आठवीं कक्षा तक स्‍कूल बंद करने के सरकार के खिलाफ सिरसा में सड़कों पर उतरे स्कूल संचालक

हरियाणा में 30 अप्रैल तक आठवीं तक के स्कूल बंद रखने के मौखिक आदेशों के खिलाफ आज सिरसा जिला के स्कूल संचालक बिफर गए और उन्होंने फेडरेशन ऑफ प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन हरियाणा के तत्वावधान में प्रदर्शन किया। स्‍कूलों को शर्त के साथ खोलने की मांग रखी

By Manoj KumarEdited By: Publish:Mon, 12 Apr 2021 03:17 PM (IST) Updated:Mon, 12 Apr 2021 03:17 PM (IST)
आठवीं कक्षा तक स्‍कूल बंद करने के सरकार के खिलाफ सिरसा में सड़कों पर उतरे स्कूल संचालक
आठवीं तक के स्‍कूल खाेलने की मांग को लेकर प्रदर्शन करते संचालक

सिरसा, जेएनएन। हरियाणा सरकार द्वारा कोविड-19 सुरक्षा मानकों के तहत 30 अप्रैल तक स्कूल बंद रखने के मौखिक आदेशों के खिलाफ आज सिरसा जिला के स्कूल संचालक बिफर गए और उन्होंने फेडरेशन ऑफ प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन हरियाणा के तत्वावधान में प्रदर्शन किया। सैंकड़ों की संख्या में आज स्कूल संचालक लघु सचिवालय में एकत्रित हुए और सरकार के इन आदेशों के खिलाफ निंदा जाहिर की। राष्ट्रीय अध्यक्ष कुलभूषण शर्मा ने कहा कि हरियाणा सरकार के आदेश वर्तमान शिक्षा स्थिति पर प्रतिकूल प्रभाव डालेगा। लगभग एक साल के बाद अब जाकर कोविड-19 के कारण शिक्षा के नुकसान की भरपाई करने हेतु छात्रों, अभिभावकों, शिक्षकों व स्कूल लीडऱों ने बड़ी आशा के साथ फिजिकल कक्षाएं शुरू की है लेकिन  बिना किसी चर्चा के प्रदेश के मुख्यमंत्री का स्कूल बंद करने को लेकर कहना, लोकतांत्रिक नहीं है।

उन्होंने कहा कि सरकार अब जानती है कि  हरियाणा अब जोखिम की स्थिति में नहीं है, ऐसे में आदेश प्रत्येक जिला के स्तर पर महामारी पर विचार कर होने चाहिए। कुलभूषण ने कहा कि एसोसिएशन निरंतर सरकार से मांग कर रही है कि महामारी के कारण आए वित्तीय संकट से निपटने के लिए स्कूलों को प्लेज मनी वापिस करें लेकिन ऐसा नहीं हो रहा। हाल में तेलंगाना सरकार ने निजी स्कूल के शिक्षण व गैर शिक्षण कर्मचारियों के लिए 2 हजार रुपये व 25 किलोग्राम चावल के राहत पैकेज की घोषणा की गई है। एसोसिएशन चाहती है कि  हरियाणा सरकार भी इसी तर्ज पर शिक्षण व गैर शिक्षण कर्मचारियों को साहुलियत दें। राष्ट्रीय अध्यक्ष ने यह भी कहा कि शिक्षा क्षेत्र के अंदर स्कूलों का परिवहन विभाग भी इस महामारी की चपेट में है।

लाखों ड्राईवर, सफाई कर्मचारी, बस सहायक अब बेरोजगार है। स्कूल बसें भी दो साल से नहीं चली है। ऐसे में सरकार स्कूल बस कर्मचारियों को उनकी नौकरी वापिस मिलने तक 3 हजार रुपये प्रति माह तक बेरोजगारी भत्ता देने की घोषणा करें। इस मौके पर मौजूद सैंकड़ों स्कूल संचालकों ने कहा कि स्कूलों को बंद हुए एक साल से अधिक का समय हो गया है लेकिन देश में सरकारी कार्यक्रम, राजनीतिक रैलियां, धार्मिक सभाएं व क्रिकेट मैच बिना किसी रोकटोक के हो रहे है लेकिन शिक्षा जो अत्यंत महत्त्वपूर्ण है, वह लॉकडाउन में है। इसलिए स्पष्ट है कि स्कूल हर हाल में खुलेंगे, अगर किसी को पढ़ाई करवाना अपराध है तो हम जेल में जाने को तैयार है। स्कूल शिक्षा विभाग के अंतर्गत आते है लेकिन प्रदेश का मुख्यमंत्री स्कूलों को बंद करने के आदेश जारी करता है, जबकि शिक्षा मंत्री कोई टिप्पणी या आदेश जारी नहीं करता।

इस दौरान शिक्षा मंत्री के नाम प्रशासनिक अधिकारी को ज्ञापन भी सौंपा गया। इस मौके पर प्रदेश उप प्रधान डॉ. अमित मेहता, जिलाध्यक्ष डॉ. पंकज सिढाना, नेशनल क्वालिटी एडवाइजर डॉ. कुलदीप आनंद, विजयंत शर्मा डबवाली, भूपेंद्र जैन ओढ़ा, रामकिशन खौथ नाथूसरी चौपटा, विक्रम सिंह मोमी रानियां, जुगल किशोर व वेद गुप्ता ऐलनाबाद, ओमबीर दुहन, ओम ढांगी, मोहित शर्मा, भारत भूषण, रामचंद, कृपाल सिंह, स्वराज सिंह, अमर सिंह, गुरप्रीत सिंह, रणजीत कंबोज, सतपाल, सुल्तान सिंह, संतोष पुनिया, कर्ण बजाज, रणजीत सिंह बाजवा, साहिल बांसल, आरके मिजिठिया, सुरेंद्र अरोड़ा, विनीत मोंगा, धर्मपाल सहित सैंकड़ों गणमान्य मौजूद थे।

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