इस बार विशेष है सावन का महीना, तिथि अनुसार होंगे 29 दिन, आएंगे पांच सोमवार
इस बार खास बात यह है कि 6 जुलाई को इसकी शुरुआत सोमवार से हुई है और 3 अगस्त सोमवार को ही इस मास का समापन होगा। इस पांचवें सोमवार को रक्षाबंधन है।
चरखी दादरी/हिसार, जेएनएन। सावन का महीना हरा भरा रहता है तो भक्तों की मुरादें पूरा करने वाला भी होता है। इस बार श्रद्धालु हर बार की तरह भीड़ में तो इकट्ठा नहीं हो पाएंगे मगर शिव भक्ति का सावन माह इस बार 29 दिन का रहेगा। सावन के पहले साेमवार को सभी शहरों और गांवों के मंंदिरों में पूजा अर्चना करने के लिए भक्त पहुंचे। भीड़ हालांकि ज्यादा नहीं रही। कहीं कोरोना को लेकर नियमों का पालन किया गया तो कहीं इसकी अनदेखी भी नजर आई। वहीं अब की बार खास बात यह है कि 6 जुलाई को इसकी शुरुआत सोमवार से हुई है और 3 अगस्त सोमवार को ही इस मास का समापन होगा। इस पांचवें सोमवार को रक्षाबंधन है।
ऐसे में दादरी शहर में राखी की रौनक भी रहेगी। वहीं मंदिरों में शिवजी के विशेष अनुष्ठान होंगे। कोरोना संक्रमण के चलते दादरी नगर स्थित श्री शिव मंदिरों में श्रद्धालुओं के प्रवेश से लेकर पूजा अर्चना इत्यादि के लिए विशेष व्यवस्था की गई है। शिव मंदिर के पुजारी दिनेश शास्त्री ने बताया कि इस बार श्रावण माह 29 दिनों का है और इसमें पांच सोमवार आएंगे। शास्त्री ने बताया कि इस माह में सोमवार का दिन विशेष होता है। इस दिन भगवान शिव की पूजा-अर्चना करने से मनोकामनाएं भी पूर्ण होती हैं।
पूजा के अलग-अलग संयोग
दादरी निवासी पंडित सीतराम ने बताया कि पहला सोमवार 6 जुलाई को, दूसरा 13 को, तीसरा 20 को, चौथा 27 को तथा पांचवां और आखिरी सोमवार तीन अगस्त को आएगा। पंडित सीताराम का कहना है कि हर सोमवार को पूजा के अलग-अलग संयोग बन रहे हैं। हर सोमवार की पूजा अलग-अलग तरह से फलदायी रहेगी। इसके अलावा श्रावण माह में ही 19 जुलाई को शिवरात्रि, 22 जुलाई को ङ्क्षसधारा और 23 जुलाई को हरियाली तीज का पर्व आएगा।
भगवान शिव की साधना का विशेष महत्व
दादरी की प्रोफेसर कालोनी निवासी पंडित आनंद शास्त्री के अनुसार पौराणिक मान्यता है कि भगवान शिव ने जब विष पिया था तो उन्हें शांति देने को इंद्र ने वर्षा की थी और श्रद्धालुओं ने जलाभिषेक किया था इसी कारण श्रावण मास में भगवान शिव का जलाभिषेक करने की परंपरा है। श्रावण मास के सोमवार भगवान शिव को विशेष प्रिय हैं। इन सोमवार में शिवजी की जलाभिषेक के साथ ही पंचामृत से अभिषेक कर आक के फूल, भांग धतूरे और बिल्व पत्रों से पूजा अर्चना करनी चाहिए।
संचालकों ने मंदिर में आने वालों के लिए जारी की हिदायतें
1. श्रद्धालु मंदिर में मुंह पर मास्क लगाकर आएं।
2. शिवालय एवं रेङ्क्षलग को न छुएं।
3. छह से ज्यादा श्रद्धालु मंदिर में प्रवेश नहीं कर सकते।
4. शिवङ्क्षलग पर केवल जल ही चढ़ाएं।
5. मंदिर परिसर में बैठना वर्जित है।
6. मंदिर मे प्रवेश के दौरान आपस में दूरी बनाए रखें।
7. श्रद्धालु जोत केवल निर्धारित स्थान पर ही लगाए।
8. मंदिर में छोटे बच्चों को साथ लेकर प्रवेश करने पर रोक लगाई हुई है।