हिसार में 22 साल बाद भी शहीद के नाम पर नहीं रखा गया स्कूल का नाम, दो पंचायतों के चक्कर में उलझा

22 साल बीतने के बाद भी गांव के सरकारी स्कूल का नाम शहीद के नाम पर नहीं रखा गया यह शहीदों का अपमान नहीं तो और क्या है। पवित्र कुमार 9 जुलाई 1999 को 11 दुश्मनों को मारते हुए 21 साल की अल्पायु में कारगिल में शहीद हो गए थे।

By Manoj KumarEdited By: Publish:Fri, 09 Jul 2021 09:12 AM (IST) Updated:Fri, 09 Jul 2021 09:12 AM (IST)
हिसार में 22 साल बाद भी शहीद के नाम पर नहीं रखा गया स्कूल का नाम, दो पंचायतों के चक्कर में उलझा
मंत्री अत्तर सिंह सैनी ने सरकारी स्कूल का नाम शहीद के नाम रखने की घोषणा की थी, पूरी नहीं हुई

सुनील मान, नारनौंद: 'शहीदों की चिंताओं पर लगेंगे हर बरस मेले वतन पर मिटने वालों का यही बाकी निशां होगा', किसी देशभक्त कवि की ये पंक्तियां शायद अब कहने मात्र को ही रह गई हैं। जिसका एक उदाहरण जिला हिसार के खेड़ी रोज गांव के युवा कारगिल शहीद पवित्र कुमार श्योरान की शहादत का दिया जा सकता है। 22 साल बीतने के बाद भी गांव के सरकारी स्कूल का नाम शहीद के नाम पर नहीं रखा गया यह शहीदों का अपमान नहीं तो और क्या है। शहीद पवित्र कुमार 9 जुलाई 1999 को 11 दुश्मनों को मारते हुए 21 साल की अल्पायु में कारगिल में शहीद हो गया था।

जिसके अंतिम संस्कार पर इनैलो सरकार में तत्कालीन मंत्री अत्तर सिंह सैनी ने गांव के सरकारी स्कूल का नाम रणबांकुरे पवित्र श्योरान के नाम करवाए जाने की सरेआम घोषणा की थी। बाद में इसके लिए शहीद के चाचा महासिंह श्योरान ने जागरूक ग्रामीणों को साथ लेकर प्रशासन से बातचीत की तो कई सालों तक चक्कर काटे। प्रशासन ने स्कूल मुख्याध्यापक को पंचायत का प्रस्ताव करवाने के लिए लिखा। यही से कारगिल शहीद को अपमानित करने का सिलसिला शुरू हुआ और शहीद के अंतिम संस्कार पर सरकार की स्कूल नामकरण की घोषणा मिट्टी में मिलती चलती गई।

जब संबंधित पंचायत जिसके कार्यक्षेत्र में गांव का सरकारी स्कूल स्थापित था।तो दूसरी पंचायत ने प्रस्ताव पास करने से इनकार कर दिया कि शहीद का निवास स्थान दूसरी पंचायत के दायरे में है। जबकि मिलकपुर गांव का यह स्कूल दोनों पंचायतों का सांझा स्कूल है। सबसे बढ़कर गांव के इस बहादुर सैनिक पवित्र श्योरान ने इसी स्कूल से दसवीं की पढ़ाई पूरी की थी। परिजनों और गांव के लोगों की मांग है कि मिलकपुर गांव के सरकारी स्कूल का नाम शहीद पवित्र कुमार श्योरान के नाम किया जाए और तत्कालीन सरकार की नामकरण पर की गई घोषणा को अमलीजामा पहनाया जाए।

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ग्रामीण युवाओं ने मांग कि है की सरकार शहीद के स्मारक स्थल पर युवाओं के मार्गदर्शन के लिए एक लाइब्रेरी तो बनाए। ताकि युवाओं को यहां से कुछ प्रेरणा मिले।

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शहीद पवित्र सिंह की मां सुजानी देवी ने बताया कि सरकार उनके शहीद बेटे के नाम पर स्कूल का नाम रखें। उन्होंने देश की खातिर अपने प्राण न्यौछावर किए हैं। सरकार शहीदों का सम्मान करने में बड़ा ढीला रवैया अपना रही है। इससे अन्य सैनिकों का भी मनोबल गिरेगा। सरकार को सैनिकों का मनोबल बढ़ाने के लिए उचित कदम उठाने चाहिए।

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