Sarsai Nath Mandir: पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र होगा सिरसा का सरसाईनाथ मंदिर, जानिए इसका इतिहास

सिरसा का सरसाईनाथ मंदिर पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बनने जा रहा है। मंदिर की मान्यता है कि सिरसा की स्थापना सरसाईंनाथ के नाम से हुई है। सिरसा के बसने से पहले यहां सबसे पहले मंदिर बना था। इसी मंदिर में मुगल सम्राट शाहजहां के बेटे को जीवनदान मिला था।

By Rajesh KumarEdited By: Publish:Sat, 11 Sep 2021 11:05 AM (IST) Updated:Sat, 11 Sep 2021 11:05 AM (IST)
Sarsai Nath Mandir: पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र होगा सिरसा का सरसाईनाथ मंदिर, जानिए इसका इतिहास
सिरसा में बाबा सरसाईं नाथ का मंदिर।

जागरण संवाददाता, सिरसा। सिरसा के सबसे ऐतिहासिक बाबा सरसाईंनाथ मंदिर जल्द ही आकर्षक बनाया जाएगा। मंदिर परिसर में सरसाईनाथ मंदिर में संगमरमर पत्थर लगाने के बाद अब दीवारों पर भी पत्थर लगाने का कार्य किया जाएगा। जिसके लिए जल्द ही कार्य शुरू किया जाएगा। इस ऐतिहासिक मंदिर में सभी धर्मों व जाति के लोग श्रद्धा से शीश नवाते हैं। प्रेम व भाईचारे का संदेश देने वाले मंदिर की कायाकल्प की जा रही है। मंदिर की मान्यता है कि सिरसा की स्थापना सरसाईंनाथ के नाम से हुई। सिरसा के बसने से पहले यहां सबसे पहले मंदिर ही बना था। इसी मंदिर में मुगल सम्राट शाहजहां के बेटे को भी जीवनदान मिला था। इसी जगह अजमेर के ख्वाजा पीर ने बाबा सरसाई नाथ का चमत्कार स्वीकार किया था।

शहर के बीच में मंदिर

सरसाईंनाथ मंदिर शहर के बीचोबीच स्थित है। इस मंदिर में सरसाईंनाथ की समाधि है। मंदिर का निर्माण छोटी छोटी ईंटों से किया गया। मंदिर करीब 2 एकड़ भूमि में बना हुआ है। मंदिर में राजस्थान के मकराणा से डूंगरी पत्थर लगवाया गया। मंदिर के ऊपर गुंबद पर फूल पत्थर लगाया गया है। जिसका वजन करीब 2 टन है। इस क्रेन से रखवाया गया है। जिससे प्राचीन मंदिर आकर्षक का केंद्र होगा। शहर के बीच में होने के साथ प्रतिदिन मंदिर में श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है।

आस्था का केंद्र है मंदिर

मंदिर में जब शाहजहां ने माथा टेका। यहां मुगल शाहजहां के बेटे दारा शिकोह को जीवनदान मिला था। जिसके बाद मुगल बादशाह ने डेरे में भव्य गुंबद का निर्माण करवाया। शाहजहां ने मंदिर में 1627 ई. में ताम्र पात्र भेजा। इसके बाद 6 ताम्र पात्र भेजे गये। जिनको मंदिर से पुरातत्व विभाग चंडीगढ़ में रखे गये। हिंदी में सौंपे गये ताम्र पात्र का कुछ समय पहले हिंदी में भी अनुवाद करवाया गया।

हर वर्ष लगता है मेला

सरसाईंनाथ मंदिर में 25 मार्च को नव सम्वत् 2077 को मेला आयोजित जाता है। मेले का आयोजन निर्माण समिति डेरा बाबा सरसाईंनाथ द्वारा किया जाता है। जिसमें दूर दूर से लोग माथा टेकने आते हैं।

मंदिर में लगाए गए हैं संगमरमर के पत्थर

महंत सुंदराइनाथ ने बताया कि प्राचीन बाबा सरसाईंनाथ मंदिर में संगमरमर के पत्थर लगाए गये हैं। अब परिसर व दूसरे स्थानों पर भी पत्थर लगाने का कार्य किया जाएगा। मंदिर काफी प्राचीन समय से बना हुआ है।

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