हिसार में वर्कशाप में सामान का टोटा, रोडवेज बसाें की हालत में नहीं हो रहा सुधार

हिसार में सामान के अभाव में बसों की हालत में सुधार नहीं हो पा रहा है। वर्कशाप के कर्मचारी स्पेयर सामान को ही दुरस्त कर दोबारा से बसों में मजबूरन डाल कर काम चला रहे है। ऐसे में स्पेयर सामान ज्यादा समय तक नहीं चल पाता है

By Manoj KumarEdited By: Publish:Fri, 03 Dec 2021 12:54 PM (IST) Updated:Fri, 03 Dec 2021 12:54 PM (IST)
हिसार में वर्कशाप में सामान का टोटा, रोडवेज बसाें की हालत में नहीं हो रहा सुधार
हिसार में इंजेक्टर व सेंसर के अभाव में 4 से 5 बसे पिछले तीन से वर्कशाप में खड़ी हैं बसें

जागरण संवाददाता, हिसार। हिसार डिपो के वर्कशाप में काफी दिनों से सामान का टोटा है। सामान के अभाव में बसों की हालत में सुधार नहीं हो पा रहा है। वर्कशाप के कर्मचारी स्पेयर सामान को ही दुरस्त कर दोबारा से बसों में मजबूरन डाल कर काम चला रहे है। ऐसे में स्पेयर सामान ज्यादा समय तक नहीं चल पाता है और बसे जल्द खराब होने लगती है। दोबारा से बसे काम के लिए डिपो में आकर खड़ी हो जाती है।

इसके चलते वर्कशाम कर्मियों की परेशानी ज्यादा बढ़ जाती है, क्योंकि उन्हीं बसों को दोबारा से ठीक करना पड़ता है।वर्कशाप कर्मियों ने सामान की कई बार अधिकारियों से मांग की है। फिर भी सामान नहीं आ रहा। वर्कशाप में हर रोज 25 से 30 बसे बाडी व रंग सहित अन्य काम के लिए आती है। ज्यादातर बसों में ब्लडिंग, इंजेक्टर, सेंसर या ग्रीस गन का काम होता है। मगर यह सामान वर्कशाप में नहीं है।

इंजेक्टर व नोक्ष सेंसर के अभाव में 4 से 5 बसें वर्शशाप में पिछले तीन माह से खड़ी है। इन बसों के न चलने से रोडवेज को भी नुकसान हो रहा है। ऐसी स्थिति बाकी बसों में है। रोजाना 5 ग्रीस गन व 2 गैंस सिलिंडर की लागत वर्कशाप में अधिक रहती है। गैंस ब्लडिंग का काम के लिए ज्यादा बसें आती है। 20 किलो से अधिक वजन का सिलिंडर होता है।

यह सामान नहीं

वर्कशाप में ग्रीस गन, एफटी व्हील शिम, पाटरेल कनेक्शन पिक व गैंस सिलिंडर, इंजेक्टर और नोक्ष सेंसर आदि सामान नहीं है। एक इंजेक्टर की कीमत 6 हजार रुपये होती है। 21 हजार किलोमीटर चलने पर बस की सर्विस होती है। डीजल पाइप गर्म होकर फट जाती है।

लोकल नहीं हो रही परचेज

बताया जा रहा है कि एओ की वजह से काम रूके हुए है और सामान की परचेह नहीं हो रही है।चाहे वह लोकल हो या बाहर। कर्मियों का कहना है कि सामान का बिल बनाकर पास नहीं किया जाता है। अगर सामान की लोकल परचेज हो जाएं तो यह परेशानी कम हो सकती है।

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