बेटियों को ओलिपिक में देख खिले चेहरे, मैच में हार का रहा मलाल

दुनिया के सबसे बड़े खेल आयोजन में बेटियों को खेलता देख हाकी खिलाड़ियों के परिजनों के चेहरे खिल उठे। शनिवार को ओलिपिक में भारतीय महिला हाकी का पहला मैच समाप्ति तक बेटियों के परिजन स्क्रीन के सामने बैठे रहे। बेटियों को खेलता देख उनके चेहरे पर खुशी देखने लायक थी हालांकि मैच के अंत में उन्हें भारतीय महिला टीम की प्रतिद्वंद्वी नीदरलैंड से हार का मलाल भी रहा।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 25 Jul 2021 07:50 AM (IST) Updated:Sun, 25 Jul 2021 07:50 AM (IST)
बेटियों को ओलिपिक में देख खिले चेहरे, मैच में हार का रहा मलाल
बेटियों को ओलिपिक में देख खिले चेहरे, मैच में हार का रहा मलाल

जागरण संवाददाता, हिसार : दुनिया के सबसे बड़े खेल आयोजन में बेटियों को खेलता देख हाकी खिलाड़ियों के परिजनों के चेहरे खिल उठे। शनिवार को ओलिपिक में भारतीय महिला हाकी का पहला मैच समाप्ति तक बेटियों के परिजन स्क्रीन के सामने बैठे रहे। बेटियों को खेलता देख उनके चेहरे पर खुशी देखने लायक थी, हालांकि मैच के अंत में उन्हें भारतीय महिला टीम की प्रतिद्वंद्वी नीदरलैंड से हार का मलाल भी रहा। विश्व की नंबर एक टीम नीदरलैंड ने भारतीय महिला हाकी टीम को 5-1 के बड़े अंतराल से पराजित किया। हालांकि इस मैच में देश की बेटियों ने बेहतर खेल का प्रदर्शन किया।

परिवार ने बेटियों के ओलिपिक में पहुंचने पर ये दी प्रतिक्रिया

बेटी ने पिता का सपना किया साकार-गीता देवी

उदिता : हिसार के न्यू पुलिस लाइन निवासी उदिता की माता गीता देवी मैच देखने के दौरान भावुक हो गई। उनकी आंखों में खुशी के आंसू थे। उन्होंने कहा कि उदिता के पिता का सपना था कि उनकी बेटी खेल में नाम कमाए और ऊचाइयां छुए। बीमारी के कारण उदिता के पिता का देहांत हो गया था लेकिन आज उदिता ने विश्व की सबसे बड़ी खेल प्रतियोगिता में पहुंचकर पिता का सपना साकार कर दिया है। मुझे उम्मीद है कि इस प्रतियोगिता में आगे भारतीय टीम बेहतर प्रदर्शन करेगी और पदक जीतेंगी।

बेटी की मेहनत रंग लाई : सुरेश कुमार

शर्मिला देवी : मेरी बेटी आज ओलिपिक में खेली है। यह मेरे और मेरे परिवार के लिए सपना सच होने जैसा है। यह बात कहते हुए शर्मिला देवी के पिता सुरेश कुमार ने कहा मैं एक गरीब किसान हूं। डीपीई प्रवीणा सिहाग ने सरकारी स्कूल में पढ़ने वाली मेरी बेटी शर्मिला को हाकी में आगे लेकर गई। प्रवीणा सिहाग की मदद की बदौलत मेरी बेटी आज ओलिपिक तक पहुंच पाई है। मैं गाड़ी खराब होने के कारण मैच तो नहीं देख पाया लेकिन मेरी बेटी ओलिपिक में खेली यह मेरी लिए सबसे बड़ी उपलब्धि है।

प्रतिद्वंद्वी का सुरक्षा कवच नहीं भेद पाई बेटियां : मलिक

बेटियों को लंबे समय से हाकी की बारीकियां सीखाने वाले कोच आजाद सिंह मलिक ने मैच के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि नीदरलैंड से खेले गए मुकाबले में भारतीय महिला हाकी टीम का मीडफील्ड, डिफेंस और अटैक बेहतर रहा । विश्व की नंबर वन टीम नीदरलैंड को दो क्वार्टर तक बराबरी पर रखा। उन पर अटैकिग भी करते रहे, लेकिन तीसरे क्वार्टर में एक के बाद एक तीन गोल भारतीय टीम को हार के नजदीक ले आए। भारतीय टीम का पहला मुकाबला बहुत मजबूत टीम से था, फिर भी भारतीय टीम ने बेहतर खेल का प्रदर्शन किया। शुरुआत से ही भारतीय टीम अटैकिग दिखी और पहला गोल कर दिया, लेकिन इस जोश को अंत तक नहीं दिखा पाए और तीसरे क्वार्टर में प्रतिद्वंद्वी टीम भारी पड़ी। अंत में भारतीय टीम 5-1 के स्कोर से पराजित हो गई।

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