अग्रोहा धाम में स्थापित है सिद्ध ज्योर्तिलिग, जिनके दर्शन मात्र से ही श्रद्धालुओं की होती है मनोकामना पूरी

सावन माह लगते ही शिव भक्तों में भक्तिमय माहौल बना हुआ है। शिव मंदिरों में पूजा के लिए भक्तों का तांता लगना शुरू हो गया है।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 25 Jul 2021 07:41 PM (IST) Updated:Sun, 25 Jul 2021 07:41 PM (IST)
अग्रोहा धाम में स्थापित है सिद्ध ज्योर्तिलिग, जिनके दर्शन मात्र से ही श्रद्धालुओं की होती है मनोकामना पूरी
अग्रोहा धाम में स्थापित है सिद्ध ज्योर्तिलिग, जिनके दर्शन मात्र से ही श्रद्धालुओं की होती है मनोकामना पूरी

संवाद सहयोगी अग्रोहा : सावन माह लगते ही शिव भक्तों में भक्तिमय माहौल बना हुआ है। शिव मंदिरों में शिव भक्तों का तांता लगना शुरू हो जाता है। सावन माह में शिवभक्त भगवान भोलेनाथ को श्रद्धालु उन्हें प्रसन्न करने में जुट गए हैं। अग्रोहा धाम में बने रामेश्वरम धाम में स्थापित बारह ज्योर्तिलिगों के दर्शन और पूजा अर्चना के लिए श्रद्धालुओं का आना शुरू हो गया है। अग्रोहा धाम में बने रामेश्वरम धाम में श्रद्धालु बारह ज्यार्तिलिगों जिनमें सोमनाथ मल्लिकार्जुन,महाकालेश्वर ओंकारेश्वर, केदारनाथ, भीमाशंकर, काशी विश्वनाथ, ‌र्त्यम्बकेश्वर, वैद्यनाथ, नागेश्वर, रामेश्वर, घृष्णेश्वर के दर्शन करने आते हैं। वहीं रामेश्वरम धाम में काशी के प्रकांड पंडितों द्वारा स्थापित पारद और स्फटिक शिवलिगों की विशेष पूजा और दर्शनों के लिए शिव भक्तों में उत्साह बना रहता है।

शिवभक्त करते हैं पारद और स्फटिक शिवलिग की पूजा

अग्रोहा धाम के रामेश्वरम धाम के मुख्य पुजारी प्रवीण शास्त्री ने बताया कि सालों से सावन माह लगते ही देश विदेश के हजारों श्रद्धालु पारद और स्फटिक शिवलिग की पूजा करने अग्रोहा धाम में आते हैं। पुजारी ने बताया कि धाम में स्थापित पारद और स्फटिक शिवलिग सिद्ध है, जिनके दर्शन मात्र से ही श्रद्धालुओं की मनोकामना पूरी होती है। पारद शिवलिग के महत्व का वर्णन ब्रह्मपुराण, शिव पुराण, उपनिषद आदि अनेक ग्रंथों में किया गया है। रुद्र संहिता के अनुसार रावण रसायन शास्त्र का ज्ञाता और तंत्र-मंत्र का विद्वान था। उसने भी रसराज पारे के शिवलिग का निर्माण एवं पूजा-उपासना कर शिवजी को प्रसन्न किया था। पारद शिवलिग की पूजा अर्चना करने से जीवन में सुखशांति और सौभाग्य प्राप्त होता है। पारद शिवलिग से धन-धान्य, आरोग्य, पद-प्रतिष्ठा, सुख आदि भी प्राप्त होते हैं। नवग्रहों से जो अनिष्ट प्रभाव का भय होता है, उससे मुक्ति भी पारद शिवलिग से प्राप्त होती है। ज्योतिर्लिंग के पूजन से जितना पुण्यकाल प्राप्त होता है उतना पुण्य पारद शिवलिग के दर्शन मात्र से मिल जाता है। पारद शिवलिग की पूजा एवं दर्शन बहुत ही पुण्य फलदायी और सौभाग्यदायक होते हैं। वहीं स्फटिक शिवलिग सफेद, पारदर्शी, कांच के समान चमकदार होता है। स्फटिक शिवलिग की आराधना तथा पूजन सभी सौभाग्यों को देने वाला है। इस शिवलिग के पूजन से दरिद्रता, शोक, रोग समाप्त हो जाती है और लक्ष्मी अपने पूर्ण स्वरूप में विराजित होती हैं।

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