बोले।

अब इस प्रकरण के बाद आंदोलन स्थल पर कितने किसान डटे रहते हैं, यह भी सवाल है। वैसे तो संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं ने 26 जनवरी की परेड के लिए आए सभी किसानों से भी दिल्ली से वापस आकर आंदोलन स्थल पर ही रहने का आह्वान किया था, मगर ऐसा देखने को नहीं मिल रहा है।

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