ऑनलाइन मार्केटिंग करेंगी ग्रामीण महिलाएं, विदेशों तक पहुंचेंगे बाजरे के लड्डू
ग्रामीण महिलाओं के लिए प्रशासन बेवसाइट तैयार करवा रहा है। देश-विदेश तक उत्पादों की बिक्री होगी। स्वयं सहायता समूह की महिलाएं तैयार कर रहीं बाजरे के लड्डू-बिस्किट व अन्य उत्पाद
हिसार, [चेतन सिंह] ग्रामीण क्षेत्रों में स्वयं सहायता समूह से जुड़ी की महिलाएं अब अपने उत्पाद खुद ऑनलाइन बेच पाएंगी। इससे वह देश के हर कोने सहित विदेश में भी अपने उत्पाद भेज सकेंगी। प्रशासन इसके लिए वेबसाइड तैयार करवा रहा है। वेबसाइट पर इन महिलाओं के हाथों से बने उत्पादों को फोटो और रेट लिस्ट के साथ अपलोड कर दिया जाएगा।
हिसार जिले में इस समय 676 स्वयं सहायता समूह हैं, जिनमें से नारनौंद में सबसे ज्यादा 286 समूह हैं। प्रशासन नवंबर 2014 से इन समूहों पर काम कर रहा है। इन समूहों से जुड़ी महिलाएं बाजरे से बने खाद्य पदार्थों के अलावा अन्य सामान बनाकर खुद को सशक्त करने में जुटी हैं। सबसे ज्यादा डिमांड बाजरे से बने उत्पादों की है। इन उत्पादों को बेचकर महिलाएं करीब 9 लाख रुपये सालाना कमा रही हैं। सर्दियों में सबसे ज्यादा डिमांड होती है, जिसे पूरा करने के लिए महिलाओं को दिन-रात काम करना पड़ता है। हालांकि ये महिलाएं शिफ्टों में काम करती हैं ताकि घर के काम के साथ-साथ खुद की पहचान भी बना सकें।
ऐसे हुई महिला सेल्फ हेल्प ग्रुप की शुरुआत
हिसार में सेल्फ हेल्प ग्रुप की शुरुआत नवंबर 2014 में हुई। सबसे पहले नारनौंद ब्लॉक में आंध्रपदेश की टीम आकर रुकी और उन्होंने महिलाओं को प्रशिक्षण दिया था। इसके बाद कारवां बढ़ता गया। महज चार सालों में सेल्फ हेल्प ग्रुप की एक से 676 हो गई है।
बाजरे से बनाती हैं ये पांच उत्पाद
उत्पाद मूल्य प्रति किलो
लड्डू- 400 रुपये
बिस्किट- 80 रुपये
मठ्ठी- 100 रुपये
नमकीन 100 रुपये
बर्फी 400 रुपये
ये उत्पाद भी करती हैं तैयार
- सेनेटरी नैपकिन
- चूल्हे का खाना टिफिन सर्विस के साथ
- बुटीक
- डिजाइनिंग
- अन्य हस्तनिर्मित उत्पाद
बाजरे के बिस्किट की संसद तक गूंज
महिलाओं द्वारा तैयार बाजरे के बिस्कुट की गूंज गांव की दुकान से लेकर संसद तक पहुंच चुकी हैं। यह बिस्कुट नारनौंद के गांव भैणी अकबरपुर की महिलाएं तैयार कर रही हैं। जो एक बार इन बिस्किटों को चख लेता है, वह इनका स्वाद कभी नहीं भूलता। सांसद दुष्यंत चौटाला भी इन बिस्किटों का स्वाद संसद तक पहुंचाने के लिए डेढ़ लाख रुपये का ऑर्डर दे चुके हैं। उन्होंने आगे भी इन बिस्किटों को खरीदने का वादा किया है।
आर्गेनिक बाजरा करती हैं इस्तेमाल
यह महिलाएं अपने बनाए उत्पादों की क्वालिटी से कोई समझौता नहीं करती। यही कारण है कि राजस्थान से ऑर्गेनिक तरीके से उगाया गया बाजरा ही इस्तेमाल करती हैं। इसके अलावा मसाले भी साबुत खरीदकर लाती हैं और उन्हें खुद पीसकर इस्तेमाल करती हैं। सभी चीजों में शुद्ध देसी घी का इस्तेमाल होता है।
जल्द शुरू होगा काम
उपायुक्त अशोक कुमार मीणा ने कहा कि महिला सेल्फ हेल्प ग्रुप द्वारा बनाए उत्पादों की ऑनलाइन मार्केटिंग के लिए हम जल्द ही बेवसाइट बनाने जा रहे हैं। इस पर काम शुरू हो चुका है। अब तक हजारों महिलाएं इन ग्रुप के साथ जुड़ चुकी हैं।